तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद भारत में हिंदू समुदाय के प्राचीन जीवन मूल्य कायम रहने का जिक्र करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को हिंदुस्तान के महान शायर अल्लामा इकबाल को याद किया। उनका मशहूर शेर-‘‘यूनान, मिस्र, रोमान, सब मिट गए जहाँ से…कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी’’ पढ़ा।
संघ प्रमुख इंदौर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, हिंदू समाज ने प्राचीन काल से लेकर आज तक कई दौर झेले हैं, तो कई उपलब्धियां भी हासिल की हैं। भागवत ने कहा, पांच हजार वर्षों में तमाम बदलाव के बावजूद हिंदू समाज के प्राचीन जीवन मूल्य देश में आज भी देखने को मिलते हैं।
उन्होंने कहा, दुनिया के ज्यादातर देशों के प्राचीन जीवन मूल्य मिट गए। कई देशों का तो नामोनिशान ही मिट गया है। पर हमारे जीवन मूल्य अब तक नहीं बदले हैं। इसलिए इकबाल ने कहा था – यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहां से….कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।
इसके पीछे हमारा धर्म है। यहां धर्म से मतलब किसी संप्रदाय विशेष से नहीं, बल्कि मनुष्यों के सह अस्तित्व से जुड़े मूल्यों से है। धर्म समन्वित और संतुलित तरीके से जीवन जीने का एक तरीका है जिसमें महत्व इस बात का है कि हम दूसरों को क्या दे रहे हैं और उनके भले के लिए क्या कर रहे हैं? संघ प्रमुख ने कहा कि भारत में दान की परंपरा हमेशा बरकरार रहनी चाहिए।