निरन्तर कोरोना के आकड़े कम होने, बढ़ने और कोरोना से मौतें होने से लोगों में अजीब सा माहौल देखा जा रहा है। ऐसे में कोरोना के गाइड लाइन का पालन लोग सही से नहीं कर रहे है। वहीं ब्लैक फंगस के मामलों में इजाफा और मौतें होने से नेत्र रोग विशेषज्ञों और नाक ,कान गला विशेषज्ञों के पास मरीजों की लम्बी कतारे देखी जा सकती है। ऐसे में अगर किसी का व्यापार चमक रहा है तो वो चश्मा बनाने वालों का।
बताते चलें, एक ओर तो कोरोना के डर और उस पर आखों में जरा सी लालिमा होने या सूजन आने पर लोग तुरन्त आई स्पेशलिस्टों के पास जा रहे है। डाँक्टरों की सलाह पर आंखों में संक्रमण ना पहुंचें उसके लिये वे चश्में बनवा रहे है। इस बारे में ए-वन चश्में वाले सुरेश विज ने बताया कि कई लोग तो आँखों में नम्बर के हिसाब से और डाँक्टरों की सलाह पर चश्मा बनवाने आते थे। लेकिन कुछ लोग है। जो जागरूकता के आधार पर और स्वयं ब्लैक फंगस जैसी बीमारी से बचने के लिये आँखों के चश्में लगवा रहे है।
नाक कान गला (ईएनटी) विशेषज्ञ डाँ महेन्द्र कुमार का कहना है कि मौजूदा वक्त में कोरोना का कहर और ब्लैक फंगस का कहर लोगों के जीवन में ऊथल-फुथल मचाये है। ऐसे में लोग जरा सी दिक्कत होने पर डाँक्टरों के पास जरा रहे है। डाँ महेन्द्र का मानना है कि कई बार तो ऐसा होता है। लोगों में डर का कहर वे-बजह बीमारी का कारण बन जाता है।आई रोग विशेषज्ञ डाँ आलोक का कहना है कि ब्लैक फंगस के दौर में चश्मों की दुकान में काफी भीड़ है। क्योंकि आँखों में संक्रमण ना पहुंचें इस लिये लोग चश्मा लगवा रहे है।