दिखावे एवं छलावे की राजनीति जनता का मन अधिक दिनों के लिए नहीं मोह सकती। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे हिट डायलॉग बँटोगे, तो कटोगे के नारे में यही सब दिखा। जनता के भांप लेने के उपरांत इस नारे में भाजपा ने परिवर्तन करके इसे सुपरहिट डायलॉग बनाते हुए बँटेंगे, तो कटेंगे कर दिया है। बँटोगे, तो कटोगे से बँटेंगे, तो कटेंगे कहकर भाजपा अपने कार्यों के दृश्यों को जन जन के मस्तिष्क से विस्मृत करने एवं उसे ये समझाने में लगी है कि तुम्हारे बँटने से तुम्हारे साथ कुछ भी हो सकता है। अत: सभी एकजुट होकर केवल भाजपा का समर्थन करो। यहाँ स्पष्ट कर देना अच्छा है कि भाजपा यह बात हिन्दुओं को समझाना चाहती है। मगर उसके इस समझाने में भय दिखाया जा रहा है, जिसमें कटने का भय स्पष्ट दिख रहा है।
बँटोगे, तो कटोगे से लेकर बँटेंगे, तो कटेंगे का नारा भले ही पूरे देश में भाजपा का सुपरहिट डायलॉग बन गया हो, मगर यह डायलॉग भाजपा के लिए करिश्मा कर पाएगा, इसमें अभी संदेह है। राजनीति के कई जानकार मान रहे हैं कि भाजपा का यह नारा उसकी भविष्य की राजनीति के समापन के अध्याय की ओर संकेत करता दिख रहा है। क्योंकि एक ओर तो भाजपा हिन्दुओं की साधने के प्रयास में लगी है, जिसके चलते योगी ने यह नारा गढ़ा है; मगर दूसरी ओर भाजपा में अंदर-ही-अंदर विकट फूट पड़ी हुई है, जो भाजपा की हर बैठक में स्पष्ट दिखायी देती है।
कई चुनाव लड़ चुके उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार ओमप्रकाश कहते हैं कि राजनीति में ऐसे दाँवपेंच चलने ही पड़ते हैं। इसमें किसी पार्टी को अलग दृष्टि से नहीं देखा जा सकता। यहाँ राजनीति का चौसर बिछा है, जहाँ हर पार्टी अपने प्यादों को बड़ी सोच समझ के साथ इस प्रकार लगाकर रखती है कि किसी भी हाल में राजा मर न जाए। भाजपा भी यही कर रही है। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। हर पार्टी स्वयं को सृदृढ़ एवं बड़ा करने के प्रयास में लगी है।
भाजपा के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में बँटेंगे, तो कटेंगे के नारे को लेकर अत्यधिक उत्साह है। वे हर स्थान पर आमजन को समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे का सही अर्थ क्या है। भाजपा कार्यकर्ता विमलेश कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरे देश को एकजुट होने का संदेश दे चुके हैं। अब इसका अर्थ जिसे जो भी निकालना हो निकालता रहे। भाजपा के एक अन्य कार्यकर्ता प्रमोद कहते हैं कि बँटेंगे, तो कटेंगे का नारा हम सबको यह बताने के लिए है कि हमें अब हिन्दू राष्ट्र के लिए एकजुट हो जाना चाहिए। हमारे बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव हमें ही हानि पहुँचाने वाला है।
योगी के आगे अड़चनें
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके समर्थक हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं। उनकी समझ में भाजपा में योगी आदित्यनाथ से बड़ा कोई दूसरा नेता ही नहीं है। कई बार ऐसा हुआ है कि योगी आदित्यनाथ को देश का प्रधानमंत्री बनाने की मुहिम चली हैं। उन्हें देश का भावी प्रधानमंत्री कहकर उनके समर्थक उनका क़द बढ़ाने के प्रयास में लगे हुए हैं। अभी उनके दिये नारे बँटोगे, तो कटोगे को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का खुला समर्थन मिलने के उपरांत योगी के समर्थकों का मनोबल बढ़ा है।
अब योगी आदित्यनाथ जिधर भी जा रहे हैं उनके समर्थक एक बड़ी भीड़ के रूप में वहीं जा जुटते हैं। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने बँटेंगे, तो कटेंगे नारे को जीवन के मंत्र जैसा बताकर योगी आदित्यनाथ एवं उनके समर्थकों का मनोबल बढ़ा दिया है। मथुरा स्थित गऊ ग्राम परखम के दीनदयाल उपाध्याय गौ विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र में 25-26 अक्टूबर को हुई संघ की वार्षिक बैठक के दौरान पत्रकारों एवं संघ भाजपा पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं के बीच उन्होंने स्पष्ट कहा कि बँटेंगे, तो कटेंगे को हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए। यह हिन्दू एकता एवं लोक कल्याण के लिए आवश्यक है। उनका दावा है कि लोग हिन्दुओं को तोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। एक मुहिम के अंतर्गत केरल में 200 लड़कियों को लव जिहाद से बचाया है। इसके अतिरिक्त योगी आदित्यनाथ से युवा भी नाराज़ हैं। कई बार नौकरी माँगने वालों पर उत्तर प्रदेश का पुलिस प्रशासन लाठीचार्ज कर चुका है। इसके अलावा पेपर लीक और उसके बाद भर्तियाँ कैंसिल होने की घटनाएँ भी हो चुकी हैं। प्रदर्शन करने वालों पर लाठीचार्ज ही होता है। बुलडोज़र कार्रवाई से भी बहुत लोग परेशान हैं। युवाओं को नौकरियाँ न मिलने से बेरोज़गारी बढ़ रही है।
विपक्ष के पास नहीं नारे की काट
योगी आदित्यनाथ के नारे बँटोगे, तो कटोगे को भाजपा ने सुधारते हुए बँटेंगे, तो कटेंगे तो कर लिया; मगर सोशल मीडिया पर इस नारे के अनेक अर्थ निकलने लगे हैं। कोई इस नारे के पक्ष में है एवं हिन्दुओं को एकजुट होने की सलाह अथवा चेतावनी दे रहा है तो कुछ लोग यह बताने में लगे हैं कि भाजपा लोगों को डरा रही है कि अगर आपने हमें एकजुट होकर समर्थन एवं मत नहीं दिये, तो हम आपको काट भी सकते हैं। कुछ लोग इसे सकारात्मक लेकर हिन्दुओं एवं मुसलमानों को एकजुट होकर भाजपा को राजनीति से निष्कासित करने का आह्वान कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों की संख्या अधिक है, जो हिन्दू मुस्लिम एकता पर बल दे रहे हैं एवं जो भाजपा को ही बाँटने एवं काटने वाला बता रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपनी एक जनसभा में हिन्दुओं को एकजुट होने का आग्रह किया था। उन्होंने संकेत किया कि विपक्षी पार्टियाँ मुसलमानों की पक्षधर हैं एवं उनका प्रयास यही है कि मुसलमान एकजुट होकर ताक़तवर बनें एवं हिन्दू जातियों के आधार पर विभाजित होकर बिखर जाएँ। यह सच है कि भाजपा के बँटोगे, तो कटोगे नारे की काट विपक्ष के पास नहीं है। कांग्रेस इतना ही कह सकी है कि बाँटने वाली भी भाजपा है एवं काटने वाले भी भाजपा ही है। मगर भाजपा के इस नारे की सही काट अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने प्रस्तुत नहीं की है।
बँटे हुए हैं भाजपा नेता
बँटोगे, तो कटोगे से बँटेंगे, तो कटेंगे तक भाजपा नेताओं ने सुधार की नीति तो अपना ली; मगर आपसी फूट को लेकर कोई सुधार नहीं किया है। सच तो यह है कि हिन्दुओं को अपने पाले में करने के लिए सारे पापड़ बेलते हुए साम दाम दंड भेद की राजनीति कर रहे भाजपा नेता आपस में ही एकजुट नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपने ही कई मंत्रियों एवं विधायकों से नहीं बनती है। कई बार यह विरोध खुलकर सामने आ चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की केंद्र सरकार में भी अधिकतर मंत्रियों एवं सांसदों से नहीं बनती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत उनके समर्थकों से योगी का छत्तीस का आँकड़ा रहना किसी से छिपा नहीं है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मनचाहे परिणाम नहीं आने के उपरांत भाजपा द्वारा गंवाए हुए संसदीय क्षेत्रों में हार के कारण जानने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जितनी भी समीक्षा बैठकें आयोजित कीं, उनमें कई भाजपा नेता एवं मंत्री नहीं पहुँचे। उत्तर प्रदेश के दोनों ही उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं दिनेश शर्मा इन बैठकों के आसपास भी नहीं दिखे। उत्तर प्रदेश में सन् 2017 में विधानसभा चुनाव जीतने के उपरांत योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनते ही राज्यपाल के रूप में केंद्र सरकार ने आनंदीबेन पटेल को भेज दिया। राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के बीच भी मतभेदों को लेकर कई बार समाचार आये; मगर उनके बीच खुलकर कभी कोई विवाद होता दिखायी नहीं दिया।
योगी के समर्थक होंगे इधर-से-उधर?
उत्तर प्रदेश में रिक्त पड़ी 10 विधानसभा सीटों में से नौ विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होना है। उपचुनाव में रिक्त पड़ी सीटों पर जीत के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सारे घोड़े खोल दिये हैं। उनका नारा बँटोगे, तो कटोगे भले ही भाजपा के सभी नेता भुना रहे हैं; मगर सभी नेता इस नारे से प्रसन्न नहीं दिख रहे हैं। जानकार कहते हैं कि उन्हें योगी का बढ़ता क़द अखर रहा है। मगर योगी आदित्यनाथ का क़द इस नारे ने बढ़ा दिया है। हालाँकि योगी आदित्यनाथ का असली क़द उपचुनाव के परिणाम सामने आने पर तय होगा। क्योंकि पिछले चुनावों के परिणामों में उनका क़द घटा है, जिसका ठीकरा उनके समर्थकों ने यह कहकर फोड़ दिया है कि चुनावों में योगी की राय से न टिकट बँटे एवं न ही चुनाव लड़ा गया। मगर अब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बड़ी चतुराई से उपचुनाव के रथ की लगाम उन्हें थमा दी है। अगर योगी आदित्यनाथ इस उपचुनाव में 6-7 सीटें भी निकाल ले जाते हैं, तो उनका क़द बढ़ेगा अन्यथा उनका क़द भी घटेगा एवं उनके समर्थक मंत्रियों एवं पदाधिकारियों की भी शक्ति कम की जा सकती है।
वास्तव में 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मनचाहे परिणाम न मिलने से उत्तर प्रदेश में उथल पुथल मची हुई है। कई समीक्षा बैठकें अब तक उत्तर प्रदेश में हो चुकी हैं एवं अब उपचुनाव में भाजपा नेताओं ने पूरी शक्ति झोंक दी है। ऐसे में अगर योगी आदित्यनाथ इन नौ सीटों पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाये, तो भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई में बड़ा बदलाव निश्चित है।
भाजपा नेतृत्व ने संगठनात्मक बदलावों की प्रक्रिया के संकेत भी दे दिये हैं। एक भाजपा नेता ने नाम प्रकाशित न करने की विनती करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जितने मज़बूत होंगे, उनके विरोधी उतने ही कमज़ोर होंगे। उनके विरोधी केवल विपक्ष में ही नहीं हैं अंदर भी कई हैं। योगी का लक्ष्य पूरे देश पर शासन करने का है; मगर उनकी राह में कुछ लोग रोड़ा बन रहे हैं। योगी के मंत्रिमंडल में बदलाव तो तय हैं; मगर यदि योगी आदित्यनाथ उपचुनाव में अच्छे परिणाम नहीं दे पाये, तो उनके कई निकटतम लोगों को इधर-उधर किया जा सकता है।
पार्टी के कुछ बड़े नेताओं को अहम भूमिकाओं में लाया जा सकता है। यह बदलाव संगठन एवं योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल तक में किया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कई बड़े पदाधिकारी एवं मंत्री इस बदलाव से प्रभावित होंगे, जिससे कुछ की शक्तियाँ कम हो जाएँगी एवं कुछ की शक्तियाँ बढ़ जाएँगी। संगठन से लेकर सरकार तक बड़े पदों की चाहत रखने वाले नेता लखनऊ से दिल्ली तक दौड़ रहे हैं। नये सिरे से पूरी समीक्षा हो रही है एवं बूथ स्तर की समितियों से लेकर ऊपर तक बड़े बदलाव होने तय हैं।
कनाडा तक पहुँचा भाजपा का नारा
कनाडा में जो कुछ हो रहा है वह किसी से छिपा नहीं है। कनाडा के ब्रैम्पटन में हिन्दू सभा के मंदिर के पास भक्तों पर हमले को भारत सरकार ने खालिस्तानी चरमपंथियों की हिंसात्मक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाला बताते हुए कनाडा सरकार की निंदा की है। मगर कनाडा के ही कुछ लोग इसे भारत सरकार का ही हरदीप सिंह निज्जर के हत्याकांड की तरह एक षड्यंत्र बता रहे हैं। भारत सरकार का कहना है कि कनाडा की सरकार खालिस्तान के समर्थकों को बढ़ावा दे रही है। निज्जर हत्याकांड के उपरांत अब लारेंस बिशनोई को बढ़ावा दिये जाने एवं योगी आदित्यनाथ के नारे बँटोगे, तो कटोगे के उपरांत कनाडा में यह तीसरी बार है, जब वहाँ एक चिंगारी भड़क गयी है, जहाँ सदियों से एक दूसरे के साथ रहने वाले हिन्दुओं एवं सिखों के बीच विरोध एवं विद्रोह की दरार पैदा हो चुकी है। कनाडा में हिंसा का जो वीडियो सामने आया, उसमें संत वेशभूषा में कुछ लोग कहते दिख रहे हैं कि ‘ये मत सोचना कि यह हमला सिर्फ़ हिन्दू सभा के ऊपर हुआ है। यह हमला पूरी दुनिया में मौज़ूद हिन्दू समाज के ऊपर हुआ है। हम किसी का भी विरोध नहीं करते। कोई हमारा विरोध करेगा तो हम नहीं सहेंगे।’
कनाडा में इस विवाद के उपरांत वहाँ के भारतीय राजनयिक मिशन की सुरक्षा को लेकर केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने चिन्ता व्यक्त की है। इस विवाद के कारण भारत के वाणिज्य दूतावास को अपने टोरंटो के कार्यक्रम रद्द करने पड़े हैं। वहाँ के भारतीय सुरक्षा अधिकारियों ने कुछ निर्धारित शिविर रद्द कर दिये हैं। विदेश मंत्री जयशंकर एवं ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वांग की साझा पत्रकार वार्ता को दिखाने वाले चैनल को कनाडा ने ब्लॉक कर दिया है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत के प्रति रवैये को भारतीय विदेश मंत्रालय ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा इसे राष्ट्रों की स्वतंत्रता पर हमला एवं कनाडा का पाखंड बताया है।