बीस साल बाद एक बार फिर फीफा फुटबाल विश्व कप फ्रांस पहुंच गया। रूस में 14 जून से चल रहे विश्व कप फुटबाल टूर्नामेंट के फाइनल में फ्रांस ने जुझारू टीम क्रोएशिया को 4-2 से हरा दिया। आज से 60 साल पहले जब ब्राजील ने स्वीडन को फाइनल में 5-2 से परास्त किया था, उसके बाद निर्धारित समय के भीतर यह सबसे बड़ी जीत है। हालांकि 1966 के फाइनल में इंग्लैंड ने जर्मनी को इतने ही अंतर (4-2) से हराया था पर वह मैच अतिरिक्त समय तक चला था।
आधे समय तक विजेता टीम 2-1 से आगे थी। क्रोएशिया की शुरूआत बहुत तेज़ थी, लेकिन फ्रांस को मिली एक फ्री किक जो कि ग्रीज़मैन ने ली थी, पर क्रोएशिया का खिलाड़ी मैंडज़ूकिक गेंद ‘क्लीयरÓ करने के प्रयास में सिर से गेंद अपने ही गोल में डाल बैठा और फ्रांस को 1-0 की बढ़त मिल गई। यह गोल 18वें मिनट में आया। अपने ही गोल में गेंद डालने की इस विश्व कप की यह 12वीं घटना थी। ‘नॉक आउटÓ में यह लगातार चौथा अवसर था जब क्रोएशिया पहला गोल खा कर पिछड़ गया था। प्री क्र्वाटर, क्र्वाटर और सेमीफाइनल इन सभी मैचों में भी उस पर पहला गोल हुआ था। पर सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ बराबरी का गोल करने वाले प्रीसिस ने यहां भी 10 मिनट के बाद अपनी टीम को बराबरी पर ला दिया। लुका मोड्रिकस की ‘बाक्सÓ के बाहर से ली ‘फ्री किकÓ को साइम वरसालीडकों ने सिर से प्रीसिस की ओर बढ़ा दिया प्रीसिस ने ‘बाक्सÓ में गेंद संभाली और दो फ्रांसिसी रक्षकों को चकमा देते हुए अपने बांए पैर से ज़ोरदार तिरछा शॉट लगा कर गेंद को गोल कीपर के बांए तरफ गोल में डाल दिया (1-1)
लेकिन प्रीसिस उस समय ‘हीराÓ से ‘जीरोÓ बन गए जब फ्रांस को मिली एक फ्लैग किक पर उन्होंने अपनी बाजू लगा दी पर यह रैफरी और सहायक रैफरी को नहीं दिखा। इस पर फ्रांस के खिलाडिय़ों ने रैफरी से अपील की। अर्जेंटीना के रैफरी नेस्टर मिताना ने ‘वीएआरÓ रिव्यू देखा और बेझिझक फ्रांस को पेनाल्टी दे दी। यह इस दूर्नामेंट की 28 वीं पेनाल्टी थी यह भी एक रिकार्ड है। क्रीज़मैन को इसे गोलकीपर के दांए ओर से गोल में डालने में कोई कठिनाई नहीं हुई । इस टूर्नामेंट में उसका यह चौथा गोल था। यह गोल खेल के 38वें मिनट में हुआ। 1974 के बाद किसी भी विश्व कप के फाइनल में आधे समय तक के ये सबसे ज़्यादा गोल थे (2-1)। 1974 में पश्चिमी जर्मनी भी नीदरलैंड्स के खिलाफ आधे समय तक 2-1 से ही आगे था।
आधे समय के बाद क्रोएशिया ने हमले तेज किए। मैदान में और ‘हवाÓ में भी वे फ्रांस के खिलाडिय़ों पर भारी पर रहे थे, पर फ्रांस की रक्षा पंक्ति ने गज़ब का खेल दिखाया। उन्होंने क्रोएशिया की टीम को गोल पर निशाना नहीं लेने दिया। इस बीच एमबैपे और ग्रीज़मैन ने एक हमला बनाया और बॉक्स के कोने पर खड़े पोगवा को गेंद थमा दी। उसका दाएं पांव से लिया गया शॉट गोली ने रोका पर लौटती गेंद कारे उसने आसानी से गोल में पहुंचा दिया (3-1)।
छह मिनट बाद लुकस हरनेड्डज़ ने बाए छोर से ज़ोरदार हमला बनाया ओर 19 वर्षीय एमबैपे को पास थमा दिया इस युवा खिलाडी ने शानदार नीचा शॉट लगा कर अपना खाता खोला और साथ ही टीम को 4-1 की बढ़त दिला दी। पेले (विश्व कप 1958) के बाद विश्व कप फाइनल में गोल करने वाला वह सबसे कम उम्र का खिलाडी बन गया।
पिछले तीन मैचों में पिछडऩे के बाद लगातार वापसी करने वाली क्रोएशिया की टीम कुछ हताश सी हो गई। उसके लिए तीन गोल की बढ़त को खत्म कर पाना नामुमकिन न सही पर कठिन ज़रूर था। मैच खत्म होने से 20 मिनट पहले फ्रांस के गोलकीपर हुगो लौरिस ने एक भयानक भूल कर दी। सैमुयल उमटीटी के बैक पास पर गोलकीपर लौरिस ज़्यादा ही ढीला हो गया और उसने पीछे से आ रहे मंदज़ूकीक पर पूरा ध्यान नहीं दिया । उसने उसे छक्काने की कोशिश की लेकिन उसके पैर से लग कर गेंद गोल में चली गई और स्कोर 4-2 हो गया। विश्व कप के इतिहास में इस तरह का गोल होने का शायद यह पहला अवसर था।
गोल्डन बूट
इंग्लैंड के कप्तान हैरी कैने को टूर्नामेंट में सर्वधिक गोल (6) करने के लिए ‘गोल्डन बूटÓ मिला और क्रोएशिया के लुका मोड्रिकस को ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंटÓ चुना गया और उन्हें ‘गोल्डन बॉलÓ दी गई। बैल्जियम के ‘मिड फील्डरÓ ईडन हैजर्ड को दूसरे नंबर का खिलाडी चुना गया। बैल्ज्यिम के गोल रक्षक थीबाउट कोर्टियस को ‘गोल्डन ग्लव्सÓ दिया गया।
गैरी लिंकर (1986) के बाद जिन्होंने विश्व कप में सर्वाधिक छह गोल किए थे , कैने सबसे ज़्यादा गोल करने वाले दूसरे अंग्रेज खिलाड़ी बन गए। कैने ने तीन गोल पेनाल्टी किक से किए हैं। कैने ने छह में से दो गोल टुनीशिया के खिलाफ, तीन पानामा के खिलाफ और एक कोलंबिया के खिलाफ किया। इनमें से तीन गोल पेनाल्टी से, दो बॉक्स के अंदर मिली गेंद से और एक सिर से किया। कैने ने गोल पर कुल 14 शॉट मारे इनमें से छह पर गोल हुए।
मारियो जगालो (ब्राज़ील) और फ्रांज बेकेनबॉट (जर्मनी) के बाद दिदिए तीसरे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने पहले खिलाडी और फिर कोच के रूप में विश्व कप जीता है।
बैल्जियम को तीसरा स्थान , इंग्लैंड को 2-0 से हराया
डेढ़ हफ्ता पहले तक फीफा वर्ल्ड कप 2018 में विजेता पद की दावेदार मानी जा रही बैल्जियम और इंग्लैंड क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान पर रहे हैं। शनिवार शाम को बैल्जियम ने सेंट पीटर्सबर्ग स्टेडियम में खेले गए फीफा वर्ल्ड कप के तीसरे स्थान के मैच में इंग्लैंड को 2-0 से हरा दिया। सेमीफाइनल में दोनों टीमें अपने प्रतिद्वंदियों से हार गईं थीं।
बैल्जियम ने एक पखवाड़े के भीतर दूसरी बार इंग्लैंड को हराया। ग्रुप चरण में भी बैल्जियम ने 82 साल के लंबे अंतराल के बाद इंग्लैंड हो हराया था। ये फीफा वर्ल्ड कप में बैल्जियम का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। गेरेथ साउथगेट ने क्रोएशिया से सेमीफाइनल में हारी इंग्लैंड टीम में चार बदलाव किये थे। इंग्लैंड ने विश्व कप में अपनी सबसे युवा टीम उतारी जिसमें खिलाडिय़ों की औसत आयु 25 वर्ष 174 दिन थी।
बैल्जियम शुरू से ही आक्रामक थी और उसने इंग्लैंड के डिफेंस और अटैक को पूरे मैच में पंगु सा करके रखा। बैल्जियम ने चौथे मिनट में ही गोल कर इंग्लैंड को जबरदस्त झटका दे दिया जिससे इंग्लैंड कभी भी बाहर नहीं निकल पाया। टीम में वापसी करने वाले थॉमस म्यूनिएर ने यह गोल किया। थॉमस पहले सेमीफाइनल मैच में निलंबन के चलते नहीं खिलाये गए थे। नासेर चाडली के बाई तरफ से दिए क्रास पास पर म्यूनिएर ने गोल किया।
इस विश्व कप में बैल्जियम की टीम ”रेड डेविल्स” के नाम से मशहूर हुई। हॉफ टाइम तक बैल्जियम 1-0 से आगे रही थी। दूसरे हाफ में 1-0 की बढ़त के मनोविज्ञानिक लाभ के साथ बैल्जियम के खिलाडिय़ों ने एक के बाद इंग्लैंड पर हमलों की बौछार की। हालांकि गोल का अवसर बैल्जियम को 82वें मिनट में मिला जब ब्रुइने से मिले पास पर हैजार्ड ने गेंद गोलपोस्ट के भीतर नेट में मार दी। इस तरह बेल्जियम फीफा वर्ल्ड कप में तीसरा स्थान हासिल करने में पहली बार सफल हुआ। हैजार्ड को ”मैन ऑफ द मैच” चुना गया।
दर्शकों की शोर के बावजूद इंग्लैंड टीम को इस विश्व कप में जीत की जगह हार की निराशा के साथ देश वापस लौटना पड़ा। बेल्जियम का विश्व कप में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन इससे पहले 1986 में था जब वह चौथे स्थान पर रहा था। भले ही बैल्जियम कप नहीं जीत पाया लेकिन उसने तीसरा स्थान पहली बार हासिल कर अपने समर्थकों को निराश नहीं होने दिया।
सेमी फाइनल मैच
इससे पूर्व खेले गए सेमीफाइनल मैचों में भी एक कड़ी चुनौती थी। यहां पर क्रोएशिया की टक्कर 1966 के विजेता इंग्लैंड से थी। यहां हालांकि पहला गोल इंग्लैंड ने किया पर क्रोएशिया ने बराबरी की और फिर विजयी गोल दाग कर 2-1 से जीत दर्ज कर ली। इस मैच में क्रोएशिया ने 22 शॉट गोल पर ट्राई किए जबकि इंग्लैंड केवल 11 बार ही कर पाया। गेंद पर भी 56 फीसद नियंत्रण क्रोएशिया का रहा और 44 फीसद गेंद इंग्लैंड के पास रही। क्रोएशिया को आठ और इंग्लैंड को चार कार्नर मिले।
फ्रांस और बैल्जियम के बीच खेला गया दूसरा सेमीफाइनल भी अत्याधिक रोमांचक रहा। इस मैच में फ्रांस ने बैल्जियम पर 1-0 से जीत दर्ज की। हालांकि इस मुकाबले में गेंद 64 फीसद बैल्जियम के कब्जे में रही और पासों की सटीकता भी बैल्जियम की 91 फीसद और फ्रांस की 83 फीसद थी फिर भी एक मात्र गोल फ्रांस ने कर जीत दर्ज की और फाइनल में स्थान बनाया।?
वीएआर का सफल प्रयोग
पहली बार वीडियो असिस्टेंट रैफरी का प्रयोग हुआ। इसका 440 बार इस्तेमाल हुआ। 62 मैचों में 19 फैसले रिव्यू हुए और 16 निर्णय बदले गए।
फेयर प्ले से नॉकआएट राउंड
पहली बाद फेयर प्ले से कोई टीम (जापान) नॉक आउट राउंड में पहुंची। स्नेगल को ज़्यादा येलो कार्ड (6) के कारण टूर्नामेंट से बाहर जाना पड़ा।
दबदबा टूटा, दायरा बढ़ा
88 साल पुराने टूर्नामेंट में चुनिंदा देशों का दबदबा टूटा। पहली बार क्रोएशिया फाइनल में तो रूस क्र्वाटर में पहुंचा। इंग्लैंड भी 28 साल बाद सेमी फाइनल खेला।