गुजरात सरकार के रेप और हत्या से जुड़े दोषियों की रिहाई करने के फैसले वाला बिलकिस बानो मामला अब सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। इस फैसले के खिलाफ एक याचिका मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर करके इसकी जल्दी सुनवाई करने की मांग की गयी है।
जानकारी के मुताबिक बिलकिस बानो के इस मामले में याचिका सुभासिनी अली, रेवती लाल और रूपरेखा वर्मा ने दायर की है। याचिका को लेकर प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना ने कहा कि वो इस मामले को देखेंगे। याचिकर्ताओं के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और वकील अपर्णा भट्ट ने इसकी जल्द सुनवाई की मांग की है।
अदालत में आज कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च अदालत से आग्रह किया कि मामले की कल (बुधवार) को ही सुनवाई की जाए। उन्होंने कहा कि 14 लोगों की हत्या और गर्भवती महिला से गैंगरेप के 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया।
याद रहे दो हफ्ते पहले गुजरात सरकार ने प्रदेश की ‘क्षमा नीति’ के आधार पर सभी दोषियों की रिहाई को मंजूरी दे दी थी जिसके बाद देश भर में इस फ़ैली की कड़ी निंदा हुई। बता दें मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 11 दोषियों को बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के जुर्म में 21 जनवरी, 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने इस फैसले को बरकरार रखा था।
यह फैसला आने के बाद दो दिन पहले ही बिलकिस ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था – ‘इस कदम ने न्याय के प्रति उनके विश्वास को हिलाकर रख दिया है। दो दिन पहले, 15 अगस्त 2022 को पिछले 20 साल का दर्द फिर से उभर आया। जब मैंने सुना कि जिन 11 दोषियों ने मेरे परिवार और मेरी जिंदगी को तबाह किया था और मेरी 3 साल की बेटी को मुझसे छीना था, आजाद हो गए हैं।’
अपने बयान में बिलकिस ने कहा था कि उनके पास कहने के लिए शब्द नहीं हैं। वे स्तब्ध हैं। वो सिर्फ यही कह सकती हैं कि किसी महिला के लिए न्याय आखिर इस तरह कैसे खत्म हो सकता है? उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने देश के सर्वोच्च कोर्ट पर भरोसा किया, सिस्टम पर भरोसा किया और धीरे-धीरे इस बड़े ‘आघात’ के साथ जीने की आदत डाल रही थीं।