देश भर में राफेल लड़ाकू विमान खरीद में कथित घूस खाने के शोर के बीच सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बोफोर्स घोटाले की जांच दोबारा शुरू किए जाने की मांग खारिज कर दी। सीबीआई ने इस साल के शुरू में सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर कर बोफोर्स मामले की फिर से सुनवाई की इजाजत मांगी थी लेकिन शुक्रवार को कोर्ट ने उससे पूछा कि सीबीआई को १३ साल देरी से अदालत क्यों आई?
माना जा रहा है कि सर्वोच्च अदालत के इस फैसले के बाद बोफोर्स मामला अब अंतिम तौर पर दफन हो गया है। वैसे भाजपा नेता अजय अग्रवाल की इस मामले से जुडी २००५ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अभी सुनवाई होनी है हालांकि अग्रवाल की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्षकार होने पर ही सवाल उठाया था।
सीबीआई ने इस साल जनवरी में सर्वोच्च अदालत में एक याचिका दाखिल कर बोफोर्स मामले की दोबारा सुनवाई की इजाजत मांगी थी। शुक्रवार को मुख्या न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने ६४ करोड़ रुपये के कथित घूसखोरी काण्ड की जांच की सुनवाई करते हुए सीबीआई से कई तीखे सवाल पूछे। पीठ ने कहा कि वह सीबीआई की इस मामले में हिंदुजा ब्रदर्स को बरी करने के हाई कोर्ट के फैसले पर अपील करने में देरी की दलील से सहमत नहीं है।
यहाँ यह जिक्र भी ज़रूरी है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने १३ साल पहले इस मामले में सभी आरोपियों पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया था। सीबीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट के ३१ मई, २००५ के फैसले के खिलाफ इस साल फरवरी में एक याचिका दाखिल की थी। राजीन गांधी सरकार को बोफोर्स का मामला उछलने के बाद सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।