सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई को लेकर कहा कि, हर दोषी एक जैसा नहीं होता है और कुछ लोग तो दूसरों के मुकाबले विशेषाधिकार जैसी स्थिति में होते हैं।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की बेंच में इस बात को लेकर सुनवाई चल रही है और सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि, बिलकिस बानो केस के दोषी उन लोगों के साथ अपनी तुलना नहीं कर सकते, जो अपनी सजा के दौरान कभी पैरोल पर जेल से बाहर ही नहीं गए।
सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने एक दोषी का पक्ष रखते हुए कहा कि, इन लोगों में बहुत सुधार आया था। जेल के अंदर इनका व्यवहार काफी अच्छा रहा है। ऐसे में सुधार का मौका देने के सिद्धांत के तहत उनकी रिहाई गलत नहीं थी।
लूथरा ने आगे कहा कि, जेल के अंदर पूरी जिंदगी गुजारना कठिन होता है। ये लोग बीते 15 सालों से जेल में बंद थे और इनका परिवार बाहर इंतजार कर रहा था। इन लोगों का इंतजार था कि ये जेल से बाहर आएं और सुधरे हुए इंसान के तौर पर जिंदगी बिताएं। सुधार ही तो न्याय की अहम कड़ी है।
सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा की बातों से अदालत संतुष्ट नहीं दिखी। बेंच ने लूथरा के तर्क के जवाब में कहा कि, लेकिन इस मामले में ये लोग कई बार जेल से बाहर आए। कुछ कैदी ऐसे होते हैं, जिन्हें दूसरों के मुकाबले ज्यादा अधिकार मिलते है। यह अहम बिंदु है, जिस पर हम बात करना चाहते हैं।
बता दें सुप्रीम कोर्ट बिलकिस बानो गैंगरेप और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने का आरोप के दोषियों पर उम्रकैद की सजा पाए 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है।