हरनोट की कहानियां यथार्थ और मानवता के करीब होती हैं। उनकी दो नई कहानी पुस्तकों का शिमला में लोकार्पण हुआ जिसमें वक्ताओं ने समय-समाज के सन्दर्भ में हरनोट की मुक्कमल समझ और दायित्वशीलता की सराहना करते हुए उनके सृजन के विभिन्न दायरों और दिशाओं की चर्चा की।
मुय अतिथि डॉ. गौतम सान्याल ने कहा कि हरनोट की कहानी ‘भागा देवी का चायघरÓ इको फेमिनिजम हिन्दी की पहली कहानी है। कहानियों पर बात करते हुए सान्याल ने कहा कि सात कहानियों का यह संग्रह ‘कीलें वर्तमान पहाड़ी जीवन की भूमंडलीकृत हौलनाकी का अभिनव भाष्य परोसता है। उन्होंने कहा – ‘ये कीलेकिन्हीं कथा स्थितियों या प्रोटेगॉनिस्टों में बलपूर्वक ठोक नहीं दी गई है बल्कि इनका पैनापन पहाड़ की चेतना की अथाह वेदना से उपजा है।
सान्याल के मुताबिक हरनोट समकालीन जीवन के पॉपुलर नैरेटिव्स के समांतराल अपने नैरेटिव्स गढऩे में माहिर हैं। सान्याल ने इसी संकलन की एक बहु चर्चितकहानी ‘भागा देवी का चाय घर पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इको-फेमिनिज्म के आलोक में भारतीय और उसके स्त्रीमयता और उसके पर्वत-पार्वती स्वरूप को आंकते हुए कदाचित यह हिन्दी की पहली कहानी है। सान्याल ने कहा – कहानी और ये कीलें (संकल्न की कहानियां) पाठक-मन में देर तक और दूर तकगहरे चुभते हुए, सिर्फ सीत्कारें ही पैदा नहीं करती बल्कि ये पाठक-मन में गहरे घुलकर समय-समाज-राष्ट्र के बारे में व्याकुल चिंताएं भी उगाहती है।
पुस्तकों का विमोचन शिमला रोटरी टाउन हॉल में वाणी प्रकाशन दिल्ली, कैिब्रज स्कॉलर्स पब्लिशिंग लंदन और ओकार्ड इंडिया के साझे तत्वावधान में हुआ।एसआर हरनोट की दो कहानी पुस्तकों – वाणी से प्रकाशित ‘कीलेंÓ और कैिब्रज स्कालर्स पब्लिशिंग लंदन से अंग्रेजी अनुंवाद की पुस्त’केटस टॉकÓ कालोकार्पण प्रयात आलोचक प्रो. गौतम सान्याल ने किया। लोकार्पण के अवसर पर विभिन्न विद्वजनों ने गहन विचार-विमर्श करते हुए, हरनोट की समकालीन समय-समाज के सन्दर्भ में उनकी मुक्कमल समझ और दायित्वशीलता की सराहना करते हुए उनके सृजन के विभिन्न दायरों और दिशाओं की चर्चा की। प्रारिभकवक्ताओं में प्रो. मीनाक्षी एफ पॉल, डा. खेमराज शर्मा, डा. विद्यानिधि और डा. देविना अक्षवर रहे।
अंग्रेजी की पुस्तक का संपादन और छह कहानियों के अनुवाद डॉ. खेमराज शर्मा और प्रो. मीनाक्षी एफ पॉल ने किए हैं, जबकि अन्य कहानियों के अनुवाद प्रसिद्धअनुवादकों डा. आरके शुक्ल, डा. मंजरी तिवारी, प्रो. इरा राजा और डा. रवि नंदन सिन्हा ने किए हैं।
प्रो. मीनाक्षी पॉल ने अंग्रेजी संग्रह केट्स टॉक की अनुवाद प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए अनुवाद प्रक्रिया के मूल्यवत्ता पर भी विस्तार से बात की। खेमराज शर्मा नेइन कहानियों की कथावस्तु में जाति, शोषण, पर्यावरण और बदलते युग में रिश्तों के विघटन को रेखांखित किया।
वरिष्ठ आलोचक डॉ. विद्यानिधि ने संग्रह पर चर्चा करते हुए कहा कि हरनोट ऐसे कथाकार हैं जिनका सृजन आज देश में ही नहीं, विश्व में भी पढ़ा, समझा और सराहाजाता है। उन्होंने कहा – ‘इन कहानियों की विशेषता यह है कि ये आम ग्रामीणजन की दुर्लबताओं पर आंसू नहीं बहाती, उनके अंधविश्वासों को जायज नहीं ठहरातीबल्कि इस ग्रामीणजन को एक ऐसे साहसी, सशक्त, विचारवान और आशावान रूप में प्रतिष्ठित करती हैं जो सिर्फ गांव, शहर और देश की राजनीति को ही नहींसमझता, इस राजनीति को निर्धारित करनेवाले उत्तर-आधुनिक ग्लोबल युग के हालात और दवाबों को भी समझता है।
डा. देविना अक्ष्यवर ने कीलें संग्रह पर बोलते हुए कहा कि कहानियों में केवल पहाड़ी संस्कृति की ही झलक नहीं मिलती बल्कि समकालीन सामाजिक सांस्कृतिकऔर राजनीतिक
परिस्थितियों का भी बारीक चित्रण मिलता है।
अध्यक्षीय वक्तव्य से पूर्व गौतम सान्याल जी की धर्मपत्नी संध्या सिंह, जो प्रयात सेमी क्लासिकल गायिका हैं और पूरे देश में संगीत के प्रोग्राम देती रहती हैं, ने एकगीत और एक गज़़ल गाकर सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया।
मंच संचालन और कहानियों पर कुछ गंभीर टिप्पणियां कवि आत्मारंजन ने कीं। हरनोट ने कीलें कहानी संग्रह की चर्चित कहानी ‘भागा देवी का चायघर कहानी केकुछ अंशों का पाठ भी किया।