राष्ट्रवादी पार्टी से अलग होकर भाजपा-शिंदे के साथ सरकार में शामिल हुए नेता और उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने आज मुंबई में अपने गुट के सम्मलेन में अपने भाषण में जैसी भाषा शरद पवार की उम्र और उनकी रिटायरमेंट को लेकर की है, उसे साफ़ हो गया है कि दोनों का ‘पुनर्मिलन’ अब संभव नहीं है। उधर सुप्रिया सुले ने इसे लेकर कहा कि हमारा अपमान करें, लेकिन हमारे पिता शरद पवार का नहीं।
किस के साथ कितने विधायक हैं, यह तस्वीर अभी साफ़ नहीं हुई है। अजित गुट ने 29 विधायकों की सम्मलेन में उपस्थिति का दावा किया और यह भी कहा कि बाकी विधायक बाहर हैं, लेकिन उनके साथ हैं। उधर शरद पवार के साथ 14 विधायक होने की बात कही गयी है। लिहाजा बाकी विधायक वास्तव में हैं कहाँ, यह भी एक रहस्य बन गया है।
खैर, आज अजित पवार की शरद पवार को लेकर भाषा से यह साफ़ हो गया है कि एनसीपी के इस बटबारे के पीछे शरद पवार का कोई रोल नहीं है। अजित अपनी राजनीतिक जरूरतों के कारण ही बाहर गए हैं। अजित ने अपने भाषण में कहा – ‘2024 के चुनाव में मोदी ही सत्ता में आएंगे।’
उधर एनसीपी की अध्यक्ष और सांसद सुप्रिया सुले ने इसके जवाब में पीएम मोदी को निशाने पर लिया और कहा – ‘उन्होंने (पीएम) हमारी पार्टी को भ्रष्टाचारी कहा। कहा कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा, लेकिन जब जरूरत पड़ी तो पार्टी को ही खा गए। आप (अजित पवार) हमारा अपमान करें, लेकिन हमारे पिता शरद पवार का नहीं। यह लड़ाई भाजपा सरकार के खिलाफ है। भाजपा देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी है। सुले ने कहा कि मूल राकांपा शरद पवार के साथ है और मूल प्रतीक हम हैं।’
उधर अजित पवार ने नाम न लेकर शरद पवार और उनकी उम्र पर हमला करते हुए कहा – ‘नौकरीपेशा लोग 58 साल में रिटायर हो जाते हैं। आईपीएस-आईएएस 60 साल में रिटायर होते हैं। नेता 75 की उम्र में रिटायर हो जाते हैं। आडवाणी-मुरली मनोहर जोशी भी रिटायर हुए थे। आपकी (शरद पवार) उम्र ज्यादा हो गई है। आप रिटायर होंगे या नहीं? आप कभी रुकेंगे या नहीं?’
इसके बाद अजित पवार ने सुप्रिया सुले पर भी हमला किया। उन्होंने कहा – ‘साहेब (शरद पवार) बोले कि सुप्रिया को अध्यक्ष बनाओ। हम तैयार हो गए। फिर उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया। आपको जब इस्तीफा वापस ही लेना था तो दिया ही क्यों? मैं झूठ नहीं बोलता। झूठ बोला तो पवार की औलाद नहीं कहलाऊंगा। मुझे लगता है कि हमारे वरिष्ठों को आराम करना चाहिए। जिद नहीं करनी चाहिए।’
अजित ने कहा – ‘कश्मीर से कन्याकुमारी तक मोदी का प्रभाव है। ऐसे में हम उनका साथ क्यों न दें। हम उनके पीछे क्यों न खड़े रहें।’ शरद पवार के करीबी रहे और अब अजित पवार के साथ प्रफुल्ल पटेल ने कहा – ‘जब हम शिवसेना की विचारधारा को स्वीकार कर सकते हैं तो फिर भाजपा के साथ जाने में क्या आपत्ति है? हम एक स्वतंत्र इकाई के रूप में इस गठबंधन में शामिल हुए हैं।’