जेनेक्स नामक संस्था अपने चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत देश भर में कहीं भी बच्ची के जन्म पर 11 हज़ार रुपये के फिक्स डिपॉजिट (एफडी) की सुविधा उपलब्ध करा रही है। देश में लैंगिक समानता पर काम कर रही इस संस्था ने यह ऐलान बीती 17 अक्टूबर को करते हुए यह सुविधा अपनी वेबसाइट पर भी उपलब्ध करा दी है। इसका फायदा वे सभी अभिभावक ले सकेंगे, जो बच्ची के जन्म के 12 हफ्तों के अन्दर संगठन की वेबसाइट पर पंजीकरण कराएँगे। जन्म से पहले भी पंजीकरण कराया जा सकता है। यह सुविधा पूरे देश में बिल्कुल मुफ्त होगी। इसमें धर्म, सामाजिक स्थिति या किसी खास जगह की कोई पाबंदी नहीं है। इसके लिए किसी भी तरह का कोई शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। इससे बच्चियों के साथ होने वाले भेदभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
पहल का मकसद हर बेटी को 18 साल की उम्र में आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। बालिग होने के बाद पंजीकृत बच्ची अपनी इस रकम का इस्तेमाल शिक्षा, कारोबार या विवाह में करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र होगी। जेनेक्स के संस्थापक पंकज गुप्ता ने बताया कि हम अपने डेढ़ लाख नेटवर्क पार्टनरों के साथ मिलकर इस पहल को शुरू करने में गर्व महसूस कर रहे हैं। यह पहल अगली पीढ़ी को आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनाने की दिशा में छोटी, मगर बेहद अहम कदम साबित हो सकती है। पंकज गुप्ता कहते हैं कि कम्पनी इसके लिए किसी भी तरह की मदद (फंडिंग) विदेश से नहीं ले रही है और न ही अभिभावकों से ही कोई पैसा लिया जा रहा है।
कैसे कराएँ पंजीकरण
सुविधा का फायदा उठाने के लिए किसी को कोई शुल्क अदा नहीं करना है। पंजीकरण की प्रक्रिया भी पूरी तरह मुफ्त है। इसका फायदा उठाने के लिए अभिभावकों को 222.द्दद्गठ्ठद्ग3ष्द्धद्बद्यस्र.ष्शद्व पर पंजीकरण करना होता है। वेबसाइट पर जाने के बाद फ्री एफडी वाले लिंक पर क्लिक करके ज़रूरी औपचारिकताएँ पूरी करते ही आपकी लाडली के नाम से एफडी के तौर पर 11000 रुपये जमा हो जाएँगे। यह पहल 18 वर्ष की उम्र होने पर बालिकाओं को आर्थिक लिहाज़ से मज़बूत बनाने के लिए है। क्योंकि उस समय उनके पास खुद के पैसे होंगे। जेनेक्स के अनुसार, इससे बालिकाओं में आत्मविश्वास बढ़ेगा; साथ ही खुलकर ज़िन्दगी जीने और स्वच्छंद फैसला करने में भी उनको मदद मिलेगी। इससे न सिर्फ वे आर्थिक रूप से मज़बूत होंगी, बल्कि वे लडक़ों के साथ हर मुकाम पर कन्धे-से-कन्धा मिलाकर चल सकेंगी।
लडक़ी-लडक़े में फर्क किये जाने वाले इस देश में ऐसी पहल का आगाज़ करने वाले जेनेक्स के संस्थापक पंकज गुप्ता की तारीफ की जानी चाहिए। वह मानते हैं कि यह छोटा-सा कदम आने वाले समय में समाज में बड़े बदलाव की नींव साबित हो सकता है। इस अहम काम में अभिभावकों पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। पंकज बताते हैं कि इसके लिए ज़रूरी फंडिंग की भरपाई जेनेक्स और भारतीय हेल्थकेयर भागीदारों के ज़रिये की जाएगी।
स्वास्थ्य योजना का भी मिलेगा फायदा
बाल विकास कार्यक्रम के तहत पंजीकृत बच्चियों को एक मुफ्त स्वास्थ्य योजना का भी फायदा मिलेगा। जेनेक्स ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुसार, अगली पीढ़ी स्वस्थ हो, इसके लिए ज़रूरी है कि माँ की उचित देखभाल हो। इससे शिशु मृत्यु-दर में कमी लायी जा सकती है। माँ की उचित देखभाल से अगली पीढ़ी के फिट होने का रास्ता भी साफ होगा। जेनेक्स की सह-संस्थापक शीतल कपूर मानती हैं कि लडक़ी के रूप में पैदा होना अपने आपमें एक विशेषाधिकार है। देश में कई जगह इसे लक्ष्मी का रूप भी माना जाता है। इस लक्ष्मी को आर्थिक रूप से मज़बूती प्रदान करने के लिए ऐसी पहल का स्वागत किया जाना चाहिए। भारत में रोज़ाना 73 हज़ार से अधिक बच्चे पैदा होते हैं और जेनेक्स अगली पीढ़ी की देखभाल में बदलाव लाने का बीड़ा उठाने को तैयार है।