करीब 28 साल पहले अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भारी भरकम भीड़ ने कानून व्यवस्था को धता बताते हुए बाबरी ढांचे को ढहा दिया था। इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, कल्याण सिंह समेत कई बड़े नेता आरोपी हैं। लखनऊ की विशेष अदालत इस मामले पर 30 सितंबर को फैसला सुनाएगी। सभी को फैसले के वक्त अदालत में मौजूद रहना होगा।
बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में 6 दिसंबर 1992 को थाना राम जन्मभूमि में एफआईआर दर्ज की गई थी। मामले में 49 लोगों को आरोपी बनाया गया। इनमें बाला साहेब ठाकरे, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णुहरि डालमिया समेत 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है। आरोपियों में विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, राम विलास वेदांती, साक्षी महाराज, विहिप नेता चंपत राय, महंत नृत्य गोपाल दास भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2017 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट को 31 अगस्त तक सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था। 1 सितंबर को विशेष जज एसके यादव ने मामले में सुनवाई पूरी की। इसके बाद जज ने फैसला लिखना शुरू किया। जज ने कहा, मामले में 30 सितंबर को फैसला सुनाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस को अपराध कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचे के विध्वंस को अपराध कहा था। कोर्ट के मुताबिक, इस घटना ने संविधान के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को हिलाकर रख दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने वीआईपी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप को बहाल करने की सीबीआई की याचिका को स्वीकार कर लिया था। साथ ही अदातल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 12 फरवरी 2001 के फैसले में आडवाणी और अन्य के खिलाफ साजिश रचने के आरोप को हटा देने को गलत बताया था। अप्रैल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने रायबरेली में चल रहे मामले को सीबीआई की विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।
ये हैं ज़िंदा बचे आरोपी
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुधीर कक्कड़, सतीश प्रधान, राम चंद्र खत्री, संतोष दुबे, ओम प्रकाश पांडे, कल्याण सिंह, उमा भारती, राम विलास वेदांती, विनय कटियार, प्रकाश शारना, गांधी यादव, जय भान सिंह, लल्लू सिंह, कमलेश त्रिपाठी, बृजभूषण सिंह, रामजी गुप्ता, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, धर्मदास, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, साध्वी ऋतंभरा, पवन पांडे, विजय बहादुर सिंह, आरएम श्रीवास्तव और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर।