पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर 2 महीने के भीतर फैसला करने का आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राजोआना की लंबित याचिका पर फैसला लेना लंबित अन्य दोषियों की अपील के
रास्ते में नहीं आएगा। बता दें राजोआना 31 अगस्त, 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर एक विस्फोट में उस समय पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में शामिल होने के दोषी हैं।
इस विस्फोट में बेअंत सिंह के साथ 16 अन्य लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में जुलाई 2007 में एक विशेष अदालत ने राजोआना और उसके सहयोगी जगतार सिंह हवारा को मौत की सजा सुनाई थी।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या के दोषी और 25 साल से जेल में बंद राजोआना की सजा माफी पर केंद्र सरकार अभी तक रुख साफ नहीं कर पाई है। राजोआना ने दो साल पहले सर्वोच्च न्यायालय में रहम की याचिका दायर की थी। केंद्र ने अभी तक इसपर स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 30 अप्रैल तक निर्णय लेने का आदेश दिया था और साथ ही यह भी कहा था कि अगर इसके बाद भी रुख साफ नहीं किया तो गृह सचिव को कोर्ट के सामने व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होना होगा। कोर्ट ने कहा था कि दोषी की याचिका पर लंबे समय से केंद्र की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है।
जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस मामले में बहुत समय बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं किया गया है। केंद्र सरकार की ओर से उनके वकील के पास कोई साफ निर्देश नहीं है।
पीठ ने कहा – ‘हम निर्देश देते हैं कि इस मामले की जांच एजेंसी सीबीआई और भारत सरकार ‘दो हफ्ते के भीतर सजा को लेकर प्रस्ताव या आपत्ति दाखिल करें।’