बैंकिग की कठिन राह

वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों के मुनाफ़े में उल्लेखनीय वृद्धि होने के बाद कहा जा रहा है कि बैंकिंग क्षेत्र की मुश्किलें कम हो गई हैं, लेकिन विश्लेषण से पता चलता है कि राह अभी भी आसान नहीं हुई है। महंगाई का मुकाबला करने के लिए बैंकों ने ऋण दर में इजाफा किया है और सस्ती दर पर पूँजी इकठ्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उद्योगों, कारोबारियों और आमजन को सस्ती दर पर ऋण मिल सके. साथ में बैंक, ब्याज व शुल्क आधारित आय, क्रॉस सेलिंग आदि से आय बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

भारतीय स्टेट बैंक ने चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में एकल आधार पर 13,265 करोड़ रुपये की शुद्ध लाभ अर्जित की,जो पिछले साल की समान अवधि से 74 प्रतिशत अधिक है. वहीं, दूसरी तिमाही में बैंक की कुल आय बढ़कर 88,734 करोड़ रुपये हो गई, जो 1 साल पहले की समान अवधि में 77,689.09 करोड़ रुपये थी। पिछली तिमाही में स्टेट बैंक की शुद्ध ब्याज आय 13 प्रतिशत बढ़कर 35,183 करोड़ रुपये हो गई, जबकि 1 साल पहले यह 31,184 करोड़ रुपये थी. चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में स्टेट बैंक का एनपीए घटकर 3.52 प्रतिशत रह गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 4.90 प्रतिशत था. शुद्ध एनपीए का अनुपात भी घटकर कुल अग्रिम का 0.80 प्रतिशत रह गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.52 प्रतिशत था.

बैंक ऑफ बड़ौदा का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 59 प्रतिशत बढ़कर 3,313 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वर्ष की समान तिमाही में बैंक को 2,088 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था. बैंक की कुल आय वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में बढ़कर 23,080.03 करोड़ रुपये हो गई, जबकि पिछले वर्ष यह 20,270.74 करोड़ रुपये थी. इसकी शुद्ध ब्याज आय भी 34.5 प्रतिशत बढ़कर 10,714 करोड़ रुपये हो गई. बैंक का एनपीए सितंबर 2022 के अंत में घटकर सकल अग्रिम का 5.31 प्रतिशत रह गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 8.11 प्रतिशत था. बैंक का शुद्ध एनपीए भी 2.83 प्रतिशत घटकर 1.16 प्रतिशत रह गया. समीक्षाधीन तिमाही में बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन बढ़कर 3.33 प्रतिशत और पूंजी पर्याप्तता अनुपात 15.55 प्रतिशत से घटकर 15.25 प्रतिशत रह गया.

पंजाब एंड सिंध बैंक (पीएसबी) का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 27 प्रतिशत बढ़कर 278 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका शुद्ध लाभ 218 करोड़ रुपये रहा था.

पीएसबी की दूसरी तिमाही में कुल आय बढ़कर 2,120.17 करोड़ रुपये हो गई, जबकि पिछले 1 साल की समान अवधि में यह 1,974.78 करोड़ रुपये रही थी. वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में पीएसबी का एनपीए घटकर सकल अग्रिम के 9.67 प्रतिशत पर आ गया. पिछले साल यह अनुपात 14.54 प्रतिशत रहा था. पीएसबी बैंक का शुद्ध एनपीए  घटकर 2.24 प्रतिशत रह गया, जबकि पिछले साल की सामान तिमाही में यह 3.81 प्रतिशत था.

सितंबर तिमाही में यूको बैंक के शुद्ध मुनाफा में पिछले साल की तुलना में 146 प्रतिशत अधिक की वृद्धि हुई, जबकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र के मुनाफ़े में पिछले साल के मुकाबले 103 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इस दौरान केनरा बैंक के शुद्ध लाभ में 90 प्रतिशत की वृद्धि हुईहै. समग्र रूप में देखें तो सरकारी बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर अन्य सभी सरकारी बैंकों का मुनाफा वित्त वर्ष 2022-23 की सितंबर तिमाही में पिछले साल की सामान अवधि की तुलना में अधिक रहा है। इस तरह,चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 12 सरकारी बैंकों ने 25,685 करोड़ रुपये और चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 40,991 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा अर्जित किया, जो पिछले साल के मुकाबले क्रमश: 50 प्रतिशत और 31.6 प्रतिशत अधिक है।

समीक्षाधीन अवधि में निजी बैंकों का प्रदर्शन भी शानदार रहा है. अठारह निजी सूचीबद्ध बैंकों में से केवल दो के शुद्ध लाभ में इस अवधि में कमी देखी गई है. इनका शुद्ध लाभ पिछले साल के मुकाबले वार्षिक आधार पर 64 प्रतिशत बढ़कर 32,150 करोड़ रुपये हो गया. चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में एचडीएफसी बैंक का शुद्ध लाभ 10,606 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई बैंक का शुद्ध मुनाफा 7,558 करोड़ रुपये, कोटक महिंद्रा बैंक का शुद्ध लाभ 2,581 करोड़ रुपये और ऐक्सिस बैंक का शुद्ध मुनाफा 5,330 करोड़ रुपये रहा.

भले ही सरकारी और निजी बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जबर्दस्त मुनाफा कमाया है, लेकिन बैंकों के सेहत को सिर्फ मुनाफ़े के पैमाने पर नहीं मापा जा सकता है। बैंकों के मुनाफ़े में बढ़ोतरी का एक महत्वपूर्ण कारण एनपीए और आकस्मिकता के मद में किये जा रहे प्रावधानों की राशि में उल्लेखनीय कटौती करना है. समग्र रूप से बैंकों ने वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में प्रावधान की जा रही राशि में 13 प्रतिशत की कटौती की है। निजी बैंकों ने मामले में 45 प्रतिशत की कटौती की है, जबकि सरकारी बैंकों ने 18 प्रतिशत.इस अवधि में बैंकों के व्यय में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है,जबकि शुल्क आधारित आय में 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.

समग्र रूप से बैंकों के शुद्ध ब्याज आय में 22 प्रतिशत की तेजी आई है. सरकारी बैंकों के शुद्ध ब्याज आय में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है,जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों के शुद्ध ब्याज आय में 24.5 प्रतिशत की.

बैंकों के शुद्ध ब्याज आय में बढ़ोतरी का कारण उधारी के उठाव में तेजी आना है, लेकिन बैंक जमा में उधारी के अनुपात में वृद्धि नहीं हो रही है. इसमें वृद्धि के लिए बैंकों को जमा दर में इजाफा करना होगा, जिससे बैंकों का मुनाफ़ा प्रभावित होगा। इससे बैंकों के पास तरलता की कमी भी हो सकती है।

विगत एक साल में 12 सरकारी बैंकों में से महज 4 बैंकों ने जमा में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की है, जबकि एक को छोड़कर अन्य बैंकों की उधारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र की उधारी में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि जमा में 8 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है. सेंट्रल बैंक की ऋण वृद्धि दर 12 प्रतिशत है, लेकिन जमा वृद्धि दर महज 2 प्रतिशत है. निजी बैंकों में भी ऐसे ही हालात हैं. सभी सूचीबद्ध निजी बैंकों में से केवल दो बैंकों ने ऋण के मुकाबले जमा में अधिक वृद्धि दर्ज की है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में जमा वृद्धि दर 37 प्रतिशत रही है, जबकि ऋण वृद्धि दर 32 प्रतिशत. यस बैंक की जमा वृद्धि दर 13 प्रतिशत रही है, जबकि ऋण वृद्धि दर 11 प्रतिशत रही है.

वित्त वर्ष 2022-23 की सितंबर तिमाही में सूचीबद्ध बैंकों का एनपीए घटकर 6.62 लाख करोड़ रुपये रह गया,जिसमें सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 4.87 लाख करोड़ रुपये है. इनका शुद्ध एनपीए 1.68 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 1.29 लाख करोड़ रुपये है. मार्च 2018 में सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए 10.4 लाख करोड़ रुपये रहा था, जबकि शुद्ध एनपीए 5.2 लाख करोड़ रुपये रहाथा. इस अवधि में सरकारी बैंकों का सकल एनपीए 8.96 लाख करोड़ रुपये था, जबकि शुद्ध एनपीए 4.54 लाख करोड़ रुपये. निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 1.29 लाख करोड़ रुपये और शुद्ध एनपीए 64,000 करोड़ रुपये था.

अभी निजी बैंकों में आईडीबीआई बैंक 16.5 प्रतिशत एनपीए के साथशीर्ष पर है. 12.89 प्रतिशत एनपीए के साथ यस बैंक दूसरे स्थान पर है, जबकि 7.19 प्रतिशत एनपीए के साथ बंधन बैंक तीसरे स्थान पर। सरकारी बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक 10.48 प्रतिशत सकल एनपीए के साथ शीर्ष पर है, जबकि 9.67 प्रतिशत सकल एनपीए के साथ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया दूसरे स्थान पर और 9.67 प्रतिशत सकल एनपीए के साथ पंजाब ऐंड सिंध बैंक तीसरे स्थान पर है। भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र का शुद्ध एनपीए 1 प्रतिशत से कम है। एनपीए में कमी आने का एक बड़ा कारण कोरोना महामारी के दौरान सरकार और केंद्रीय बैंक दारा एनपीए के नियमों को शिथिल करना और कारोबारियों को सहायता मुहैया कराना है।

तीन बैंकों को छोड़कर सभी सूचीबद्ध बैंकों के प्रावधान कवरेज अनुपात(पीसीआर) सितंबर तिमाही में बढ़ा है. यह इस बात का संकेत है कि बैंकों के बैलेंस शीट पहले से मजबूत हुए हैं. आईडीबीआई बैंक का प्रावधान कवरेज अनुपात 97.86 प्रतिशत है, जबकि 96.06 प्रतिशत पीसीआर के साथ बैंक ऑफ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है। दो निजी बैंकों को छोड़कर सभी सूचीबद्ध बैंकों का प्रावधान कवरेज अनुपात 70 प्रतिशत से अधिक है, जिसे और भी बेहतर करने की जरुरत है.

निःसंदेह, वित्त वर्ष 2022-23 की पहली और दूसरी तिमाही में बैंकों के मुनाफ़े में बेहतरी आई है, लेकिन बैंकों का प्रदर्शन सभी मानकों पर अभी भी बेहतर नहीं हुआ है. मुनाफ़े में बेहतरी आने का कारण एनपीए और आकस्मिक मद में किये जा रहे प्रावधान में कटौती करना है, लेकिन एनपीए में कमी आने का एक बड़ा कारण सरकार द्वारा उद्योगों और कारोबारियों को दी जा रही सहायता है. ब्याज आय में बढ़ोतरी का कारण उधारी में तेजी आना है, लेकिन जमा में वृद्धि नहीं होने से आने वाली तिमाहियों में बैंकों के मुनाफ़े में कमी आने की संभावना है. बैंकों के व्यय में भी चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और शुल्क आधारित आय में कमी आई है. ऐसे में जरूरत है कि बैंकअपनी खामियों व कमियों को दूर करें,एनपीए को कम करने की तरफ ध्यान दें,सस्ती दर पर जमा बढ़ाने की कोशिश करें,व्यय में कटौती करें आदि।