वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से निपटने का तरीका सरकारों को सूझ नहीं रहा है। एक ओर खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को सुधारने का दबाव है तो दूसरी ओर ठप पड़े कारोबार को शुरू कर कामगारों को रोजगार दिलाने या उनकी घर वापसी का बड़ा दबाव है। इसी दबाव के चलते मोदी सरकार ने लाॅकडाउन 3.0 में मजदूरों और कामगारों व छात्रों को घर भेजने के लिए रियायत का ऐलान किया। हालांकि इसमें भी तमाम तरह के किंतु-परंतु लगे हुए हैं।
लाॅकडाउन में रियायतों के लिए सरकार ने देशभर के तमाम इलाकों को तीन जोन-ग्रीन, आॅरेंज और रेड जोन में बांटा है। हालांकि इस पर भी कुछ राज्यों की सरकारों ने सवाल उठाए हैं। खासकर रेड जोन बनाए जाने को लेकर। पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रेड जोन के क्राइटेरिया पर सवाल खड़ा करते हुए सरकार की मंशा पर शक किया। अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी पूरे जिले को रेड जोन घोषित करने को गलत करार दिया है। उन्होंने सरकार से इस पर बदलाव किए जाने का आग्रह किया है।
खास ध्यान देने वाली बात यह है कि ज्यादातर ढिलाई की सुविधाएं ग्रीन और आॅरेंज जोन के क्षेत्रों को दी गई हैं। जहां पर कल यानी 4 मई से तमाम आर्थिक गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। इन क्षेत्रों में ई-काॅमर्स के जरिये गैर जरूरी चीजें मसलन-टीवी, िफ्रज, कूलर आदि भी आॅनलाइन बुक कर मंगा सकेंगे। नाई की दुकान और सैलून भी खुलेंगे, जिससे खतरे की आशंका भी है। घर, निर्माण व रोड बनाए जाने वाली गतिविधियां तो पहले ही ऐसे इलाकों में शुरू की जा चुकी हैं।
सबसे ज्यादा चैंकाने वाली बात यह है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छूट दिए जाने को स्पष्ट कर बताया है कि रेड जोन में भी मदिरा की बिक्री की अनुमति प्रदान की गई है। इसके लिए तमाम शर्तें लगाई गई हैं। चूंकि अब लगता है कि सरकार की कमाई कुछ ज्यादा ही सिमट गई है, जिससे उसे ऐसा कदम उठाना पड़ रहा है या फिर बेवड़ों का ज्यादा दबाव? हालांकि इस दरम्यान मंदिर-मस्जिद और गुरुद्वारा जैसे धार्मिक स्थलों पर ताला लगा रहेगा। कोई भी धार्मिक या अन्य भीड़ वाले आयोजन पर पाबंदी बरकरार रहेगी।