आजकल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बुलडोज़र मनमानी करते हुए क़ानून की धज्जियाँ उड़ा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय में भी इस कार्रवाई के ख़िलाफ़ सुनवाई हुई है। लोगों की करुण अपील के बाद भी योगी आदित्यनाथ सरकार अपनी बुलडोज़र कार्रवाई को रोक नहीं रही है। मुख्यमंत्री योगी अपनी बुलडोज़र कार्रवाई को लेकर पूरे देश में इतनी चर्चा बटोर चुके हैं कि लोग उन्हें बुलडोज़र बाबा कहते हैं। बुलडोज़र से तोडफ़ोड़ के बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार कह चुके हैं कि वह अपराधियों के ख़िलाफ़ बुलडोज़र से कार्रवाई करेंगे। वहीं अनेक लोगों और विरोधियों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ अपने विरोधियों, आलोचकों और एक धर्म विशेष के लोगों के विरुद्ध बुलडोज़र का दुरुपयोग कर रहे हैं।
यह उनकी हिंसक मानसिकता का नमूना है। एक स्थानीय नेता का कहना है कि योगी आदित्यनाथ एक सन्त के रूप में अपनी पहचान को अब पलीता लगाकर तानाशाह की छवि लोगों के मन में गढ़ रहे हैं। उन्हें समझना चाहिए कि वह कोई गुंडा-मवाली नहीं हैं। इसलिए उन्हें लोगों से एक अच्छे प्रशासक की भाँति व्यवहार करना चाहिए।
स्थानीय नेता ने कहा कि वह एक हिन्दूवादी नेता हैं। मगर उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि वह अब प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं तथा प्रदेश की प्रजा उनकी अपनी प्रजा हैं। अगर उन्होंने अपनी बुलडोज़र नीति नहीं बदली तथा उसका सदुपयोग नहीं किया, तो उनके विरुद्ध लोगों को होते देर नहीं लगेगी। अगर उन्हें बुलडोज़र ही चलाना है, तो प्रदेश भर में हो चुके अतिक्रमण पर चलाना चाहिए। सडक़ों के दोनों ओर जो अतिक्रमण है, उसे हटाकर सडक़ों को ठीक कराएँ, तो उनकी जय-जयकार भी हो।
न्यायालय ने किये प्रश्न
इधर बुलडोज़र कार्रवाई, विशेषकर प्रयागराज में हिंसा के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले जावेद मोहम्मद उर्फ़ जावेद पंप के आलीशान घर पर बुलडोज़र चलाने को लेकर बवाल मचा हुआ है। उत्तर प्रदेश में प्रशासन की तरफ़ से चल रहे बुलडोज़र कार्रवाई रुकवाने हेतु जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने सर्वोच्च न्यायालय में जो याचिका दायर की थी, उस पर सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को समन भेजकर जवाब माँग चुका है।
हालाँकि बुलडोज़र कार्रवाई को रोकने के लिए न्यायालय ने कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया है, मगर उत्तर प्रदेश में चल रही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर प्रश्न अवश्य खड़े किये हैं। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से स्पष्ट कह दिया है कि कोई भी तोडफ़ोड़ की कार्रवाई क़ानून की प्रक्रिया के अनुसार ही होनी चाहिए। सब कुछ निष्पक्ष होना चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि अधिकारी क़ानून के अनुसार कार्य करेंगे।
विदित हो कि 10 जून, 2022 को जुमे की नमाज़ के बाद प्रयागराज में हिंसा के कथित मास्टरमाइंड जावेद मोहम्मद के प्रयागराज स्थित आलीशान घर को प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने 12 जून को ध्वस्त कर दिया। इसी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से जवाब माँगा था।
बिहार सरकार को फटकार
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की देखा-देखी दिल्ली में केंद्र सरकार से लेकर मध्य प्रदेश, झारखण्ड, बिहार में भी बुलडोज़र चल रहे हैं। पटना उच्च न्यायालय ने तो इसी बुलडोज़र कार्रवाई को लेकर बिहार की जदयू-रालोद की गठबंधन वाली सरकार की जमकर फटकार लगायी है। पटना उच्च न्यायालय ने अगमकुआँ क्षेत्र में एक महिला का घर बुलडोज़र से गिराने को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख़ अपनाते हुए कहा कि पटना एसपी (पूर्व), अंचल अधिकारी और अगमकुआँ पुलिस थाने के एसएचओ की फटकार लगाते हुए कहा कि क्या यहाँ भी बुलडोज़र चलने लगा? ऐसा कौन पॉवरफुल आदमी है कि बुलडोज़र लेकर घर तोड़ दिया इसका? तमाशा बना दिया है, किसी का भी घर बुलडोज़र से तोड़ देंगे? न्यायालय ने पुलिस और स्थानीय प्रशासन की कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अगमकुआँ पुलिस स्टेशन के अधिकारी क्षेत्र में सक्रिय भू-माफ़िया के साथ मिले हुए हैं।
उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार से पूछा कि क्या उसने भूमि विवाद को चिह्नित करके भूमि निष्पादन की शक्ति थाने को ही दे दी है? अगर किसी को कोई समस्या है तो वह पुलिस स्टेशन जा सकता है, पैसा दे सकता है और किसी का घर तोड़ सकता है। क्या यहाँ भी बुलडोज़र चलने लगा? आप किसका प्रतिनिधित्व करते हैं? राज्य या किसी निजी व्यक्ति का? तमाशा बना दिया। किसी का भी घर बुलडोज़र से तोड़ देंगे। क्या न्यायालय को बन्द कर देना चाहिए?
भाजपा नेताओं की दबंगई
उत्तर प्रदेश में भाजपा नेताओं से लोग डरते हैं, क्योंकि उनकी दबंगई चलती है। अभी नवंबर के ही महीने में लखीमपुर खीरी में भाजपा विधायक योगेश वर्मा ने एक दुकानदार से थोड़ी-सी नोंकझोंक पर रात के 10:00 बजे कई दुकानों पर बुलडोज़र चलवा दिया। लखीमपुर खीरी के ही रहने वाले विशाल कहते हैं कि लखीमपुर खीरी में बुलडोज़र की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी यहाँ अकारण ही बुलडोज़र चलता रहा है। भाजपा नेता और अधिकारियों से हर कोई डरता है कि कहीं बुलडोज़र न चल जाए। यहाँ के भाजपा नेता कितने घमंड में रहते हैं, इसकी बानगी किसान आन्दोलन के समय उन पर गाड़ी चढ़ाने से ही पता चलती है।
भौजीपुरा निवासी देवेंद्र सिंह कहते हैं कि बुलडोज़र कार्रवाई का उत्तर प्रदेश में यह हाल है कि शायद ही कोई जनपद ऐसा बचा होगा, जहाँ बुलडोज़र नहीं चला हो। हालाँकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश में अतिक्रमणकारियों के मन में इसी बुलडोज़र से डर पैदा किया है, मगर जहाँ भाजपा नेताओं के अतिक्रमण का मामला होता है, वहाँ कहीं पर भी बुलडोज़र नहीं चलता है। अवैध अतिक्रमण हटाने को लेकर इन दिनों सभी जनपदों के नगरों से लेकर गांवों तक बुलडोज़र कार्रवाई हो रही है, जिसे लेकर कुछ लोग प्रसन्न हैं, तो कुछ लोग क्रोधित भी हैं।
अतिक्रमण हटाने का क़ानून
बुलडोज़र से अतिक्रमण हटाने की परम्परा भले ही नयी लगती हो, मगर इससे पहले भी सरकारों ने बुलडोज़र से अतिक्रमण हटवाये हैं। मगर बुलडोज़र से अतिक्रमण हटाने और विरोधियों के घर ढहाने की इतनी बड़ी कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के अतिरिक्त आज तक किसी अन्य मुख्यमंत्री के कार्यकाल में नहीं हुई। अतिक्रमण हटाने कार्रवाई उत्तर प्रदेश नगरीय नियोजन एवं विकास अधिनियम-1973 के तहत होती है। नगरीय नियोजन एवं विकास अधिनियम-1973 की धारा-27 के तहत सरकार किसी भी अवैध सम्पत्ति को ढहाने, अतिक्रमण हटाने का राजस्व विभाग अथवा स्थानीय पुलिस प्रशासन को अवैध सम्पत्तियों को ढहाने का आदेश दे सकती है।
अगर इस अधिनियम के तहत सरकार द्वारा सम्पत्ति गिराने के अंतिम आदेश के अधिकतम 40 दिन के अन्दर अवैध निर्माण ढहाना आवश्यक होता है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार दो में जघन्य आरोपियों, अवैध निर्माण करने वालों तथा अतिक्रमणकारियों के यहाँ लगातार बुलडोज़र चल रहा है। यह बुलडोज़र कार्रवाई योगी आदित्यनाथ सरकार एक में भी हुई थी, मगर योगी आदित्यनाथ सरकार दो में यह अधिक तीव्रता से हो रही है।
शिकायतों की झड़ी
योगी सरकार दो की बुलडोज़र कार्रवाई से समाज दो हिस्सों में बँट चुका है। समाज का एक हिस्सा वो है, जो अतिक्रमणकारियों द्वारा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने की शिकायत सरकार से, राजस्व विभाग से और पुलिस प्रशासन से लगातार कर रहा है। वहीं समाज का दूसरा हिस्सा उन लोगों का है, जो अपने यहाँ बुलडोज़र कार्रवाई को लेकर यह शिकायत कर रहे हैं कि उनके विरुद्ध कार्रवाई उचित नहीं है। स्थानीय न्यायालयों से लेकर प्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय और देश के सर्वोच्च न्यायालय तक इस प्रकार की शिकायतें योगी आदित्यनाथ सरकार की इस नीति के विरुद्ध पहुँच रही हैं। समाज की इसी श्रेणी में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अधिकारियों से मिलीभगत करके अपने द्वारा अतिक्रमित की गयी भूमि के बचाव के प्रयास में लगातार लगे हैं। कुल मिलाकर बुलडोज़र कार्रवाई चल रही है; मगर इसे निष्पक्ष होना चाहिए, तब इसका लाभ अधिक होगा।