उत्तर प्रदेश के लिए बसपा और सपा ने गुरूवार को अपने गठबंधन पर अंतिम मुहर लगा दी और कौन किस सीट पर लड़ेगा इसकी घोषणा कर दी गयी। हालांकि सपा को इस गठबंधन में राजनीतिक घाटा हुआ है और उसे बसपा से एक सीट कम मिली है। सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे के बसपा से समझौते को नकारते हुए इसे ”पार्टी को ख़त्म करने जैसा” बताया है।
सीटों के इस बटबारे से दिखता है कि ज्यादा शहरी सीटें सपा और ग्रामीण सीटें बसपा के हिस्से आई हैं। बसपा ३८ और सपा ३७ सीटों पर लड़ेंगे। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई थी जबकि सपा की ५ सीटें थीं। इसके अलावा सपा अच्छे बहुमत के साथ प्रदेश की सत्ता में थी फिर भी बसपा को ज्यादा सीटें मिलने से सपा के भीतर थोड़ी बैचेनी भी दिख रही है।
गठबंधन की इस घोषणा के बीच समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव सपा-बसपा के गठबंधन पर बहुत नाराज दिख रहे हैं। मुलायम ने गुरूवार को कहा – ”आखिर कैसे अखिलेश यादव बसपा के साथ ऐसे गठबंधन के लिए राजी हो गए जिसमें सपा के हिस्से में आधी सीटें आई हैं। पार्टी के लोग ही पार्टी को खत्म करने में जुटे हैं।”
नाराज समाजवादी नेता ने कहा – ”महिलाओं को पार्टी में तरजीह नहीं मिल रही। हमने इतनी बड़ी पार्टी बनाई, लेकिन पार्टी को अब कमजोर किया जा रहा है। सूबे की ८० लोकसभा सीटों में से सिर्फ २५-२६ सीटें ही जीत सकते हैं।” उन्होंने कहा कि उन्होंने अखिलेश से कहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दो जिससे को तैयारी कर सकें। ”भाजपा तैयारियों के मामले में हमसे आगे निकल गई है। हमने १४ महीने पहले उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर दिया था और बड़ी जीत मिली थी। लेकिन अखिलेश अभी तक टिकट ही नहीं तय कर पाए।”
उधर आज की घोषणा में दोनों पार्टियों ने बागपत, मथुरा और मुजफ्फरनगर सीटों छोड़ दी हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये तीनों सीटें आरएलडी के खाते में गई हैं। सूबे की ८० लोकसभा सीटों में अनुसूचित जाति के सुरक्षित १७ सीटों में से ७ पर सपा चुनाव लड़ेगी तो १० पर बसपा अपनी किस्मत आजमाएगी।