भले ही अभी गुजरात विधान सभा चुनाव को लेकर चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है पर शरद यादव गुट जदयू पूरी से तरह से गुजरात में चुनावी ताल ठोंकने को तैयार है।
दीपावली यानी 19 अक्टूबर के बाद शरद यादव अपने समर्थकों के साथ प्रदेश और केन्द्र की मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में सम्मेलन करेगें। यह सम्मेलन गुजरात के अहमदाबाद और द्वारका में आयोजित होगें। इस सम्मेलन में सांझी विरासत में शामिल हुए दल के नेता भाग लेगे और प्रदेश के स्थानीय नेताओं से बात चल रही है जो भाजपानीत सरकार की नीतियों के विरोध में है। शरद गुट समर्थक नेताओं का कहना है कि गुजरात में अब मोदी लहर का कोई जादू चलने वाला नहीं है क्योंकि अभी वहां पर पंचायत और नगर पालिका के चुनाव में भाजपा की हार हुई है।
शरद यादव गुट चाहता है कि जब गुजरात में पहले ही उनकी ही पार्टी चुनाव जीतती रही है और वर्तमान में पार्टी का एक विधायक भी छोटू भाई बसावा है तो क्यों ना पार्टी को विस्तार किया जाये। गुजरात चुनाव के रास्ते आर्थिक मुद्दे पर आगामी लोकसभा चुनाव 2019 लड़ाई का शंखनाद दीपावली के बाद होगा।
जदयू नेता शरद यादव का कहना है कि अगला चुनाव पूरी तरह से आर्थिक मुद्दों पर लड़ा जाएगा क्योंकि नोटबंदी और जीएसटी से देश की अर्थ व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है और छोटे – छोटे कल- कारखानों के बंद होने के दो -से पांच करोड़ लोग बेरोजगार हुए है। गांवों की अर्थ व्यवस्था पूरी तरह से लडख़ड़ा गई है। उनका कहना है कि जीएसटी में जो कुछ भी छूट मोदी सरकार ने दी गई है वो जनता का ध्यान भटकाने के लिये है। जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद इंस्पेक्टर राज बढ़ा है जो उन्होंने अपने जीवन में कभी भी ऐसा इंस्पेक्टर राज नहीं देखा है। क्योंकि देश में लगभग 22 करोड़ लोग व्यापार से जुड़े है इनमें से 15 से 17करोड़ छोटे व्यापारी है। जिन्हें छोटी – छोटी गलती के लिये दंडित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन्हीं तमाम मुद्दों को लेकर देशव्यापी आंदोलन की तैयारी की जा रही है।
जदयू शरद यादव गुट के महासचिव अरूण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अभी तक देश में मंहगाई ,भ्रष्टाचार ,धर्म और जाति के आधार पर चुनाव लड़े गये पर अबकी बार आर्थिक आधार पर पूरी तरह से चुनाव लड़ा जाएगा क्योंकि नोटबंदी और जीएसटी के बाद देश में जिस तरीके से अर्थव्यवस्था चौपट हुई है उससे देश में मंदी का माहौल है चारों ओर बेरोजगारी का माहौल देखने को मिल रहा है। व्यापारी से लेकर किसान और मजदूर तक बेहाल है। मोदी सरकार सिर्फ व सिर्फ आश्वासन दे रही है। अब जिस-जिस राज्य में चुनाव होंगे वो मोदी सरकार के विरोध में गलत आर्थिक नीतियों के विरोध में लड़े जाएंगे। इसके लिए कांग्रेस के साथ साथ उन नेताओं से बात चल रही है जो सांझी विरासत में शामिल हुए थे। उन्होंने बताया कि गुजरात के किसानों ने मोदी सरकार की नीतियों के विरोध में शरद यादव को अहमदाबाद और द्वारका में पिछड़ी जातियों के संगठन से जुड़े नेताओं ने न्यौता है। ये दोनों सम्मेलन दीपावली के बाद आयोजित किये जाएंगे जिसमें लाखों लोगों के पहुचने की उम्मीद है।