अभयारण्य जैव विविधता को बनाये रखने या देश के अद्वितीय प्राकृतिक वातावरण के संरक्षण के लिए स्थापित किए गए थे। इनसे न केवल प्राकृतिक वातावरण देकर लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने और वापस लाने में मदद मिली है, बल्कि कुछ प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने में भी मदद मिली है।
इसका लाभ उठाते हुए, हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक अनूठी पहल की है, जिसके तहत वह नये गौ अभयारण्य और बड़े गौ आश्रम स्थापित करेगी। पता चला है कि इस उद्देश्य के लिए पहाड़ी राज्य में गौ सेवायोग नामक एक नया निकाय स्थापित किया गया है। इस पहल के तहत जल्द ही नौ अभयारण्य और बड़े गौ आश्रय स्थापित किए जाएँगे।
यह देखा गया है कि जिन गायों ने दूध देना बंद कर दिया है या बैल हल से खेत नहीं जोत सकते, उन्हें पशुपालक खुला छोड़ देते हैं। इसके अलावा, कृषि में आधुनिक उपकरणों के उपयोग के आने के बाद भी किसान बैलों को छोड़ रहे हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने पहली मार्च, 2019 को गौ सेवायोग का गठन किया है। इसमें 10 सदस्य सरकारी, 10 ही गैर-सरकारी और 10 विशेष आमंत्रित सदस्य हैं।
अयोग के वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने फैसला किया है कि मंदिर के ट्रस्टों की आय का 15 प्रतिशत और शराब की बोतल के अनुसार बिक्री पर एक रुपये गौवंश उपकर लगेगा। इसके ज़रिये अब तक 7.95 करोड़ रुपये आयोग के खाते में एकत्र किये गये हैं।
राज्य सरकार 47.50 करोड़ की लागत से एक सेक्स-सॉर्टेड वीर्य सुविधा केंद्र स्थापित कर रही है। इस केंद्र की स्थापना के लिए केंद्र सरकार 90 फीसदी अनुदान प्रदान करेगी। शेष 10 फीसदी धनराशि राज्य सरकार देगी। इस केंद्र में देशी गाय की नस्लों के लिए ऐसे इंजेक्शन तैयार किए जाएँगे जो केवल मादा बछड़े पैदा करेंगे। कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के लमलाहडी में सेक्स-सॉर्टेड वीर्य सुविधा केंद्र की स्थापना के लिए 740 कनाल भूमि का चयन किया गया है। इससे सडक़ों पर बेसहारा पशुओं की समस्या कम होगी और यह किसानों को पशुधन गतिविधियों को अपनाने के लिए भी प्रेरित करेगा।
राज्य भर में अयोग ने गौ-अभयारण्य और बड़े गौ आश्रम स्थापित किए हैं। करीब 1.52 करोड़ की लागत वाले गौ-अभयारण्य का नींव पत्थर सिरमौर िज़ले के कोटला बडोग में रख दिया गया है। इसी तरह अन्य जिलों में भी गौ सदन स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। ऊना िज़ले के थानाकला खास में 1.69 करोड़ रुपये की लागत और िज़ला सोलन के हाड़ा-कुड़ी में 2.97 करोड़ की लागत से गौ-अभयारण्य स्थापित किये जाएँगे। इसके अलावा िज़ला कांगड़ा के बाई अटारियां में मंदिर ट्रस्ट की संचालित गौशाला की बाड़ के लिए 77.90 लाख रुपये जारी किये गये हैं। इसके साथ ही गौ सदनों में क्षमता बढ़ाकर 1000 गायों की हो जाएगी। जिला बिलासपुर में बरोटा डबवाल और धरा-तातोह में गौ-अभयारण्यों की स्थापना के लिए भूमि का चयन किया गया है।
इसके अलावा कांगड़ा, मंडी और सोलन िज़लों में चार नए गाय आश्रय निर्माण करने के लिए 21 लाख रुपये भी जारी किये गये हैं। नौ नये गाय आश्रयों के निर्माण और स्थानीय क्षेत्रों की निराश्रित गायों को आश्रय प्रदान करने के लिए पुराने गाय आश्रयों के विस्तार के लिए आयोग ने 1.20 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। अब तक राज्य सरकार ने दो नये पशु चिकित्सा औषधालय शुरू किए हैं और आठ पशु चिकित्सा औषधालयों को पशु चिकित्सालय में अपग्रेड किया गया है, जबकि एक पशु चिकित्सालय को उप-प्रभागीय पशु चिकित्सा अस्पताल में अपग्रेड किया गया है।
इसके अलावा पशुपालन और डेयरी गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाएँ कार्यान्वित की हैं। साथ ही अनुसूचित जाति और सामान्य श्रेणी के बीपीएल परिवारों के लिए गर्भवती गाय और भैंस पालन के लिए पशु आहार योजना शुरू की है। इस योजना के तहत इन श्रेणियों के परिवारों के उत्थान के लिए उनकी गायों और भैंसों के गर्भाधान के पिछले तीन महीनों के दौरान 50 प्रतिशत अनुदान पर पशु आहार प्रदान करने के लिए 4.60 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। भारत सरकार ने डेयरी उद्योग विकास योजना शुरू की है।
इस योजना के तहत राज्य सरकार विदेशी नस्ल की गायों की खरीद पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त और लाभार्थियों को देसी नस्ल की गायों की खरीद पर 20 प्रतिशत उपदान प्रदान कर रही है। इसके अलावा साहीवाल, लाल सिंधी, गिर और थारपारकर नस्ल को भी पशु प्रजनन नीति में शामिल किया गया है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत पालमपुर के भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोगशाला में साहीवाल नस्ल के भ्रूण को तैयार करने के लिए केंद्र सरकार से 195.00 लाख रुपये प्राप्त हुए हैं। इसके लिए साहीवाल नस्ल की आठ गौ या बछड़ों की नस्लें पंजाब और हरियाणा से खरीदी गई हैं।
पशुपालन मंत्री और गौ सेवायोग के अध्यक्ष वीरेंद्र कँवर ने कहा कि वर्ष 2012 की पशु जनगणना के अनुसार 32107 बेसहारा गायें सडक़ों पर थीं और अब तक 9119 पशुओं को गौ घरों में आश्रय प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में गैर सरकारी संगठनों द्वारा 146 गौ आश्रम संचालित किए जा रहे हैं। पंचायती स्तर पर भी बेसहारा गायों के लिए गाय आश्रय, गाय शेड, पशु तालाब आदि का निर्माण किया जा रहा है।
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी गायों को न छोड़ें और पंचायती राज अधिनियम 2006 के तहत अपने पशुओं का पंजीकरण सुनिश्चित करें।