बिहार के शुरुआती रुझानों में अब भाजपा-जदयू गठबंधन आरजेडी-कांग्रेस-वामपंथ गठबंधन से आगे हो गया है। अभी तक रुझानों में सुबह 11 बजे तक एनडीए बहुमत के आंकड़े से कहीं आगे 131 पर पहुंच गया है जबकि यूपीए 100 पर अटक गया है। एग्जिट पोल के विपरीत भाजपा बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है और कांग्रेस पिछले आंकड़े से भी पीछे चल रही है। आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन की नजर ग्रामीण क्षेत्रों की गिनती पर टिकी हुई है, जहां उसको लगता है कि वह एनडीए से आगे चली जाएगी। एलजेपी भी अब मैदान में दिखने लगी है।
पोस्टल बैलेट की मतगणना के समय यूपीए आगे चल रहा था। उसके बाद शहरी क्षेत्रों की ईवीएम की गिनती हो रही है जहां भाजपा का प्रभाव ज्यादा है। हालांकि, दोनों एनडीए और यूपीए के बीच अंतर् जिस तरह बढ़ा है, उससे तेजस्वी खेमे की चिंता बढ़ी है। इस चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी, इसके साफ़ संकेत प्रचार में दिख रहे थे लेकिन फिलहाल भाजपा आगे चल रही है। तेजस्वी यादव अपने चुनाव में आगे चल रहे हैं।
वीआईपी पार्टी भी अच्छा प्रदर्शन करती दिख रही है जबकि एलजेपी, जो शुरू में कहीं दिखाई नहीं दे रही थी, वो अब 10 के करीब सीटों पर आगे है। इस चुनाव की घोषणा के बाद प्रचार में जब यह दिखने लगा था कि नीतीश कुमार अपना जलबा कायम नहीं रख पाएंगे, तब इस चुनाव में पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा आगे कर दिया गया था। यहाँ तक कि जदयू के लोग भी मोदी के नाम पर वोट मांग रहे थे।
अभी पूरी तस्वीर साफ़ होने में कमसे कम तीन घंटे लगेंगे। भाजपा बार-बार दावा कर रही है कि आने वाले कुछ घंटों एनडीए अपना बहुमत जुटा लेगी। इस चुनाव में जब कांग्रेस को 70 सीटें आरजेडी ने दी थीं, तब यह कहा गया था कि यह बहुत ज्यादा हैं। अभी तक के रुझानों से लगता है कि कांग्रेस उस लिहाज से प्रदर्शन नहीं कर पाई है, हालांकि, अभी भी वो 19 सीटों पर आगे है जो उसकी पिछली सीटों से काफी कम हैं।
आरजेडी इस चुनाव में लोगों की पहली पसंद बनी दिख रही थी लेकिन फिलहाल भाजपा उस से आगे है। चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी की सभाओं में उमड़ी भीड़ से जाहिर हो रहा था कि आरजेडी को जनता का बंपर समर्थन मिलने वाला है लेकिन ऐसा हुआ नहीं दिख रहा।
साल 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी बनी थी लेकिन उसने बड़ा दिल दिखाते हुए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया था, जिन्होंने बदले में तेजस्वी को उप मुख्यमंत्री बनाया था। इस चुनाव के प्रचार में पीएम मोदी ने आरजेडी के बराबर ही कांग्रेस को भी निशाने पर रखा था। उन्होंने राहुल-तेजस्वी की जोड़ी को ‘दो युवराजों’ की जोड़ी बताया था और साथ ही हर जनसभा में लालू प्रसाद यादव के ‘जंगलराज’ की बात कहकर भी जनता को अपने पाले में लाने की कोशिश की। यह चुनाव यदि यूपीए हारता है तो आरजेडी के लिए बड़ा झटका होगा।