सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्यों से सड़कों और फुटपाथों पर रहने वाले बच्चों की जानकारी सरकारी पोर्टल पर अपडेट न करने पर फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को उन्हें तीन हफ्ते के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि देश दो साल से कोविड-19 से लड़ रहा है, लेकिन इसके यह मायने नहीं कि अदालत के आदेश का पालन ही नहीं हों। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सभी राज्यों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अब चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगा।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कोरोना और जिन दूसरी समस्यायों का हम मुकाबला कर रहे हैं, वह ऐसे बच्चों के लिए कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है, जिनकी देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने राज्यों के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वह बिना देरी सड़कों पर रह रहे बच्चों की पहचान करने के जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण और स्वयंसेवी सगठनों की सहायता ले और बाल स्वराज पोर्टल पर सभी चरणों की जानकारी अपलोड करे।
सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकारों से सड़क पर रह रहे बच्चों के पुनर्वास के लिए जल्द ही नीतिगत फैसला करने को भी कहा। अदालत ने यह भी कहा कि एनसीपीसीआर की बैठक में बच्चों के पुनर्वास के मुद्दे पर चर्चा की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते के अंदर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से मामले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहते हुए कहा कि अदालत चार हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगी।
याद रहे सर्वोच्च अदालत कोरोना महामारी के दौरान सड़कों और फुटपाथ पर रह रहे बच्चों की स्थिति और पुनर्विस्थापन के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है। मामले के दौरान कुछ राज्यों ने अपने यहाँ मामलों की संख्या को लेकर जानकारी दी।