आतंकवाद के िखलाफ अमेरिका अपने हिसाब से कार्रवाई कर उसे सही साबित करता रहा है। 3 जनवरी को अमेरिका ने ईराक की राजधानी में बगदाद एयरपोर्ट पर रॉकेट से हमला किया, इसमें ईरान के कुद्स सेना के प्रमुख कासिम सुलेमान समेत आठ लोगों की मौत हो गयी। हमले के बाद ईरान-अमेरिका की सेनाएँ सक्रिय हो गयी हैं और दोनों देशों ने एक-दूसरे पर ज़ुबानी जंग छेड़ दी है, साथ ही मध्य पूर्व में जंग का खतरा भी मँडरा रहा है। रॉकेट हमले का बाकायदा वीडियो जारी किया गया, जिसमें लोग जान बचाने के लिए भागते हुए दिखाई दे रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट में अमेरिका ने बगदाद में किये इस हमले की ज़िम्मेदारी ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निर्देश पर अमेरिकी सेना ने इस हमले को अंजाम दिया है। अमेरिका ने कहा कि जनरल सुलेमानी ईराक और आसपास के इलाकों में मौज़ूद अमेरिकी डिप्लोमेट्स और उनके सदस्यों को निशाना बनाने की योजना बना रहे थे। जनरल सुलेमानी और उनकी कुद्स फोर्स को सैकड़ों अमेरिकियों की मौत का भी ज़िम्मेदार ठहराया गया है। इतना ही नहीं, ट्रम्प ने कहा कि दिल्ली में हुए आतंकी हमले में भी सुलेमानी का हाथ था। इससे मध्य पूर्व में हमले का खतरा मँडरा रहा है। वहीं दोनों देशों के बीच तनाव व खाड़ी क्षेत्र में हालात को देखते हुए भारत ने गहरी चिन्ता जतायी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ईरान और अमेरिका के अपने समकक्ष से इस बाबत फोन पर वार्ता की और संयम बरतने की बात कहते हुए हालात पर चिन्ता जतायी। हमले की आशंका में पेट्रोल और डीज़ल के दामों में इज़ाफा हो सकता है।
ईरान का बदला लेने का संकल्प
ईरान की रिवॉल्यूशनरी गाड्र्स के पूर्व प्रमुख ने कहा कि कमांडर कासिम सुलेमानी की बगदाद में हत्या का बदला लिया जाएगा। गाड्र्स के पूर्व प्रमुख मोहसिन रेजाई ने ट्वीट किया- ‘सुलेमानी अपने शहीद भाइयों में शामिल हो गये हैं; लेकिन हम अमेरिका से बदला लेंगे।’ अमेरिका को इस हमले का लम्बे समय तक अंजाम भुगतना होगा। अमेरिकियों को भी आने वाले वर्षों तक इसका दंश झेलना होगा। वहीं, ईराक में भी विरोध प्रदर्शन हुए साथ ही अमेरिकी सेना को देश से बाहर भेजने के लिए संसद में संकल्प भी पारित किया गया।
ईराक में अमेरिकी हवाई हमले में ईरान के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत के कारण बढ़े तनाव के बीच अमेरिकी दूतावास को निशाना बनाया गया। दो बार रॉकेट दागकर हमला किया गया। गत दो माह में अमेरिकी प्रतिष्ठानों को 14वीं बार निशाना बनाया गया।
परमाणु समझौते को मानने से किया इन्कार
हमले के बाद ईरान ने ऐलान किया कि 2015 में हुए परमाणु समझौते की किसी शर्त और बन्धन को अब ईरान नहीं मानेगा। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा- ‘देश अब यूरेनियम संवर्धन और उनके प्रसार पर किसी पाबंदी को स्वीकार नहीं करेगा, इससे जुड़े तमाम कार्यक्रम को आगे बढ़ाएगा।’
ट्रम्प ने ईरान को फिर दी धमकी
ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद विदेशी सेनाओं को वापस भेजने के ईराकी संसद के फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प फिर भडक़ गये हैं। ट्रम्प ने कहा कि अगर ईराक ने अमेरिकी सेनाओं को वापस जाने के लिए बाध्य किया और ईरान ने अमेरिका या अमेरिकियों पर हमले की किसी भी तरह की हिमाकत की, तो उसका ऐसा मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा कि दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा होगा।
ट्रम्प ने कहा कि हमारा ईराक में असाधारण और बेहद कीमती एयरबेस है। इसे बनाने और हथियारों को खरीदने में हमने 2000 अरब डॉलर से ज़्यादा खर्च किये हैं। अगर हमारी सेना को एयरबेस छोडऩे के लिए मजबूर किया गया, तो हम उनके िखलाफ ऐसे कठोर प्रतिबन्ध लगाएँगे, जिनका अब तक उन्होंने सामना नहीं किया गया होगा।
ट्रम्प पर 8 करोड़ डॉलर का इनाम
सैन्य कमांडर सुलेमानी की हत्या के बाद से ईरान और अमेरिका दोनों एक-दूसरे के िखलाफ सख्त तेवर अपनाये हुए हैं। डोनाल्ड ट्रम्प ने जहाँ ईरान को नये और अत्याधुनिक हथियारों से हमले की धमकी दी। वहीं, इंटरनेशनल मीडिया की रिपोर्ट की मानें, तो इसके तत्काल बाद ही ईरान ने ट्रम्प का सिर कलम करने वाले को 8 करोड़ डॉलर के इनाम का ऐलान किया है।