‘केदार घाटी 2013 की अचानक आई बाढ़ में खासी तबाह हो गई थी। दोनों का नुकसान हुआ। लोग मरे और संपत्ति भी नष्ट हुई। यह बड़ी विपदा थी। मैं यहां आया था। गुजरात में तब मैं मुख्यमंत्री थाÓ अपने भाषण में कहा प्रधानमंत्री ने। मैंने उत्तराखंड में तब मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा (अब भाजपा में) को प्रस्ताव दिया कि इस पूरे क्षेत्र में हम पुननिर्माण के लिए तैयार हैं। पहले तो उत्तराखंड सरकार ने हामी भरी लेकिन बाद में केंद्र में राज कर रही यूपीए सरकार के कहने पर प्रस्ताव खारिज कर दिया।
‘लेकिन अब हम इस हैसियत में है कि केदार घाटी में पुननिर्माण का काम करें। अब समय चक्र पूरा हो गया है। बाबा ने खुद बेटे को बुला कर पुननिर्माण कार्य पूरा करने को कहा है। अब केदार नाथ को आधुनिक मूल संसाधनों से लैस किया जाएगा लेकिन पारंपरिक भावना बनाए रखी जाएगी। यह एक आदर्श तीर्थस्थान बनेगा। पुजरियों और तीर्थयात्रियों को महत्व मिलेगा।Ó
इसी साल दूसरी बार केदारनाथ पहुंचे थे नरेंद्र मोदी। वे पिछली बार पहली मई को आए थे। तभी शीतकाल के बाद केदारनाथ धाम के फाटक खुले। यह बड़ी बात है कि साढ़े चार लाख तीर्थयात्री इस दौरान आए। मोदी की वापसी के बाद ही गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट शीतकालीन अवकाश के लिए बंद हो गए। बद्रीनाथ के कपाट 19 नवंबर से बंद होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा ‘हम आज़ादी के 75 साल 2022 में मनाएंगे। मुझे अपनी शपथ पूरी करनी है कि विकसित भारत का सपना तब तक पूरा हो।Ó केदारनाथ के पास ही गरुडचट्टी में उन्होंने अपनी धार्मिक खोज के शुरू के साल बिताए थे। उसी दौरान आज़ादी के 75 साल होने तक विकसित भारत बना पाने का तब प्रण किया था। ‘मेरा इरादा तो बाबा की सेवा करना था लेकिन उन्हांने शायद यही चाहा कि मै 125 करोड़ बाबाओं की सेवा करुं।Ó
उत्तराखंड सरकार के केदार घाटी में चल रहे काम की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि केदार पुननिर्माण में खासे बड़े फंड की ज़रूरत होगी। उन्होंने कारपोरेट घरानों से इस पुननिर्माण में सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि कारपोरेट अपने कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड से सहयोग करें। इस मौके पर जिंदल स्टील्स के सज्जन जिंदल प्रधानमंत्री के साथ इस यात्रा में रहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कारपोरेट ने कस्बे के निर्माण की जिम्मेदारी ली है। पुननिर्माण कार्यों के चलते नई केदारपुरी बनाई जा रही है।
केदारनाथ के कायाकल्प मे धन की कमी नहीं होगी। प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड को पांच साल में आर्गेनिक राज्य बनाने की बात कही। उन्होंने700 करोड़ रुपए की लागत में आदि शकराचार्य का समाधिस्थल, मंदाकिनी-सरस्वती नदी पर बाढ़ सुरक्षा और घाट निर्माण, संग्रहालय,तीर्थपुरोहितों के भवन, योग और ध्यान केंद्र बनने हैं। उन्होंने कहा कि चार धाम विकास के लिए 12,000 करोड़ की राजमार्ग विकास योजना का शुभारंभ हो चुका है। खेल,एडवेंचर, जलस्त्रोत, जड़ी-बूटियों के उत्पादन से पर्यटन के नए क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर बनेंगे।
केदारनाथ से कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने कहा यहां की जनता में प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर बहुत उल्लास था। लेकिन उनकी यात्रा सिर्फ राजनीतिक होकर रह गई। केंद्र सरकार ने केदारनाथ में आठ हजार करोड़ के पुननिर्माण की योजना मंजूर की थी लेकिन आज तक सिर्फ दो हजार करोड़ रुपए ही दिए गए। बाकी रकम के बारे में वे इस यात्रा में बोले भी नहीं।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस बात पर अफसोस जताया कि जिन परियोजनाओं की शुरूआत उन्होंने की थी उन्ही का शिलान्यास फिर कर दिया है। उन्होंने बताया कि जिन पांच कामों का उल्लेख किया गया। इनमें नदी किनारे घाट बनाने का काम पहले से चल रहा है और बाढ़ सुरक्षा के काम भी जारी हैं। गौरीकुंड और केदारनाथ के बीच पैदल मार्ग निर्माण भी चल रहा है जो कांग्रेसी राज में शुरू हुआ था। मोदी ने उत्तराखंड के लोगों का बस मन बहलाया भर है।
अजय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा उत्तराखंड की अपनी यात्रा में प्रधानमंत्री ने केदारनाथ धाम, और उत्तराखंड के लिए बहुत अहम योजनाओं की घोषणा की और राज्य के विकास का नया मार्ग बताया। कांग्रेस के विरोध से जाहिर है कि वे विकास के पक्ष में नहीं हैं।