भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के किंगडाओ में चल रही शिखरवार्ता में पहुंच कर अपनी धाक और जमाई। कुछ ही दिनों पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बुहान प्रांत मेें जिन मुद्दों पर दोनों देशों के प्रमुखों मेें बातचीत हुई थी उन मुद्दों को नरेंद्र मोदी ने फिर दुहराया। भारत और चीन मे चल रहे असंतुलन को कुछ कम करने के लिए गैर बासमती चावल की दूसरी किस्मों के निर्यात पर भी समझौता हुआ साथ ही ब्रह्मपुत्र नदी के जल के बाढ़ के समय के आंकड़ों के लेन देन पर भी सहमति हुई। दोनों देशों ने मिल कर अफगानिस्तान में किसी परियोजना पर काम करने की योजना भी बनाई। भारत और चीन में इस बात पर सहमति बनी और समझौता हुआ कि ब्रह्मपुत्र नदी के जल संबंधी तमाम डाटा दोनों देशों में (मई 15 से अक्तूबर 15 तक) आदान प्रदान होगा। मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग में हुई बातचीत में इस बात पर सहमति बनी कि चीन भारत से चावल, चीनी और फार्मास्यूटिकल सामग्री खरीदेगा। चावल का निर्यात करने पर हुआ समझौता व्यापारिक संतुलन बनाने की दिशा में एक पहल है।
भारत और चीन के जल संसाधनों, नदी विकास और गंगा सफाई के मंत्रालयों में हुए समझौते के तहत चीन इस बात के लिए राजी हुआ है कि चीन बाढ़ के दिनों में भारत से डाटा लेगा और अपनी नदियों का डाटा भारत को देगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि बाढ़ के मौसम में नदी जल का स्तर दोनों देशों में बनी सहमति से यदि ज्य़ादा हो तो डाटा का आदान प्रदान ज़रूर है।
इसी तरह चावल के निर्यात पर यह समझौता हुआ कि भारत बासमती के अलावा चावल की दूसरी किस्मों के चावल भी अब निर्यात कर सकेगा। चावल निर्यात पर 2006 में एक सहमति दोनों देशों में बनी थी।
पिछले दिनों चीन में ही बुहान प्रांत में भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई सहमति के मुद्दों पर अमल की बात की जाएगी। इस साल के आखिरी दिनों में चीन से विदेश रक्षा और सुरक्षा महकमों के अधिकारी भारत आएंगे। दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमतियों पर अमल का खाका फिर तैयार होगा।
अफगानिस्तान में दोनों देश मिल कर किसी प्रोजेक्ट पर काम करने पर भी सहमत हुए। इस मुद्दे पर पहले बुहान में बात भी हुई थी। पिछले चार साल में दोनों देशों के प्रमुखों के बीच एक दर्जन मौकों पर बातचीत हुई है। दोनों ही देश अब उस कुहासे से बाहर आकर परस्पर संबंध और विकसित करना चाहते है जो आज की ज़रूरत है।