कहते हैं बच्चे भगवान समान होते हैं। अगर किसी के जिगर के टुकड़े को अलग करके उसकी माँ को जेल पहुंचा दिया जाए तो उस बच्चे का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा शायद गिरफ्तार करवाने वालों को भी नहीं होगा। दरअसल, ये मामला है मध्य प्रदेश के सागर का है। यहां पर एक आपराधिक मामले में परिवार के तीन-चार सदस्यों को आरोपी बनाया गया है। इनमें से एक चार साल के मासूम की माँ भी शामिल है। इन सबको पुलिस ने गिरफ्तार करके केंद्रीय जेल सागर भेज दिया।
इसके बाद शायद आरोप लगाने वालों ने भी नहीं सोचा होगा कि उस मासूम का क्या होगा? जो पिछले चार साल से माँ के दामन से चिपका रहा हो। इस बच्चे को आँसू देखकर दैनिक भास्कर के पत्रकार अभिषेक यादव का दिल पिघल गया। उससे रहा नहीं गया। उसने तत्काल केंद्रीय जेल सागर के अफसरों से बातचीत की। उनको बताया कि ऐसी-ऐसी बात है और बच्चे को लेकर जेल परिसर पहुँच गया। अफसरों ने भी उसकी बात सुनी और बच्चे को लंबे समय से सिसकता देखकर माँ से मिलाने को राजी हो गए। पर कानूनी प्रक्रिया का पालन करना भी उनके लिए जरूरी होता है। इसके लिए कोर्ट की मंजूरी जरूरी थी। लिहाजा जेल अफसरों ने कोर्ट पहुंचकर आवेदन किया और जज साहब भी मामले को सुनने के लिए उसी समय तैयार हो गए।
विशेष न्यायाधीश एडीजे डीके नागले को मामला बताया। उन्होंने बच्चे की माँ की ओर से लिखित आवेदन मांगा। जज बुधवार रात करीब 8.30 बजे जिला अदालत पहुंच गए। यहां से जेलर नागेंद्र सिंह चौधरी, माँ और सुपरिटेंडेन्ट संतोष सिंह सोलंकी की ओर से लिखी चिट्ठी लेकर अदालत में हाजिर हो गए। जज ने मामला सुना और मासूम को माँ से मिलने की अनुमति दे दी।
जिंदगी में पहली बार कोर्ट खुलवाया, दिली सुकून मिला
जेल के सुपरिटेंडेन्ट सोलंकी बोले, मेरे जिंदगी में ये पहला ऐसा मामला हैं, जिसमें मैंने कोर्ट खुलवाने के लिए आवेदन किया। मासूम की हालत देख कोई भी ऐसा करने से खुद को नहीं रोक सकता था। माँ-बेटे को मिलाने के बाद मुझे दिली सुकून मिला है।