उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा दिन व दिन चढ़ता जा रहा है। वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मतदाताओं का रूख जानना आसान नहीं है। लेकिन किसानों का स्पष्ट कहना है कि वे इस बार सत्ता परिवर्तन के नाम पर वोट करेगें।
बताते चलें किसानों का रोष केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार के विरोध में लगातार जारी है। किसानों का कहना है कि केन्द्र सरकार किसानों को गुमराह करने में लगी है। लेकिन किसान किसी भी हालत में गुमराह होने वाला नहीं है। किसानों का मानना है कि किसानों ने कृषि कानून को लेकर आंदोलन तो समाप्त कर दिया है। लेकिन किसान अपनी मांगों को लेकर संघर्ष जारी रखे हुये है।
किसान नेता चौ. बीरेन्दर सिंह का कहना है कि 10 फरवरी को उत्तर प्रदेश में पहले चरण का चुनाव होना है। जिसमें शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, गौतम बुद्धनगर बुलंदशहर, मथुरा, आगरा और अलीगढ़ जिले की विधानसभा सीटो पर चुनाव होने है। उनका कहना है कि ये किसानों का बैल्ट कहा जाता है। यहां के किसानों ने कृषि आंदोलन के दौरान आर-पार का संघर्ष किया था। इस लिहाज से किसानों का रूख सरकार के विरोध में है।
मौजूदा समय में किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार पर आरोप लगा रहे है कि किसानों को सरकार आश्वासन पर आश्वासन दे रही है। लेकिन मुख्य समस्या के समाधान पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पिछले चुनावों के परिणामों पर गौर करें तो वहां के मतदाता दुबारा एक ही पार्टी की सरकार को कम ही मौका देते है। अगर यहां पर किसानों के साथ गरीब और मजदूर एक साथ सरकार के विरोध में मतदान करते है। तो परिणाम चौंकाने वाले साबित होगें। यानि किसान बाजी पलटने के मूड़ में है।