यूपी और बिहार के मजदूरों ने तहलका संवाददाता को बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल 31 मई से लाँकडाउन में रियायत कर फैक्ट्रियों और निर्माण कार्य के लिये अनलाँक कर रहे है। जिससे मजदूरों में खुशी है। लेकिन मजदूरों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुये कहा कि चाहे, केन्द्र की सरकार हो या राज्यों की सरकारें ने मजदूरों के हित की बातें ही की है। लेकिन धरातल पर कुछ नहीं किया है। जिसके कारण मजदूरों की दुर्दशा हो रही है। लाँकडाउन 2020-21 के बाद सबसे अधिक आर्थिक तंगी का असर मजदूरों को झेलना पड़ा है। क्योंकि लाँकडाउन के चलते ,मजदूरों की मजदूरी अचानक जाने से उनकी मजदूरी ठेकेदारों और कई फैक्ट्ररी वालों ने नहीं दी है। ऐसे में सरकार का दायित्व व जिम्मेदारी बनती है कि मजदूरों की समस्याओं को समझें और उनकी रूकी हुई मजदूरी को वापस दिलवायें।
बिहार में गये मजदूर रतन और आलोक सिंह ने बताया कि जहां भी मजदूर दिल्ली सहित अन्य महानगरों में काम करते है। उनके रहने को कोई घर तो होता नहीं है। ऐसे में मजदूर या तो झुग्गियों में रहने को मजदूर होते है या फिर फुटपाथ पर रात गुजारते है। या निर्माणाधीन मकानों में रहते है। ऐसे में अब सरकार को चाहिये की कोरोना कहर के दौरान अगर लाँकडाउन होता है। तो सरकार कम से कम रहने की व्यवस्था तो करें। ताकि मजदूरों को कोई परेशानी ना हो।
यूपी के बांदा और महोबा जिला के मजदूर प्रमोद सिंह और पुनीत कुमार ने बताया कि आज दिल्ली और हरियाणा से कई फैक्ट्री मालिक बुला रहे है। कारों से बुलवा रहे है। रहने और खाने तक देने की बात कर रहे है। लेकिन पुराने काम का दाम नहीं दे रहे है। ऐसे में मजदूरों को एक बात का ही भय सता रहा है। अगर कोरोना काल फिर से लाँकडाउन में तब्दील होता है। तो फिर क्या करेगें मजदूर। मजदूर पुनीत का कहना है कि सरकार को कोई मजदूरों की परेशानी को देखते हुये कोई सुरक्षित योजना मजदूरों के लिये लाना चाहिये ताकि, विषम परिस्थियों में मजदूरों की मजदूरी मिल सकें।