वर्ष 2027 तक योग का वैश्विक बाज़ार 60 अरब डॉलर से अधिक का होगा
पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के जिम्नेजियम हॉल में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के खेल विभाग द्वारा पहली जून से लेकर 21 जून तक योग कैंप का आयोजन किया गया था। इसमें आकर्षक यह था कि एक छोटी-सी बच्ची अपने योग प्रशिक्षक को अलग-अलग आसन करके दिखा रही थी। आसन करने से ज़्यादा उस बालिका में योग के प्रति एक जज़्बा था। कैंप में आये अन्य लोगों में भी तंदुरुस्ती और शारीरिक गठन को लेकर योग के प्रति एक आकर्षण दिखायी दे रहा था।
बहरहाल, धीरे-धीरे देश-विदेश में योग की एक जबरदस्त अलख जगी है। योग से लोगों के जुड़ाव को लेकर माना जा रहा है कि योग का जो वैश्विक बाज़ार वर्ष 2020 में 41.5 अरब डॉलर का था, वह वर्ष 2027 तक 60 अरब डॉलर से अधिक का हो जाएगा। कोरोना महामारी के चलते योग की लोकप्रियता और माँग पहले से ज़्यादा बढ़ गयी है; ख़ासकर ऑनलाइन योग सीखने और सिखाने की। लोग बड़ी तेज़ी से मानसिक बीमारियों का शिकार हुए हैं, जिनमें तनाव विकराल समस्या बनकर उभरा है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार विश्लेषण अनुसंधान और परामर्श समूह (आईएमएआरसी) की नयी रिपोर्ट के अनुसार, जीवन शैली से होने वाली भयानक बीमारियों, जैसे- मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, गठिया, कैंसर और तनाव से जुड़ी हुई बीमारियों के कारण भारत का हेल्थ ऐंड वेलनेस मार्केट (स्वास्थ्य और कल्याण बाज़ार) 2022 से 2027 तक 5.45 फ़ीसदी की दर से और आगे बढ़ेगा। शरीर और मन को स्वस्थ रखने वाली भारत की प्राचीन विद्या योग विश्व में 10 सबसे अधिक लोकप्रिय स्वास्थ्य गतिविधियों में शामिल हो चुका है। स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रति लोगों की बढ़ती जागरूकता योग के वैश्विक बाज़ार को गति दे रही है। इसके माध्यम से लोग समग्र स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। योग के उद्योग में नॉर्थ अमेरिका, लेटिन अमेरिका, मिडिल ईस्ट, यूरोप और एशिया पैसिफिक जैसे देश मुख्य भूमिका में है।
बिजनेस रिसर्च कम्पनी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएस योग पॉपुलेशन स्टैटिसटिक्स के अनुसार, वर्ष 2021 में 55 लाख अमेरिकन लोगों ने योग का अभ्यास किया, जिसमें 75 फ़ीसदी महिलाएँ थीं। यहाँ तक कि ये लोग योग अभ्यास, के उपकरणों, योग कक्षाओं, वस्त्रों और अन्य साज़ा-ओ-सामान पर अनुमानित 16 अरब डॉलर ख़र्च करते हैं। क्रिस्टीन हेब्रोन अपने एक लेख में लिखती हैं कि विश्व में अकेला अमेरिका ऐसा देश है, जहाँ योग की ख़ूब लोकप्रियता है। यूएस में 36 लाख लोग योग का अभ्यास करते हैं। यूएस में भी तीन सबसे बड़े शहर सैन फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क और लॉस एंजेलिस हैं, जहाँ सबसे अधिक योग स्टूडियो चलते हैं।
वैश्वीकरण और बाज़ारवाद की जीवन-शैली ने मनुष्य को टेंशन और तनाव जैसी बीमारियों का शिकार बनाया है। विकास की दौड़ में जितना अधिक और तेज़ी से औद्योगीकरण हुआ है, तनाव से जुड़ी बीमारियाँ भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ी हैं। हालाँकि तनाव से उबरने के लिए बाज़ार में बहुत सारी दवाएँ उपलब्ध हैं; लेकिन उनका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। तनाव से बचने के लिए योग का अभ्यास काफ़ी कारगर सिद्ध हुआ है। यौगिक क्रियाओं का मन मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। योग आसनों के अभ्यास से शरीर की बीमारी मिटती हैं और शरीर का एनर्जी लेवल बढ़ता है। योग केवल आसन, प्राणायाम करने का ही नाम नहीं है, बल्कि योग का नियमित और धीरे-धीरे अभ्यास करने पर मनुष्य का सम्पूर्ण विकास सम्भव है। समग्र विकास की बात की जाए, तो इसमें मनोदशा, शारीरिक, भावनात्मक स्तर भी शामिल है; यानी तन, मन का कायाकल्प और भावों की शुद्धि। व्यक्ति की जीवन शैली में आश्चर्यजनक परिवर्तन होता है, जब अष्टांग योग का अभ्यास किया जाता है। अष्टांग योग में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि है। यानी व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक स्तर पर उन्नत बनाना योग का उद्देश्य है। आधुनिक आविष्कारों ने आदमी को सुविधाएँ तो ख़ूब प्रदान की हैं। लेकिन दूसरी तरफ़ कई सुविधाओं ने उसके शरीर और मन को ग्रहण लगा दिया। ग्लैमर वल्र्ड की चकाचौंध में वह प्राकृतिक जीवन शैली से बहुत दूर निकलता चला गया, जिसका परिणाम है- शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ।
ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं, जिनमें कई बड़ी हस्तियों ने योग का अभ्यास करके आत्मिक शान्ति और सफलता को प्राप्त किया। एक बार भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से किसी ने प्रश्न किया कि राजनीति जैसे क्षेत्र में आप किस प्रकार से शान्त रह पाते हैं? उनका उत्तर था कि जब भी कोई मुश्किल समय होता है, वे योग का अभ्यास करते हैं; ध्यान लगाते हैं। ऐसे ही प्रसिद्ध वायलिन वादक यहूदी मैनूहीन का प्रसंग आता है कि वह वायलिन बजाने से पहले निद्रा और योग अभ्यास को तरजीह देते थे। योग शास्त्र में महर्षि पतंजलि ने योग के समस्त पहलुओं को समझाते हुए एक सशक्त सूत्र दिया- ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:’। अर्थात् चित्तवृत्ति का निरोध योग है। सरल भाषा में कहें, तो मन में उठने वाले विचारों की लहरों पर नियंत्रण करना योग है। श्रीकृष्ण ने योग की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है, जबकि महात्मा बुद्ध ने योग का अभ्यास करते हुए ही निर्वाण प्राप्त किया था। योग जीवन जीने का ऐसा ढंग है, जिसमें व्यक्ति अपनी समस्त इंद्रियों और मन पर नियंत्रण करता हुआ समतापूर्वक जीवन जीता है। श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है कि योग व्यक्ति का दु:ख से सम्पर्क तोड़ता है। श्रीकृष्ण ने समता पर अत्यधिक ज़ार दिया है; जैसे कि महात्मा बुद्ध ने। श्रीकृष्ण कहते हैं कि योग न उस व्यक्ति के लिए है, जो अधिक खाता है और न ही उसके लिए जो अधिक निराहार रहता है। योग ऐसे व्यक्ति के लिए भी नहीं है, जो अधिक सोता है और न ही उसके लिए, जो अधिक जागता रहता है। यह उस व्यक्ति के लिए है, जो समतापूर्वक जीवन जीता है। सबके साथ सन्तुलन बनाकर जो योग का अभ्यास करता है, वही सच्चा योगी है।
योग से व्यक्तित्व का विकास
व्यक्तित्व की चार प्रक्रियाएँ मानी गयी हैं। पहला, हम जो भी महसूस करते हैं, उसी प्रकार सोचना शुरू कर देते हैं। दूसरा, हम जो सोचते हैं, उसी प्रकार योजना बनाते हैं और वही बोलते हैं। तीसरा, हम जो भी योजना बनाते हैं और बोलते हैं, उसी प्रकार के कार्य को अंजाम देते हैं। चौथा, हम जो भी कार्य करते हैं, उसी तरह से ढलना शुरू हो जाते हैं। आधुनिक युग में आदमी के लिए योग समय की बड़ी माँग है। योगाभ्यास के द्वारा व्यक्तित्व का चौतरफ़ा विकास होता है, शारीरिक स्तर पर मांसपेशियों को आराम मिलता है। प्राणिक स्तर पर साँस की गति सन्तुलित होती है। मानसिक स्तर पर आत्मिक शान्ति मिलती है और रचनात्मकता में वृद्धि होती है। इच्छा शक्ति बढ़ती है। बौद्धिक स्तर पर बुद्धि तेज़ा होती है, जबकि भावनात्मक स्तर पर ज़िन्दगी में ख़ुशी आती है और दिव्यता का अहसास होता है।
जहाँ लोकप्रिय है योग
गूगल ट्रेंड्स के अनुसार, ऐसे 20 देश हैं, जहाँ योग का ख़ूब अभ्यास किया जाता है। इनमें कनाडा, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, हॉन्ग कोंग, ऑस्ट्रिया, यूके, नॉर्वे, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, स्वीडन, डेनमार्क, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, कोस्टा रिका और चिल्ली आदि देश हैं।
मानवता के लिए योग कोरोना के प्रभाव को देखते हुए वर्ष 2022 के लिए ‘मानवता के लिए योग’ थीम रखा गया था। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। इस महासभा में 177 देश शामिल हुए। उन्होंने इस प्रस्ताव को अपनी सहमति दी और संयुक्त राष्ट्र महासभा की तरफ़ से 11 दिसंबर 2014 को इसे मंज़ूरी दे दी गयी। 21 जून, 2015 को सबसे पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। उल्लेखनीय है कि पहली बार 192 देशों में योग का आयोजन किया गया था, जिसमें 47 मुस्लिम देश भी शामिल हुए।