क्या देश भर में, बल्कि विश्व भर में बिना लक्षण के भी कोरोना के जो पॉजिटिव मामले सामने आ रहे हैं, वो वास्तव में इस रोग के किसी गम्भीर रुख का संकेत करते हैं या इसके पीछे कोई और बजह है? टेस्टिंग किटों की गुणवत्ता को लेकर उठ रहे सवालों के बीच यह बहुत खतरनाक स्थिति है, जिसे लेकर दुनिया भर के चिकित्सक चिन्ता में डूब गये हैं। सच यह है कि रैपिड टेस्ट किट की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा हो गया है।
लेकिन अब जो जानकारी सामने आ रही है, उसमें कुछ विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह पॉजिटिव मामले बिना लक्षण के आना, दोषपूर्ण जाँच किट के कारण भी हो सकता है। वैसे भी चीन से महँगी कीमतों पर आ रही कोरोना जाँच किट की गुणवत्ता को लेकर गम्भीर सवाल उठ रहे हैं।
कई राज्यों ने आरोप लगाये हैं कि जो जाँच किटें उन्हें दी गयी हैं, वो दोषपूर्ण या खराब हैं। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने आरोप लगाया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) की सप्लाई की जा रही खराब टेस्टिंग किट के कारण कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए की जा रही जाँच के परिणाम बिना नतीजे के आ रहे हैं, जिससे पूरी जाँच प्रक्रिया में देरी हो रही।
राजस्थान सरकार ने इसी कारण से रैपिड कोरोना जाँच पर 21 अप्रैल को रोक लगा दी। राष्ट्रीय हैजा और आंत्र रोग संस्थान (एनआईसीईडी) की निदेशक शान्ता दत्ता तो कह चुकी हैं कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जाँच किटें इतनी प्रामाणित नहीं कि वो सही रिजस्ट दें पाएँ। सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए यह बहुत ही मुश्किल काम है कि पहले वो इन किटों की गुणवत्ता की जाँच करें।
दरअसल पहले टेस्टिंग किटें पुणे में बनायी जा रही थीं। लेकिन जब टेस्टिंग किटों की माँग बढ़ी, तो मोदी सरकार ने चीन से जाँच किटें मँगवाने का फैसला किया। दक्षिण कोरिया से भी किटें मँगवायी जा रही हैं।
जैसे ही जाँच किटों के दोषपूर्ण होने की जानकारी सामने आयी राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने रैपिड टेस्ट पर रोक लगा दी। सूबे के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि किटों के गलत परिणाम सामने आ रहे हैं, जिसकी वजह से राज्य में एंटीबॉडी रैपिड टेस्ट रोक दिया गया है। जाँच किटों के इस्तेमाल में हमारी तरफ से कोई प्रक्रियागत चूक नहीं हुई है। यह किटें इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा भेजी गयी थीं और हमने इसकी सूचना आईसीएमआर को दे दी है।
अब दिक्कत यह हो गयी है कि डॉक्टरों को मरीज़ों की कोरोना जाँच करने से पहले रैपिड टेस्ट किट की ही जाँच करनी पड़ रही है। दूसरे मरीज़ों की जाँच भी दोहरानी पड़ रही है। उधर, इस सारी कवायद के दौरान आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर. गंगाखेड़कर ने कहा कि ऐसी सूचना मिली है कि पश्चिम बंगाल में कुछ जाँच किटें ठीक से काम नहीं कर रही हैं। हमें यह ध्यान रखना है कि ये पीजीआई किट अमेरिकी लैब से मान्य हैं। यकीनन इन किटों को 20 डिग्री से कम तापमान में रखना होगा। ऐसा नहीं करने से दिक्कत होगी।
यही नहीं चीन से आईएन पीपीई किट आने के बाद 17 अप्रैल को यह जानकारी सामने आयी कि कोरोना वायरस की जाँच के लिए चीन से मँगवायी गयीं पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) किटें भी टेस्ट में फेल हो गयी हैं। भारत सरकार ने चीन से 63 हज़ार पीपीई किटों का आयात किया था, जिसके बाद जानकारी आयी कि ये पीपीई किटें सुरक्षा मानदंडों को पूरा नहीं करती हैं।
इससे पहले 5 अप्रैल को भी चीन से 1.70 लाख पीपीई किटें आयी थीं और डीआरडीओ लैब में हुई उनकी जाँच में पाया गया कि इनमें से 50 हज़ार सुरक्षा के लिहाज़ से उचित नहीं पायी गयीं। इसके बाद इनके वितरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगानी पड़ी। और भी दिलचस्प यह है कि भारत की भी दो नामी कम्पनियों ने 40 हज़ार पीपीई किटें सरकार को उपलब्ध करायी गयीं, लेकिन वो भी सुरक्षा जाँच में मापदंडों पर खरी नहीं उतरीं।
पीपीई किटों के अलावा सबसे ज़्यादा चिन्ता टेस्टिंग किटों ने पैदा की है। कई देश टेस्टिंग किटों को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। चीन सफाई दे रहा है कि चीन से वही कीटें मँगवाई जाएँ, जो उसके द्वारा तय कम्पनियाँ बना रही हैं। हालाँकि, कई देशों ने चीन से किटें मँगवानी बन्द कर दी हैं।
दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने भी 20 अप्रैल को कहा कि दिल्ली में 186 ऐसे पॉजिटिव मामले आये हैं, इनमें से किसी भी मरीज़ में कोरोना वायरस का एक भी लक्षण नहीं था। ज़ाहिर है इन खबरों से चिन्ता बढ़ी है। क्योंकि जब किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण ही नहीं होंगे, तो वह टेस्ट के लिए जाएगा भी क्यों? ऐसे में यदि वह सचमुच कोरोना वायरस से संक्रमित है, तो ज़ाहिर है कि वह अपने सम्पर्क में आने वाले अन्य लोगों को भी अनजाने में संक्रमित कर देगा।
फिलहाल यह ज़रूरी है कि टेस्टिंग किट को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाँच हो, ताकि टेस्टिंग किटों का सच सामने आ सके। यदि लोगों में टेस्टिंग किटों के दोषपूर्ण होने के कारण पॉजिटिव नतीजे आ रहे हैं, तो भी यह बहुत गम्भीर बात है।