बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। बिहार में राजनीतिक समीकरणों के साथ सियासी दल अपने –अपने दावों के साथ जीत हार का गुणा-भाग लगाने में लगे है। राजनीति दलों के आकाओं के पास इस समय बड़ी ही असमजंस की स्थिति बनी हुई है, कि गठबंधन भी हो जाये और गांठ भी ना बने । पर ऐसा होता दिख नहीं रहा है। बिहार के नेताओं का कहना है कि अगर लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव को कांग्रेस सहयोग करती है तो तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री घोषित किया जा सकता है। क्योंकि तेजस्वी यादव की छवि तेजी से बिहार की राजनीति में उभरी है। पर कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई ऐसे संकेत नहीं मिले है । वहीं लोजपा के नेता रामविलास पासवान के बेटा चिराग पासवान भले ही जेडीयू और भाजपा से अपनी बात को अपने तरीके से कह रहे है कि चुनाव में उनको सीटें ज्यादा से ज्यादा दी जाये । पर जेडीयू और भाजपा की और से उनकी मांगों पर कोई गौर ना किया गया है और ना भाव दिये गये है। ऐसे में कुछ गठबंधन की राजनीति में गांठ पड़ने के संकेत मिल रहे है। जबकि भाजपा आलाकमान और बिहार इकाई के नेताओं का कहना है कि भाजपा जेडीयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी ।
बिहार के नेता रोहित सिंह का दावा है कि “अगर कांग्रेस, राजद या अन्य विपक्षी दल नीतिश कुमार और भाजपा के खिलाफ सिर्फ किसान की मांगों, कोरोना महामारी पर सरकार की असफलता और बेरोजगारी पर ही चुनाव लड़ेगे तो चुनाव परिणाम चौकांने वाले साबित होगें। क्योंकि जनता कोरोना काल में काफी परेशानी से जूझ रही है । लेकिन सरकार द्वारा कोई भी ऐसा काम नहीं किया जा रहा है जिससे वो राहत में हो, बिहार की जनता बदलाव चाहती है।”