दशहरा खत्म हो गया। पूरे देश में देवी भक्तों ने दशहरे पर नदी किनारे जयकारे के बीच उन्हेें विदा दी। उन्हें नमन करते हुए भक्तों ने भरे कंठों से कहा, फिर आना माँ। सर्वगुणसंपन्न देवी की प्रतिमा मारे गए महिषासुर के साथ नदी के जल के प्रवाह में डूब और उतरा रही थी। भक्त लौट रहे थे। अपने-अपने घर को।
पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से देवी पूजा संपन्न हुई। पटाखों के शोर में राम ने असुर रावण का वध किया। सीता, लक्ष्मण के साथ अयोध्या को लौटे। रजोगुण-तमोगुण और सर्वगुण संपन्न देवी माँ भी लौट गई अपने घर। लेकिन देश के विभिन्न शहरों में आज देवियां घर-घर में आंदोलित हैं। राजधानी दिल्ली के इलाके में महिलाओं ने जुलूस निकाला। प्रर्दशन कर रही इन महिलाओं के हाथों में पोस्टर थे। इनमें कुछ में लिखा था, ‘छेड़छाड़ बर्दाश्त नहींÓ, ‘अब भी देर नहीं, कामपियसुओं को करेंगे उजागर।Ó
भारत सरकार के विदेश राज्यमंत्री और पत्रकार एमजेअकबर, पर तकरीबन नौ आरोप काम की जगहों में, होटलों में उनके कमरोंं में छेड़छाड़ और यौनाचार के आरोप हैं। मुंबई में मिस इंडिया और अभिनेत्री तनुश्री ने अभिनेता नाना पाटेकर, और गणेष आचार्य आदि के खिलाफ आरोप ही नहीं बल्कि मामला मुकदमा भी दायर किया।
विकास की राह पर अब बढ़ रहे देश के शासकों को यही किया कि जांच कमेटी गठित हो जाए। इस पर मामले रफा दफा हो जाएंगे। उनकी नज़र में जबरन छेड़छाड़ और यौन संपर्क के बाद अलगाव के दौरान लंबे अर्से तक अवसाद और ट्रॉमा की शिकायतों बेमतलब रहीं। सामाजिक न्याय और नैतिकता की बात करने वाले और मुंह में जलेबी जैसी बातचीत करने में माहिर नेताओं को यह बात भी महत्वहीन लगी कि नैतिकता के आधार पर ही आरोपों की जांच हो जाने और फैसला आने तक अरोपी पदमुक्ति को व्यवहार में लाने का आदेश जारी करें।
देश में ‘मी टूÓ आंदोलन से लड़कियों को जहां यह मानसिक मजबूती मिली है कि उनका शरीर उनका अपना है और उसकी वे खुद मालकिन हैं इसलिए उन्हें सतर्क होना और एतराज करने और मामला-मुकदमा निसंकोच दायर करने की हिम्मत भी बंधी है। यह आंदोलन अब कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से उत्तरपूर्व तक फैल गया है इससे इन लोगों की परेशानी बड़ी है जो अपनी प्रभुता, पद, संपन्नता और पैसों के बल पर छेड़छाड़ और यौन संपर्क बनाते रहे हैं।
छोटे-बड़े शहरों में विश्वविद्यालय परिसर निजी और सरकारी विद्यालय छोटी-बड़ी फैक्ट्टरियों, कंपनियों, अस्पताल, गांवों, धार्मिक स्थलों, सुरक्षा संगठनों, होटल, रिसोर्ट, प्रकाशन गृहों, थिएटर, टीवी फिल्म उद्योग, अखबारों, पत्रिकाओं, रेडियो, टीवी-चैनेल, सोशल मीडिया, गैर सरकारी और सरकारी स्वैच्छिक संगठनों, राजनीति और अन्य तमाम जगहों पर महिला सहकर्मियों के साथ छेड़छाड़ और यौनसंपर्कों की घटनाएं होती रही हैं। ‘मी टूÓ आंदोलन से अब लड़कियों और महिलाओं में यदि शिकायत करने का हौसला बढ़ा है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। इससे अगली पीढ़ी भी मजबूत होगी और मुकाबला कर सकेगी।
महिलाओं की अब यह चुप्पी टूटी है। यह बड़ी बात है। मुंबई के सिने जगत में तकरीबन दस साल पहले मिस इंडिया रही तनुश्री के साथ स्टूडियों में अभिनेता नाना पाटकर ने एक फिल्म ‘हार्न ओके पलीज़Ó की शूटिंग के दौरान उनके साथ अभद्रता की थी। उसे अब तनुश्री बता पा रही हैं। उन्होंने तब भी इसकी शिकायत की थी लेकिन उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया। अब उस घटना के बारे में उन्होंने अपनी उम्र के 34वें साल में हिम्मत कर फिर कहा। शुरू में नाना समर्थक राजनीतिक दलों के छुट भैया नेताओं ने उन्हें काफी डराया-धमकाया। लेकिन वे डरी नहीं। अपने वकील के जरिए उन्होंने केस दायर कर दिया है। उधर नाना पाटकर का कहना है कि वे साथ काम करने वालियों का लिहाज करते हैं और उन्हें प्यार भी करते हैं। उन्होंने तनुश्री पर मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
लेकिन तनुश्री की आवाज दबी नहीं है। कंगना रानावत, अक्षय खन्ना, डिंपल कपाडिय़ा, शिल्पा शेट्टी, इरफान खान, आदि ने उनकी आवाज को समर्थन दिया है। इतना ही नहीं इस के बाद ढेरों फिल्म निर्माताओं, लेखकों, खिलाडिय़ों, कोच, पत्रकारों, टीवी, रंगमंच और मंत्रियों के खिलाफ ढेरों आरोप सामने आए हैं।
रंगमंच से टीवी और फिल्मी दुनिया में गए आलोक नाथ पर लेखक और टीवी प्रोड्सयर विनिता नंदा ने बलात्कार का आरोप लगाया। फिल्म निर्माता विकास बहल पर आरोप लगे। फैंटम फिल्मस के बैनर में उनके साथ अनुराग कश्यप, विक्रमादित्य मोरवाने और मधु मन्टेना आदि सहयोगी थे। वह अब बंद हो गया है। कई फिल्मी अभिनेतियों ने साजिद खान पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए। उनकी फिल्म ‘हाउसफुलÓ का चौथा संस्करण अब रुक गया है। आमीर खान और पत्नी किरण राय ने खुद को जॉली एलएलबी बना रहे सुभाष कपूर के ‘मोगलÓ में काम करने से मना कर दिया है।
तनुश्री दत्ता ने निदेशक विवेक अग्निहोत्री पर भी 2005 में फिल्म ‘चॉकलेट: डीप डार्क सीक्रेटÓ के सेट पर उनके साथ अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगाया है।
बालीवुड में अभिनेतत्रियों अपने सेक्रेटरी और मैनेजर जो वाउंसर भी होते हैं साथ ही माता-पिता आदि को शूटिंग के दौरान साथ रखती हैं। लेकिन कोई गारंटी नहीं होती कि देर रात में दरवाजा खटकेगा नहीं।
नई सहसृष्टि की शुरूआत में टीवी उद्योग खासी प्रगति पर था। टीवी चैनेल के मालिक और उनके प्रबंधक फि ल्मों से सितारों, लेखकों को न्यौता देने लगे थे। काम पर आने वाली महिलाओं की तादाद बढ़ गई। छेड़छाड़ के आरोप भी बढऩे लगे। लेकिन उनकी नज़रों में महिलाएं सहायक से ज्य़ादा कुछ नहीं थीं। उनके साथ छेड़छाड़ की घटनाएं आम थीं। पर महिलाएं काम मिले होने के कारण ज्य़ादा प्रतिवाद नहीं करती थीं। उन्हें मोबाइल पर अश्लील संदेश भेजे जाते। पार्टियों में बुलाया जाता।
बालीवुड में सभी प्रोडकशन हाउसेज में छेड़छाड़, यौन क्रिया-कलायों की शिकायतों को सुनने के कथन हैं। कुछ में सेक्सुअल हेरैसमेंट ऑफ वीमेन एट वर्कप्लेस, प्रिवेंशन प्रोहिबिशन एंड रिड्रेसल कानून 2013 की तरह छानबीन भी होती है। शिकायतों पर गोपनीयता भी बनाए रखी जाती हैं। लेकिन न्याय तभी हो पाता है जब यह साफ होता है कि आरोपी बहुत नामी, धनी, जुुगाडू तो नहीं है। ज्य़ादातर निर्माता न्यायमूर्तिै बने होते हैं तो वे मामले रफा-दफा कर देते हैं। फाइल बंद हो जाती है।
ज्य़ादातर मामलों में लड़कियां काम दिलाने वालों के खिलाफ नहीं जातीं क्योंकि उन्हें लगता है कि फिर उन्हें वापस घर लौटना होगा। वे सब कुछ बर्दाश्त करती हैं। कई दशक बाद वे मुंह खोल पाती हैं। तनुश्री दत्ता ने 2008 में ही एफआईआर और शिकायत सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन में की थी। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई।
लेकिन अब बालीवुड अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य कर रही लड़कियों और महिलाओं में नई चेतना का संचार हुआ है चाहे वे संगीत, गायन, तकनीशियन और अभिनय के क्षेत्रों में हों। ‘वहां यौनाचार तो हर क्षेत्र में सबसे पहले चाहा जाता था।Ó बताया विनिता नंदा ने। वहां के तमाम यूनियन संघ चाहे वे प्रोडूसयर गिल्ड ऑफ इंडिया हों, फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलाईज़ हों या फिर सीआईएनटीएए हो कभी कागज़ी कार्रवाई से आगे नहीं बढ़ सके।