अपने कड़े निर्णयों के लिए प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार दो के शासन-काल में अब लोगों में उनके प्रति वो सम्मान नहीं दिख रहा है, तो उन्होंने पिछले शासन-काल में प्राप्त किया था। इसमें सम्भवत: कोई मतभेद नहीं होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उनके साधु होने के नाते प्रदेश भर के लोग उनका विकट सम्मान करते हैं, मगर एक मुख्यमंत्री होने के नाते अब उनकी छवि पहली बार के शासन-काल की तरह लोगों के मन में नहीं रही।
भौजीपुरा निवासी रामपाल कहते हैं कि ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके ही मंत्री और अधिकारी गुमराह कर रहे हैं। अन्यथा एक सन्त आदमी किसी का बुरा क्यों करेगा? भौजीपुरा के ही बलवीर कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ को जब अपने ही प्रदेश के लोगों का दु:ख नहीं दिखायी देता है, तो वो उनकी समस्याओं का समाधान कैसे करेंगे। उन्हें तो हर ज़िले का महीने में एक बार दौरा करना चाहिए और वहाँ के लोगों से उनकी समस्याएँ जाननी चाहिए, ताकि उनका समय पर समाधान हो सके। विकास योजनाएँ आती हैं, मगर अधिकारियों तथा ग्राम प्रधानों के बीच ही उनमें पलीता लग जाता है। लोगों तक पाँच किलोग्राम राशन अवश्य पहुँच रहा है, मगर सुना है कि उसमें भी बटा लग रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निंदा तथा प्रशंसा करने वालों की प्रदेश में कमी नहीं है, मगर उनके कुछ कामों की समीक्षा होनी आवश्यक है।
प्रशंसनीय कार्य
सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उन कार्यों की चर्चा की जाए, जो प्रशंसनीय हैं। इन कार्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों के जीर्णोद्धार का कार्य है, जो अभी होना है। हालाँकि सरकारी लोग बताते हैं कि कुछ तालाबों का जीर्णोद्धार हो चुका है तथा शीघ्र ही पूरे प्रदेश के सभी गाँवों में तालाबों का जीर्णोद्धार हो जाएगा, ताकि वर्षा जल संचयन के अतिरिक्त गिरते भूजल स्तर में सुधार हो सके। हर गाँव में सरकारी टंकियों पर भी कार्य हो रहा है, जिनसे नगरों एवं महानगरों की तरह ही पीने योग्य पानी टंकी के माध्यम से हर घर तक पहुँचाया जाएगा। कुछ गाँवों में ग्रामीणों को पीने योग्य पानी देने के लिए फिल्टर लगाये गये हैं, मगर जनसंख्या के अनुसार इनकी क्षमता अभी बहुत कम है। पाँच किलो राशन वाली योजना भी प्रशंसा के योग्य है। ग्रामीण और नगरीय विकास की अनेक योजनाएँ इसी प्रकार उत्तर प्रदेश विधानसभा में योगी आदित्यनाथ सरकार दो में पास हुई हैं। मगर प्रश्न यही है कि इन योजनाओं में से कितनी योजनाएँ सही रूप से लोगों तक पहुँचेंगी।
बढ़ रहे दुष्कर्म तथा अपराध
उत्तर प्रदेश कई दशक से अपराधों के लिए बदनाम है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन्हें रोकने में नाकाम रहे हैं, इतना ही सत्य नहीं है। सत्य यह है कि उनके शासन-काल में दुश्कर्मों और अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। जबकि मुख्यमंत्री तथा उनके मंत्री सदैव दावा करते रहे हैं कि योगीराज में अपराध घटे हैं। योगीराज ही रामराज्य है। मगर सत्य यह है कि योगीराज में हर दूसरे-तीसरे दिन समाचार पत्रों में सामूहिक दुष्कर्म अथवा दुष्कर्म की घटनाएँ प्रकाशित होती हैं। अपराध की दर्ज़नों घटनाएँ हर दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित होती हैं। अचंभा तो तब होता है, जब इन्हीं समाचार पत्रों के माध्यम से पता चलता है कि कहीं-कहीं पुलिस भी लोगों के साथ अपराधियों की तरह व्यवहार करती है। सामूहिक दुष्कर्म, दुष्कर्म, अन्य प्रकार के अपराधों पर योगी आदित्यनाथ को प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के नाते रोक लगानी चाहिए तथा पुलिस को स$ख्त आदेश देना चाहिए कि अगर उनके थाना क्षेत्र में कोई अपराध हुआ, तो पूरा का पूरा थाना निलंबित कर दिया जाएगा। तय है कि ऐसा आदेश जारी होने से अपराधों में विकट कमी आएगी।
टूटी सडक़ें
उत्तर प्रदेश के विकास के पोस्टर हर एक-दो किलोमीटर पर लगे दिख जाते हैं। मगर प्रदेश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सडक़ों की दशा कई वर्षों से दुर्दशापूर्ण है, जिससे दुर्घटनाओं की सम्भावना सदैव बनी रहती है। प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों की सडक़ों में तो इतने बड़े-बड़े तथा गहरे-गहरे गड्ढे हैं कि वाहनों के छतिग्रस्त होने के अतिरिक्त राहगीरों की दुर्दशा हो जाती है। धूल फाँकती टूटी-फूटी सडक़ें कई वर्षों से अपनी मरम्मत की बारी की वाट जो रही हैं। ग्रामीणों से इस बारे में बात करो, तो अधिकतर लोग डर के मारे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं होते। एक भाजपा कार्यकर्ता ने प्रकाशित न करने की विनती करते हुए कहा कि जो विधायक और मंत्री बन चुके हैं, वे अब अपने क्षेत्रों में काम नहीं कराना चाहते हैं। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की ओर से पहले शासन-काल में भी सडक़ों के निर्माण एवं मरम्मत के लिए पैसा पास हुआ था तथा अब भी पैसा विधायक एवं प्रधान निधि के रूप में आ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ग्रामीण विकास के लिए पर्याप्त पैसा जारी करते हैं, मगर जो लोग काम कराने वाले हैं, वो उस पैसे को या तो दबाकर बैठे हैं या फिर उसे पचाने में लगे हैं।
बिजली कटौती तथा अधिक बिल
योगी आदित्यनाथ सरकार में अगर सबसे अधिक परेशान कोई करता है, तो वो है बिजली। नगरों में 24 घंटे के अन्दर चार-पाँच से लेकर आठ-आठ कट तक लगते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में तो 24 घंटे में बिजली ही छ: से आठ घंटे ही रहती है। उसमें भी कई-कई कट तक लग जाते हैं। इसके अतिरिक्त बिजली महँगी बहुत है। कई लोगों के तो बिल ही इतने आते हैं कि उन्हें अपने अधिक बिलों को सही कराने के लिए बिजली विभाग के चक्कर लगाने के अतिरिक्त रिश्वत तक देनी पड़ती है। ग्रामीण लोगों के पास पैसा इतना नहीं होता कि वो महँगी बिजली का बिल भर सकें, सो अनेक ग्रामीणों ने अपने बिजली कनेक्शन ही कटवा रखे हैं। वहीं बिजली मीटर भी लोग डर से नहीं लगवा रहे हैं। जबकि योगी आदित्यनाथ सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिजली के मीटर लगवाने के कई प्रयास कर चुकी है।
अस्पतालों की दुर्दशा
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। हाल ही में डेंगू के एक रोगी को प्लेटलेट्स की जगह मौसमी का जूस चढ़ाने से उसकी मृत्यु की बात भी सामने आई थी। हालाँकि अब कहा जा रहा है कि रोगी को प्लेटलेट्स ही चढ़ायी गयी थी; लेकिन रोगी गम्भीर हालत में था, इसलिए उसकी मृत्यु हो गयी। हालाँकि इस मामले को अगर छोड़ दें, तो भी योगी राज में अस्पतालों के कई मामले ऐसे सामने आ चुके हैं, जिनमें एक ही अस्पताल में दर्ज़नों रोगियों की मौत हुई है।
बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए कुछ अस्पताल कई बार मौत के अस्पताल बने हैं। इसके बाद भी योगी सरकार ने अस्पतालों की नाकामी पर पर्दा डालने के अतिरिक्त कोई बड़ा क़दम स्वास्थ्य सुविधाएँ सुधारने में नहीं उठाया। अब तक देखा गया है कि अगर कोई महामारी फैल जाए, तो किसी भी अस्पताल में उसके रोगियों की चिकित्सा की व्यवस्था नहीं होती है। सामान्य दिनों में भी प्रदेश के अस्पतालों की दशा यह रहती है कि कई रोगियों को एक ही बेड पर रखने के लिए डॉक्टर मजबूर होते हैं।
कम नहीं हो सका भ्रष्टाचार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ईमानदार माना जाता है तथा भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध माना जाता है, मगर उनकी इस ईमानदारी का कोई भी असर होता प्रदेश में नहीं दिखता। आज ग्राम पंचायत से लेकर तहसील तथा जनपद स्तर तक कोई भी काम सम्भवत: ही ऐसा होगा, जिसे प्रदेशवासी बिना रिश्वत दिये करा लेते हों। प्रधानों से लेकर पटवारी तक से ग्रामीणों के काम अधिक पड़ते हैं, मगर उनके काम कितनी ईमानदारी से होते हैं, इसकी जाँच प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक बार तो अवश्य करानी चाहिए।
टैबलेट से वंचित अनेक छात्राएँ
योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश की 12वीं तथा स्नातक पास करने वाली छात्राओं को टैबलेट देने का वादा किया था। मगर अभी तक सभी छात्राओं को टैबलेट नहीं मिले हैं। इस बारे में एक अध्यापक ने अपना नाम प्रकाशित न करने की विनती करते हुए बताया कि टैबलेट वाँटने में बड़ा घोटाला हुआ है। कुछ घोटाले विद्यालय स्तर पर हुआ है, तो कुछ घोटाला अधिकारियों के स्तर पर हुआ है। अगर इस मामले में योगी सरकार जाँच कराए, तो कई परते घोटाले की खुलेंगी। वहीं एक अध्यापक से जब अनेक छात्राओं को टैबलेट न मिलने का प्रश्न किया, तो उन्होंने कहा कि जितने टैबलेट आये थे, वो वाँट दिये गये हैं, जैसे ही और टैबलेट आएँगे, वाँट दिये जाएँगे। इसका अर्थ यह हुआ कि योगी सरकार ने उतने टैबलेट विद्यालयों एवं महाविद्यालयों को उपलब्ध नहीं कराये, जितनों की आवश्यकता है।
किसानों का हनन
उत्तर प्रदेश में ट्रैक्टर-ट्राली में परिवार के सदस्यों अथवा श्रमिकों को बैठाकर ले जाने पर 10,000 रुपये का चालान काटा जाता है। इसके अतिरिक्त किसानों के गन्ने का भुगतान भी समय पर नहीं मिलता है। $फसलों के नुक़सान की भरपाई भी सरकार नहीं करती, जबकि आवारा पशुओं को रोकने के लिए अगर कोई किसान अपने खेत के चारों ओर कंटीले तार लगाता है, तो उसे दण्डित किये जाने का आदेश है। इसी प्रकार अगर कोई किसान अपने खेत में खरपतवार जलाता है, तो भी उसे दण्डित किया जाता है। किसानों को गेहूँ-धान का भाव भी ठीक नहीं मिलता। गन्ने का भाव लागत बढऩे के बाद भी नहीं बढ़ रहा है।
प्रदेश में इन अव्यवस्थाओं के सुधार के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विचार करना चाहिए, जिससे प्रदेश में वो खुशहाली आ सके, जो कि रामराज्य में होती थी तथा जिसकी बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यदा-कदा करते रहते हैं।