बॉलीवुड में सरोगेसी आजकल आम-सा हो गया है। सेलीब्रिटीज़ ट्रेंड सेटर्स होते हैं और वे जो भी करते हैं, वह अपने आपमें ट्रेंड बन जाता है। लोग उसे फॉलो भी करने लगते हैं। बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी कुंद्रा और उनके बिजनेसमैन पति राज कुंद्रा 15 फरवरी, 2020 को सरोगेसी के द्वारा पैरेंट्स बने हैं। इस बात की जानकारी शिल्पा शेट्टी ने इंस्टाग्राम पर 21 फरवरी, 2020 महाशिवरात्रि को एक फोटो साझा करके अपने प्रशंसकों को दी, जिसमें वह अपनी नन्ही परी का हाथ थामे दिखीं। उन्होंने अपने अकाउंट पर फोटो साझा करके लिखा- ‘हमें यह बताने में बेहद खुशी हो रही है कि हमारी दुआ कुबूल हो गयी है। घर में लक्ष्मी आयी है। उन्होंने अपनी बेटी का नाम समीशा रखा है। ‘मीशा शब्द उन्होंने रशियन भाषा से लिया है, जिसका मतलब होता है- ईश्वर। जबकि ‘स प्रत्यय (संस्कृत व्याकरण के अनुसार) लगने से ‘के जैसा अर्थ होता है। इस तरह शिल्पा ने अपनी बेटी का नाम- समीशा यानी ‘ईश्वर के जैसी सोचकर रखा है।
इससे पहले, शाहरुख खान, सन्नी लियोनी, तुषार कपूर, एकता कपूर, करण जौहर, आमिर खान जैसे दिग्गज फिल्मी सितारे पैरेंट्स बनने के लिए सेरोगेसी का रास्ता अपना चुके हैं। शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा का पाँच साल का एक बेटा है। एक साक्षात्कार में शिल्पा ने खुलासा किया था कि वह लम्बे समय से दूसरे बच्चे के बारे में सोच रहे थे। लेकिन इसमें कुछ दिक्कतें आ रही थीं। इसलिए उन्होंने सरोगेसी का रास्ता अपनाया। जूनियर शिल्पा शट्टी की खुशी में उन्होंने अपने कुछ खास रिश्तेदारोंऔर दोस्तों के साथ पार्टी भी रखी थी। इस पार्टी की फोटो भी उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर की।
शाहरुख खान ने 2017 में मीडिया को बताया था कि चार साल पहले उनकी बीवीऔर वे बच्चे का प्लान कर रहे थे। 2013 में उन्होंने सरोगेसी से दूसरा बेटा अबराम हुआ। अभिनेत्री सनी लियोनी ने 2018 में बेटी निशा को गोद लेने के बाद सरोगेसी के ज़रिये जुड़वाँ बच्चों का स्वागत किया, इसकी सूचना सनी लियोनी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ‘गॉड्स प्लान लिखकर दी। उन्होंने लिखा- वे काफी समय से फैमिली प्लानिंग कर रहे थे और भगवान ने हमारे लिए कुछ बड़ा सोचा था। आिखरकार हमारा परिवार पूरा हो गया। अब हमारा बड़ा परिवार है। अब हमारे तीन खूबसूरत बच्चे हैं, जिनके नाम आशेर सिंह वेबर, नोहा सिंह वेबर और निशा सिंह वेबर हैं।
2011 में मिस्टर परपेक्शनिस्ट के नाम से मशहूर आमिर खान और उनकी फिल्ममेकर धर्मपत्नी किरण राव ने अपने पहले बच्चे आज़ाद राव खान के बारे में लोगों को बताया। किरण राव ने बताया कि यह बेहद खास बच्चा है, जो कि कुछ परेशानियों के चलते काफी समय इंतज़ार करने के बाद सरोगेसी के ज़रिये इस दुनिया में आया है। राव ने बताया था कि विशेषज्ञों ने हमें आईवीएफ-सरोगेसी की सलाह दी थी और हम बेहद खुश हैं कि हमारा सपना साकार हुआ।
इसी तरह 2017 मे प्रोड्यूसर-डायरेक्टर करण जौहर जो कि बॉलिवुड की मशहूर हस्ती हैं, वह भी सरोगेसी के ज़रिये जुड़वाँ बच्चे (लड़का और लड़की) के सिंगल पैरेंट बने, जिनके नाम यश और रूही हैं। इसी तरह वर्ष 2016 में अभिनेता तुषार कपूर भी सरोगेसी के द्वारा एक बेटे के पिता बने, उन्होंने बताया कि मेरे माता-पिता इस बात को लेकर बहुत चिन्तित थे कि इसकी आईवीएफ-से सरोगेसी के ज़रिये हुए बेटे की सूचना मुझे देनी चाहिए या नहीं। बालाजी टेली फिल्म्स की क्रिएटिव हेड एकता कपूर ने स्वयं बताया था कि वे 27 जनवरी 2019 को सरोगेसी के ज़रिये एक बेटे की माँ बनीं। उन्होंने अपने बेटे का नाम रवि रखा है, जो कि उनके पिताजी सदाबहार अभिनेता जितेंद्र का असली नाम है। बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत की बहन रंगोली चंदेल ने उस दिन बेटी गोद ली, जिस दिन शिल्पा शेट्टी ने अपनी सरोगेसी से हुई बेटी की खबर सोशल मीडिया पर शेयर की थी। रंगोली चंदेल ने बताया उनका पहले ही एक बच्चा है, उन्होंने कहा कि मैं और मेरे पति अजय ने यह निर्णय लिया है कि हम सेरोगेसी की बजाय एक बच्चा और गोद लेंगे।
सुष्मिता सेन 18 वर्ष की उम्र में 1994 में मिस यूनिवर्स बनने वाली भारत की पहली महिला हैं। सुष्मिता ने वर्ष 2000 मे एक बेटी, जिनका नाम रैने है और 2010 में दूसरी बेटी, जिनका नाम अलिसा है। मिस यूनिवर्स ने ये दोनों बेटियाँ गोद ली हुई हैं। हाल ही में उन्होंने एक बेटा भी गोद लिया है। सरोगेसी एक तरह का कानूनी समझौता है, जिसके अंतर्गत दूसरी महिला अपने गर्भाशय में नौ महीने बच्चा रखने को तो तैयार होती है और उस बच्चे को जन्म देने के बाद कानूनी समझौते के अनुसार उसके असली माता-पिता को दे देती है।
सरोगेसी और इसकी वैधता
सरोगेसी बिल :- 15 जुलाई, 2019 को लोकसभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने सरोगेसी बिल पेश किया। बिल में उन्होंने सरोगी के बारे में बताया गया है कि एक महिला ऐसे बच्चे को जन्म देती है, जिसे वह जन्म देने के बाद इच्छुक दम्पति को सौंप देती है।
सरोगेसी के नियम :- यह विधेयक व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबन्ध लगाता है, लेकिन परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है। परोपकारी सरोगेसी में गर्भावस्था में माँ को दवाइयों और बीमा के खर्च के अलावा कुछ और नहीं दिया जाता। व्यावसायिक सरोगेसी के अंतर्गत सरोगेट माँ को गर्भावस्था में इलाज की सुविधा, बीमा और रकम भी अदा की जाती है, इस पर यह सरोगेसी तय होती है।
सरोगेसी की अनुमति की शर्तें :- सरोगेसी को निम्नलिखित कारणों से अनुमति दी जाती है : (1) उन कपल्स के लिए, जिन्हें डॉक्टर ने साबित कर दिया हो कि वह माता-पिता बनने मे असमर्थ हैं।
(2) किसी की मदद करने का इरादा हो। (3) व्यवसाय के इरादे से न किया गया हो। (4) बच्चों को पैदा कर बेचने के व्यापार और दुरुपयोग के लिए न किया गया हो।
पात्रता के मानक :- इच्छुक दम्पति के पास आवश्यकता का प्रमाण-पत्र के साथ आगे बच्चे के पालन पोषण करने के योग्य होने का सबूत भी देना होता है।
शर्तें, जो कि प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं :- (1) ज़िला मेडिकल बोर्ड से मिला सर्टिफिकेट, जो कि माता-पिता बनने की इच्छा रखने वाले जोड़े में से किसी एक की अयोग्यता को साबित करने वाला हो। (2) बच्चे के पालन पोषण और देखरेख का कोर्ट से मिला आदेश।
(3) सरोगेट माँ के लिए बच्चा हो जाने के बाद 16 महीनों का बीमा कवरेज़।
(4) भारत का नागरिक होने के साथ-साथ उनके विवाह को पाँच साल से ज़्यादा हो गये हों। (5) पत्नी की उम्र 23 से 50 वर्ष के बीच हो और पति की उम्र 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए। (6) इच्छुक जोड़े के पास पहले से ही कोई जीवित बच्चा (गोद लिया हुआ, अपना और सरोगेसी के द्वारा) नहीं होना चाहिए। यदि हो भी तो मानसिक बीमार हो।
सरोगेट माँ के लिए ज़रूरी मापदंड :- सरोगेट माँ बनने के लिए ज़रूरी अधिकृत प्रमाण-पत्र होना ज़रूरी है कि वह इसके योग्य है। (1) कोई करीबी रिश्तेदार (2) 25 से 35 वर्ष उम्र हो (3) अपने पूरे जीवन काल में महिला केवल एक ही बार सरोगेट माँ बन सकती है। (4) महिला के पास सरोगेसी के लिए मेडिकल और मनोवैज्ञानिक फिटनेस सर्टिफिकेट होना आवश्यक है, अन्यथा महिला सरोगेसी के लिए अपने गैमीट प्रदान नहीं कर सकती।
प्राधिकरण बनाएँगे :- केंद्र और राज्य सरकार ने बिल के अधिनियम बनने के बाद 90 दिन के भीतर उचित प्राधिकरण बनाएँगे। (1) पंजीकृत सरोगेसी क्लीनिकों को निलम्बित, स्थगित और रद्द करना। (2) सरोगेसी के लिए घूस देने वालों के िखलाफ जाँच और कार्रवाई।
सरोगेसी क्लीनिकों का पंजीकरण :- सरोगेसी से सम्बन्धित प्रक्रिया को तब तक पूरा नहीं किया जा सकता, जब तक के वह उचित प्राधिकरण में पंजीकृत न हो। सरोगेसी क्लीनिक्स में किसी भी अप्वाइंटमेंट लेने से पूर्व 60 दिन के अन्दर पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
राष्ट्रीय और राज्य सरोगेसी बोर्ड :- केंद्र और राज्य सरकारें राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड और राज्य सरोगेसी बोर्ड का गठन करेंगी। (1) इसके अंतर्गत केंद्र सरकार को सरोगेसी से सम्बन्धित नीतिगत मामले की जानकारी देना। एसएसबी के कामकाज की निगरानी करना।
सरोगेसी के अंतर्गत किए गए अबॉर्शन का प्रतिशत :- सरोगेसी प्रक्रिया से पैदा होने वाले बच्चे को अंतर्गत दम्पति का बायोलॉजिकल बच्चा माना जाएगा। गर्भपात के लिए सरोगेट माँ की लिखित सहमति आवश्यक है और उचित प्राधिकरण से अनुमति लेना भी ज़रूरी है। यह मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट-1971 के तहत आवश्यक है।
अपराध और दंड :- विधेयक के तहत अपराधों में शामिल हैं। (1) कमर्शियल सरोगेसी। (2) सरोगेट माँ का शोषण। (3) सरोगेट बच्चे का शोषण (4) सरोगेसी के लिए मानव जैमीट या भ्रूण को बेचना कानून के खिलाफ है। ऐसा करने पर 10 साल की सज़ा और 10 लाख तक का ज़ुर्माना होगा। सरोगेसी बिल का उल्लंघन करने पर अन्य तरह से भी सज़ा व ज़ुर्माने का प्रावधान किया गया है।