अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों की गिनती अभी जारी है और व्हाइट हाउस कौन जाएगा इसका फैसला होने में अभी कुछ वक्त लगेगा। गुरूवार सुबह 7 बजे (भारतीय समय) के मुताबिक डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन 264 वोट लेकर बहुमत के आंकड़े (270/538) से सिर्फ 6 वोट दूर हैं। रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप को अभी तक 214 ही वोट मिले हैं। हालांकि, अमेरिका में इन नतीजों को लेकर तनाव है और हिंसा की आशंका बन रही है। ट्रंप ने वोटों की गिनती को लेकर कोर्ट की शरण ली है, जिससे संभावना बन रही है कि नतीजे लटक सकते हैं और सुप्रीम कोर्ट के पाले में गेंद चली जाएगी। ट्रंप कह चुके हैं कि नतीजों को वह यूं ही स्वीकार नहीं कर लेंगे। बिडेन ने राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा व्यक्तिगत इलेक्टोरल वोट हासिल करने का रेकार्ड बना दिया है। यदि ट्रंप चुनाव हारते हैं तो पिछले काफी चुनावों के बाद ऐसा होगा कि कोई राष्ट्रपति एक बार के बाद ही चुनाव हार जाए।
इन सब के कारण दोनों उम्मीदवारों के समर्थकों के बीच जबरदस्त तनाव दिख रहा है। देश भर में सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। बहुत जगह देखा गया है कि शॉपिंग केंद्रों को निचले हिस्से में लकड़ी के कवर से ढक दिया गया है ताकि हिंसा होने की सूरत में इन्हें नुक्सान न पहुंचे।
राष्ट्रपति ट्रंप ने वोटों की गिनती को लेकर सवाल उठा दिया है जिसके बाद बिडेन की उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस ने आज कहा है कि हरेक वोट की गिनती होनी चाहिए। ट्रंप पेंसिल्बिनिया और जार्जिया में गिनती को लेकर अपनी शिकायतों के साथ कोर्ट चले गए हैं। नेबादा के वोटों की गिनती इस समय चल रही है और यदि बिडेन इस राज्य को जीत लेते हैं तो व्हाइट हाउस जाने का उनका रास्ता साफ़ हो जाएगा।
बुधवार को जो बिडेन और ट्रंप के बीच ट्वीटर पर भी जबरदस्त जंग दिखी थी और दोनों ने अपनी-अपनी जीत के दावे किये थे। बढ़त के बाद अमेरिका में काफी जगह बिडेन के समर्थक अपने घरों और बाज़ारों में नीले रंग की रोशनी का प्रदर्शन करते दिखे हैं जबकि ट्रंप समर्थक लाल रंग का इस्तेमाल करते हैं।
फिलहाल पूरी दुनिया की निगाहें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर लगी हुई हैं। भारतीय समय के मुताबिक बुधवार देर रात पेन्सिलवेनिया, जॉर्जिया, मिशिगन और विस्कॉन्सिन में मतों की गणना रोक दी गई। डोनाल्ड ट्रंप ने एक ट्वीट करके बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि पेंसिल्वेनिया में 5 लाख वोट ‘गायब’ हो गए हैं। ट्रंप ने कहा कि पेंसिल्वेनिया, विस्कॉन्सिन और मिशिगन, जहां पर जो बिडेन को वोट मिल रहे हैं, वह देश के लिए बहुत बुरा है। अब यह भी तय हो गया है कि इन आरोप-प्रत्यारोप को देखते हुए लगता है कि ट्रंप और बिडेन कानूनी लड़ाई में जा सकते हैं।
भारत की नजर भी अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव नतीजों पर लगी है। यदि बिडेन जीतते हैं तो यह देखना होगा कि उनका चीन, पाकिस्तान और कश्मीर को लेकर क्या रुख रहता है। भारत के लिए यह सभी मुद्दे बहुत महत्पूर्ण हैं। एच1वी वीजा को लेकर भी भारत, खासकर यहां के प्रोफेशनल्स की नजर बिडेन पर रहेगी, जिसे ट्रंप ने रद्द कर दिया है। अभी तक भारत के पीएम मोदी और ट्रंप के बीच गहरी मित्रता रही है, हालांकि, कुछ मुद्दों पर ट्रंप को लेकर मोदी तो रक्षात्मक भी होना पड़ा है।
जो बिडेन ने इस चुनाव में 7 करोड़ से ज्यादा व्यक्तिगत इलेक्टोरल वोट हासिल किये हैं जो अभी तक सबसे ज्यादा वोट लेने वाले बराक ओबामा के 6.94 करोड़ से ज्यादा हैं। बिडेन ओबामा की ही डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी हैं।
आज सुबह जो बिडेन ने दवा किया था कि गिनती पूरी होने के बाद उनकी जीत तय है। उन्होंने कहा कि वे इस समय जीत का दावा नहीं कर रहे लेकिन उन्हें पक्का भरोसा है कि गिनती के बाद वे जीत रहे हैं।
इस बार चुनाव में अधिकतर वोट मेल-इन (पोस्टल या डाक वोट) के जरिए डाले गए हैं, लिहाजा इन वोटों को लेकर ही सबसे ज्यादा विवाद है। सभी राज्यों में मेल-इन वोटों की गिनती को लेकर अलग-अलग नियम हैं। इसी को लेकर ट्रंप धांधली का आरोप लगा रहे हैं, और कुछ राज्यों को लेकर वे कोर्ट गए हैं। ट्रंप बिडेन को ‘भ्रष्ट’ बता चुके हैं जबकि बिडेन ने इसके बाद ट्रंप पर हमले किये हैं।
इस बार के वोटों के रुझानों से लगता है कि अश्वेत और मुस्लिम बिडेन के पक्ष में गए हैं। अश्वेतों का बिडेन के साथ जाने का एक मुख्य कारण कुछ महीने पहले की जार्ज लॉयड से जुड़ी घटना है जिन्हें पुलिस से झड़प के बाद अपनी जान गंवानी पड़ी थी और ट्रंप पुलिस के साथ खड़े दिखे थे।
अमेरिकी मीडिया भी कल चुनाव नतीजों को लेकर बंटा हुआ दिख रहा था। आज सीएनएन 253 वोटों के साथ बिडेन के बढ़त दिखा रहा है जबकि उसके मुताबिक ट्रंप को 213 वोट मिले हैं। उधर द न्यूयॉर्क टाइम्स ने ट्रंप को 214 और बिडेन को 253 वोट दिखाए हैं। द न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि बिडेन का पलड़ा भारी जरूर है, लेकिन अमेरिका की संसद यानी कांग्रेस के उच्च सदन सीनेट में बहुमत हासिल करने के लिए बिडेन की पार्टी को कड़ा संघर्ष है। यदि डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बिडेन राष्ट्रपति बन भी जाते हैं तो सीनेट में बहुमत के बिना उनके लिए काम करना आसान नहीं होगा।