मराठा क्रांति मोर्चा के संयोजकों ने मुंबई बंद वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा है कि पिछले दो सालों से मराठा समाज को झूठे आश्वसन देकर बहलाया जा रहा था जिसके चलते मूक (मौन) मोर्चा के बदले ठोक मोर्चा का रास्ता अख्तियार करना पड़ा। आयोजकों ने सहयोगी संगठनों का आभार जताया और शांति पूर्वक बनाए रखने की अपील की। मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई में बंद वापसी की घोषणा के बाद स्थिति नार्मल होने की ओर है।
मराठा क्रांति मोर्चा के वीरेंद्र पवार ने कहा, ‘हम मराठा हैं, हमारा मकसद किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना नहीं था। हमारा बंद कामयाब रहा। बच्चों और महिलाओं के सड़कों पर होने और बढ़ती हिंसा की वजह से हमें अपना बंद वापस लेना पड़ा है। हम भी सामान्य नौकरी पेशा हैं , हमें विश्वास था कि किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं होगी। हम पता लगाएंगे कि हिंसा कहां से शुरू हुई ? असामाजिक तत्वों का समावेश हो सकता है इस हिंसा में।’
हालांकि मराठा क्रांति मोर्चा ने महाराष्ट्र बंद के ऐलान के वक्त ही इसे हिंसक न होने देने की ताकीद दी थी लेकिन सोमवार को काकासाहेब शिंदे नामक आंदोलनकारी के जलसमाधी की घटना के बाद इस आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया और वह राज्य भर में फैल गया।
पहली बार मराठा समाज का मोर्चा आक्रामक दिखाई दिया।हायवे जाम कर दिया गया। आटो रिक्शा, बस, गाड़ियों की तोड़ फोड़ की गई। आगजनी की घटनाएं हुईं। पुलिस पर पथराव किया गया आंदोलनकारी और पुलिस आमने-सामने आ गए। सबसे ज्यादा परेशानी स्टुडेंट्स को हुई। सुबह-सुबह छात्र स्कूल कोलेज पहुंच गए नौ दस बजे से आंदोलनकारियों ने रोड़ जाम कर ना शुरू कर दिया था। शैक्षणिक संस्थानों पशौपेश में रहे और स्टुडेंटस के गार्जियंस को उन्हें वापस घर लाने में बड़ी दिक्कतें हुईं।