मोबाइल के उपयोग पर विशेषज्ञों ने हमेशा कहा है कि इसका उपयोग नुकसान दायक है। लेकिन अगर मोबाइल का दुरुपयोग होने लग जाए, तो यह महामारी की तरह घातक सिद्ध हो सकता है। मगर किया भी क्या जा सकता है? आज मोबाइल के बगैर न कोई रहना चाहता है और न ही उसकी ज़िन्दगी आगे बढ़ती महसूस होती है। हालाँकि ऐसा नहीं कि मोबाइल को छोड़ा नहीं जा सकता है, लेकिन आज के आधुनिक दौर में मोबाइल छोडऩा ठीक वैसे ही है, जैसे रफ्तार वाला हवाई सफर छोडक़र पैदल चलना। वैसे मोबाइल के फायदे भी बहुत हैं और अगर मोबाइल का सावधानी से उपयोग किया जाए, तो इससे होने वाले नुकसानों से काफी हद तक बचा भी जा सकता है। लेकिन यह तभी सम्भव है, जब मोबाइल का उपयोग सावधानी से केवल काम भर के लिए किया जाए। मोबाइल के अधिक उपयोग से जितना खतरा है, उतना ही लापरवाही से इसका उपयोग करने से भी। लेकिन अगर इसके दुरुपयोग के खतरे देखें, तो वे चिन्ता पैदा करने वाले हैं। क्योंकि इसका दुरुपयोग उस व्यक्ति को तो बर्बाद कर ही सकता है, जो दुरुपयोग कर रहा है, साथ ही समाज का भी बड़ा नुकसान कर सकता है। ऐसा आजकल हो भी रहा है। कुछ लोग मोबाइल के दुरुपयोग से किसी-न-किसी को नुकसान पहुँचा रहे हैं। ऐसे लोगों में कोई किसी राजनीतिक पार्टी के विरुद्ध काम कर रहा है, तो कोई किसी विशेष समुदाय के विरुद्ध और कोई किसी विशेष जाति के लोगों के विरुद्ध षड्यंत्र रच रहा है। कह सकते हैं कि कुछ अराजक लोग मोबाइल के दुरुपयोग से किसी-न-किसी को नुकसान पहुँचा रहे हैं। मगर यह लोग भूल रहे हैं कि वे खुद अपने आप को भी बड़ा नुकसान पहुँचा रहे हैं; या तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष।
वैमनस्य पैदा करने का हथियार
आजकल मोबाइल अराजक तत्त्वों के लिए समाज में वैमनस्य, ईश्र्या और झगड़ा पैदा करने का हथियार बन चुका है। मोबाइल के माध्यम से सोशल मीडिया पर झूठी अफवाहें और खबरें फैलाकर कुछ लोग लगातार समाज में यह काम कर रहे हैं। इससे मानवता के साथ-साथ देश भी कमज़ोर हो रहा है। अक्सर देखा जाता है कि साम्प्रदायिक दंगे भडक़ाने या किसी पर हमला करने में मोबाइल का दुरुपयोग बहुत अधिक किया जाता है। आजकल सोशल मीडिया पर अत्याचारों को अनेक ऐसे वीडियो मिल जाते हैं, जो अंतर्मन तक दु:खी कर देते हैं। हालाँकि इसका फायदा यह हुआ है कि ऐसे वीडियो वायरल होने से अपराधी पुलिस की पकड़ में आसानी से आ जाते हैं। मगर अफसोस इस बात का होता है कि कई मामलों पर पुलिस संज्ञान ही नहीं लेती, जिससे आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के हौसले बढ़े रहते हैं और वे लगातार अपराध करते चले जाते हैं।
समय नष्ट करने का ज़रिया
आजकल अनेक लोग मोबाइल पर लगातार लगे रहते हैं। इनमें अधिकतर लोग सोशल मीडिया पर लगे रहते हैं। एक सर्वे के मुताबिक, दुनिया के 30 प्रतिशत लोग अपना अधिकतर समय मोबाइल पर बिताते हैं। वहीं 25 प्रतिशत लोग सामान्य से अधिक समय मोबाइल के उपयोग में लगाते हैं। लॉकडाउन में मोबाइल पर अधिक समय देने वालों की संख्या बढ़ी है। इससे लोगों का समय खराब हो रहा है। यह भी कह सकते हैं कि मोबाइल अनेक लोगों का समय नष्ट कर रहा है।
आलसी भी बना रहा मोबाइल
मोबाइल लोगों को आलसी भी बनाता है। एक सर्वे में पाया गया है कि जो लोग मोबाइल का ज़रूरत से अधिक इस्तेमाल करते हैं, उनमें आलस पैदा होने लगता है। इस आलस की कई वजहें हैं और आलस का शिकार वे लोग भी हो सकते हैं, जो काम के लिए मोबाइल का बहुत समय तक इस्तेमाल करते हैं। लेकिन वे लोग अधिक आलसी होने लगते हैं, जो सोशल साइट्स पर सॄफग करने या वीडियो देखने के लिए मोबाइल का बहुत अधिक इस्तेमाल करते हैं। दरअसल मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से दिमाग की सक्रियता घटने लगती है और बहुत समय तक एक ही जगह या एक मुद्रा में रहने से शरीर भी निष्क्रिय होने लगता है। ऐसे में बहुत जल्द लोगों को आलस अपनी गिरफ्त में ले लेता है।
बिगडऩे लगता है दिमागी संतुलन
मोबाइल का बिना रुके लम्बे समय तक इस्तेमाल करने या ज़रूरत से अधिक समय तक उपयोग में लाने से दिमागी संतुलन बिगडऩे लगता है। इतना ही नहीं इससे आँखों के अलावा नरवस सिस्टम भी कमज़ोर होने लगता है। विशेषज्ञ तो यहाँ तक कहते हैं कि मोबाइल के अधिक उपयोग से मनुष्य की पाचन शक्ति बिगडऩे लगती है, जिसका खराब असर उसके पूरे शरीर पर पड़ता है। इतना ही नहीं दिमागी संतुलन इस कदर बिगड़ जाता है कि लोग गुस्सा करने लगते हैं।
बढ़ रहीं अश्लील हरकतें
पिछले कुछ साल से हमारे समाज में अश्लील अपराधों और हरकतों की बाढ़ सी आ गयी है। एक के बाद एक दिल दहला देने वाली घटना पढक़र, सुनकर या ऐसी घटनाओं के वीडियो देखकर दु:ख और आत्मग्लानि होने लगती है। कम-से-कम संवेदनशील लोग तो ऐसी घटनाओं से ज़रूर क्षुब्ध होते हैं।
अभी हाल ही में निर्भया के दोषियों को फाँसी हुई। इससे पहले हैदराबाद में डॉक्टर के साथ अमानीय घटना के दोषियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। इसी बीच कुलदीप सिंह सेंगर, जो कि एक प्रभुत्व वाला नेता है; को गिरफ्तार किया गया। इस सबके बावजूद आपराधिक प्रवृत्ति के लोग दुष्कर्म और पीडि़ता पर भयंकर अत्याचार करने से नहीं चूक रहे। इस तरह के अपराधियों की मनोवृत्ति के एक अध्ययन में पाया गया है कि ये वे लोग होते हैं, जो मोबाइल का उपयोग गन्दी वीडियो देखने में करते हैं। इनमें 94 फीसदी लोग नशे के आदि भी पाये गये हैं। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि अश्लील वीडियोज इन लोगों को अपराध के लिए उकसाते हैं, जो आजकल मोबाइल पर बड़ी सुलभता से मिल जाते हैं। हालाँकि सरकार ने इस दिशा में कदम उठाने का प्रयास किया है। लेकिन अभी तक इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। और अगर सरकार ने जल्द ही इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो लोगों में आपराधिक प्रवृत्ति ऐसे ही बढ़ती जाएगी, जिस पर काबू पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
शरीर से पानी सोख लेता है मोबाइल
यह बात आपको भले ही हैरान करे, लेकिन सच है। मोबाइल के अधिक उपयोग से वह शरीर के पानी को नष्ट करता है। एक सर्वे में पाया गया है कि मोबाइल से निकलने वाली तरंगे जब अधिक समय तक शरीर से टकराती रहती हैं, तो इससे शरीर में पानी की मात्रा कम होने लगती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इंसान के शारीर में लगभग 70 फीसदी पानी होता है, जो कि रेडिएशन के प्रभाव से सूखता है। अगर व्यक्ति रेडिएशन तरंगों से लगातार गुज़रता है, तो उसके शरीर में पानी की मात्रा तेज़ी से घटने लगती है। इसका एक कारण यह भी बताया गया है कि मोबाइल का अधिक इस्तेमाल करने वाले लोग पानी पीना कम कर देते हैं, जिससे शरीर का पानी और तेज़ी से कम होने लगता है।
मोबाइल का इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों को कोई-न-कोई नुकसान तो होता ही है। इनमें सामान्य नुकसान इस प्रकार हैं :-
नपुंसकता : मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से नपुंसकता बढ़ती है। विशेषज्ञों कहते हैं कि मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से स्पर्म में 30 फीसदी तक की कमी आ सकती है। ऐसा नहीं है कि मोबाइल का अधिक इस्तेमाल पुरुषों में ही नपुंसकता पैदा करता है; महिलाओं में भी इसका प्रभाव उतना ही होता है।
आलस : मोबाइल पर अधिक समय बिताने से शरीर आलसी हो जाता है।
अन्य बीमारियाँ : मोबाइल का इस्तेमाल कैंसर, रंतौधी, नेत्र दोष, अल्जाइमर, डाइबिटीज, हृदय रोग पैदा करने के अलावा तनाव बढ़ा सकता है और यादाश्त को कमज़ोर कर सकता है।
गर्भवतियों को नुकसान : मोबाइल का अधिक इस्तेमाल उपरोक्त नुकसान पहुँचाने के अलावा गर्भवती महिलाओं को कई अन्य नुकसान पहुँचाता है। क्योंकि मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन गर्भ में पल रहे शिशु को बड़े नुकसान पहुँचा सकता है। यहाँ तक कि उसका सही से विकास होने से रुक सकता है या बच्चा किसी अंग से अपंग भी पैदा हो सकता है।
ब्रेन कैंसर : वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने एक शोध में बताया है कि मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल से सबसे ज़्यादा खतरा मस्तिष्क के कैंसर का होता है।
विशेषज्ञों की चेतावनी को नज़रअंदाज़ करना पड़ेगा महँगा
सोचिए, जब विशेषज्ञ मोबाइल के सामान्य इस्तेमाल पर चिन्ता व्यक्त कर चुके हैं, तो मोबाइल के अधिक इस्तेमाल और दुरुपयोग पर उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी? करीब तीन साल पहले भी विशेषज्ञों ने मोबाइल के खतरों के प्रति चेतावनी दी थी। विशेषज्ञों ने मोबाइल के उपयोग पर किये गये एक शोध निष्कर्ष के बाद कहा था कि मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन बहुत हानिकारक होती है। इससे शारीरिक और मानसिक दुर्बलता बढऩे के साथ-साथ शरीर में कई तरह के रोग लगने का डर रहता है। यूनिवॢसटी ऑफ केलिफोॢनया ने एक शोध में पाया कि मोबाइल को वाइब्रेशन मोड इस्तेमाल करते रहने से कैंसर हो सकता है। शोध में यह भी कहा गया था कि कम-से-कम सोते समय मोबाइल को कम-से-कम एक मीटर की दूरी पर रखना चाहिए और यदि सम्भव हो तो सोते समय स्विच ऑफ (फोन बन्द) करके रखना चाहिए। उसे सिर के पास तो रखकर बिल्कुल नहीं सोना चाहिए। क्योंकि मोबाइल से हर समय इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन निकलती हैं, जो दिमाग की कोशिकाओं की वृद्धि करने में मदद करती हैं, जिससे ट्यूमर बन सकता है। शोध में यह भी कहा गया है कि मोबाइल युवाओं के सिर को 25 फीसदी, किशोरों के सिर को 35 फीसदी, 10 से 5 साल तक के बच्चों के सिर को 50 फीसदी और 5 साल के कम उम्र के बच्चों को 75 फीसदी तक प्रभावित करता है। लेकिन मोटी कमाई के चलते मोबाइल फोन बनाने वाली कम्पनियों, इंटरनेट डाटा और कॉलिंग पैकेज बेचने वाली कम्पनियों और इस सबसे होने वाली भारी भरकम कमाई से मिलने वाले मोटे टैक्स के चलते सरकारों ने आज तक विशेषज्ञों की चेतावनी को नज़रअंदाज़ किया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि इससे लोगों को हर तरह से विकट नुकसान हो रहा है। खासकर मोबाइल के बढ़ते दुरुपयोग से, जिसका खामियाज़ा हर इंसान को भुगतना पड़ता है। अगर इसे इसी तरह अनदेखा किया जाता रहा, तो भविष्य में बड़े खतरे पैदा होंगे।
सुरक्षा के उपाय
जैसा कि बताया जा चुका है कि मोबाइल के फायदे भी बहुत हैं। मगर वे फायदे तभी किसी को दिखेंगे, जब वह मोबाइल का उपयोग लिमिट में और सुरक्षा बरतते हुए करे। इसलिए निम्न सावधानी बरतें –
- उपयोग करने के बाद मोबाइल को शरीर से दूर कर दें।
- सम्भव हो तो मोबाइल को जेब में न रखकर बैग आदि में रखें।
- रात को मोबाइल स्विच आफ करके सोएं। अगर यह सम्भव न हो, तो अपने से एक-डेढ़ मीटर दूर रखकर सोएं।
- बात करने के लिए लीड या हेडफोन का इस्तेमाल करें। अगर कोई सुविधा न हो, तो कान से सटाकर बात न करें।
- चार्जिंग के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल बिल्कुल न करें।
- लंबे समय तक बात न करें, खासकर गर्मियों में।
- लंबे समय तक मोबाइल पर वीडियो न देखें और लीड लगाकर लंबे समय तक आडियो भी न सुनें।
- बच्चों से मोबाइल को दूर रखें।
- समय-समय पर मोबाइल से वायरस हटाते रहें और फालतू के एप डिलीट करते रहें।
- अगर मोबाइल बहुत पुराना हो जाए, तो उसे बदल दें।