फिटनेस एक ऐसी आवश्यकता है, जिसके बिना स्पोट्र्स और स्पोट्र्समैन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अब इस दिशा में कुछ क़दम उठाने की तैयारी में है। दिलचस्प बात यह है कि फिटनेस को लेकर इस तरह का सुझाव स्टार क्रिकेटर विराट कोहली ने बीसीसीआई के सामने रखा था।
हालाँकि तब इस पर कुछ नहीं हुआ। अब बीसीसीआई के नये अध्यक्ष रोजर बिन्नी ने इस दिशा में काम शुरू किया है और बोर्ड की एक बैठक करके यो-यो टेस्ट के साथ डेक्सा टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। भारत के कई बड़े क्रिकेट खिलाड़ी 2022 में चोट से जूझते रहे और बीसीसीआई को अब कि फिटनेस की दिशा में कुछ बड़ा करने का समय आ गया है। बीसीसीआई की बैठक में इस मसले पर काफ़ी चर्चा हुई कि खिलाड़ी फिटनेस सर्टिफिकेट लाते हैं; लेकिन फिर भी चोटिल हो रहे हैं। ख़ुद कप्तान रोहित शर्मा ने खिलाडिय़ों के चोटिल होने का मसला उठाया था। रोहित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के कामकाज से भी असन्तुष्ट थे। मुम्बई में हुई बैठक में बोर्ड अध्यक्ष रोजर बिन्नी के अलावा सचिव जय शाह, रोहित शर्मा, हेड कोच राहुल द्रविड़, एनसीए प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण और भंग चयन समिति के अध्यक्ष चेतन शर्मा उपस्थित रहे। इसमें 20 खिलाडिय़ों का एक पूल बनाकर उसमें से वन-डे विश्व कप की टीम चुनने का फ़ैसला हुआ।
इस बैठक के फ़ैसलों पर नज़र दौड़ाएँ, तो साफ़ ज़ाहिर होता है कि बोर्ड खिलाडिय़ों की फिटनेस को लेकर गम्भीर है और 2023 के एक दिवसीय विश्व कप को लक्ष्य मानते हुए फिटनेस पर ख़ास काम करना चाहता है। इसमें यह भी एक बड़ा फ़ैसला हुआ है कि यदि विश्व कप से पहले खिलाड़ी की फिटनेस पर सन्देश जैसा कुछ होगा, तो उसे आईपीएल में नहीं खेलने दिया जाएगा। विदेशी क्रिकेट बोर्ड यही करते हैं। ऐसे खिलाड़ी, जो बड़े टूर्नामेंट से पहले फिटनेस के मामले में समस्या झेल रहे होते हैं; उन्हें आईपीएल में खेलने की इजाज़त नहीं मिलती।
अब एनसीए और आईपीएल के फ्रेंचाइजी मिलकर फिटनेस में संदिग्ध खिलाडिय़ों की फिटनेस लगातार मॉनिटर करेंगे। एनसीए को लगा कि खिलाड़ी के चोटिल होने का ख़तरा है, तो उसे आईपीएल में नहीं खेलने दिया जाएगा। यह सभी खिलाडिय़ों के मामले में नहीं, बल्कि पूल में चुने गये 20 खिलाडिय़ों में से ही होगा। हाल के वर्षों में यह देखा गया है कि आईपीएल में तो खिलाड़ी खेल लेते हैं; लेकिन देश की टीम के लिए खेलते हुए उनकी फिटनेस या चोट आड़े आ जाती है।
रवींद्र जडेजा, जसप्रीत बुमराह जैसे बड़े खिलाड़ी इसका उदहारण हैं, जो 2022 में देश के लिए कई मैच नहीं खेल पाये। यहाँ तक कि हार्दिक पांड्या, जिन्हें अब टी-20 टीम का कप्तान बना दिया गया है, पीठ की चोट के कारण 2021 के टी20 विश्व कप में गेंदबाज़ी ही नहीं कर पाये। ज़ाहिर है बीसीसीआई अब खिलाडिय़ों के वर्कलोड मैनेजमेंट पर फोकस कर रहा है।
दरअसल बीसीसीआई को विराट कोहली के दिये सुझावों पर अमल करने का आइडिया तब आया, जब उसने 2022 के टी20 विश्व कप में भारत के ख़राब प्रदर्शन पर रिव्यू मीटिंग की। बैठक में उपस्थित क्रिकेट अधिकारियों ने महसूस किया कि कोहली के सुझाव महत्त्वपूर्ण थे और उन पर अमल किया जा सकता है। इस रिव्यू मीटिंग में कोहली के वर्कलोड मैनेजमेंट पर गहन चर्चा की गयी। दरअसल कोहली ने सन् 2019 के आईपीएल से ऐन पहले बीसीसीआई को सुझाव दिया था कि 50 ओवर का विश्व कप चार साल में आता है, जबकि हम आईपीएल हर साल खेलते हैं। ऐसे में कुछ बड़े खिलाडिय़ों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।
याद रहे सन् 2019 वनडे विश्व कप, 2021 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप, 2021 टी20 विश्व कप और 2022 टी20 विश्व कप में भारत को हार झेलनी पड़ी। बहुत से विशेषज्ञ मानते हैं कि बीसीसीआई को कोहली के सुझावों को गम्भीरता से लेना चाहिए था। अब बीसीसीआई ने जो फ़ैसले किये हैं। उनके मुताबिक, 50 ओवर के विश्व कप के लिए 20 खिलाडिय़ों का पूल तैयार किया जाए। इनमें से खिलाडिय़ों को विश्व कप से पहले भारतीय टीम से खेलने का अवसर मिलेगा। जो दूसरा बड़ा फ़ैसला बीसीसीआई ने किया वह था टीम में चयन से पहले डेक्सा टेस्ट अनिवार्य करना।
इसके अलावा भारत के घरेलू क्रिकेटर्स को राष्ट्रीय टीम में चयन के लिए प्रर्याप्त डॉमेस्टिक क्रिकेट खेलना होगा और आईपीएल ही राष्ट्रीय टीम में चयन का ज़रिया नहीं रहेगा। अच्छी बात यह होगी कि अगले साल के विश्व कप के लिए टीम का चयन अभी से हो जाएगा, जिससे खिलाडिय़ों को लगातार साथ खेलकर बेहतर तालमेल बनाने में मदद मिलेगी।
क्या है डेक्सा टेस्ट?
डेक्सा एक इमेजिंग टेस्ट है, जिसमें व्यक्ति की हड्डियों का घनत्व मापा जाता है। अर्थात् हड्डी की ताक़त मापना। इसे बोन मिनरल डेंसिटी (बीएमडी) टेस्ट भी कहा जाता है। डेक्सा स्कैन से पता चलता है कि व्यक्ति की हड्डी टूटने की कितनी सम्भावना है या नहीं है। यह टेस्ट खिलाड़ी के शरीर की संरचना को समझने में मदद करता है और उसके शरीर के भीतर के फैट और मांसपेशियों की व्यापक जानकारी सामने आती है। यहाँ बता दें कि शरीर संरचना और हड्डियों के स्वास्थ्य को मापने के लिए डेक्सा स्कैन ही अंतरराष्ट्रीय मानक भी है। 10 मिनट के इस परीक्षण से व्यक्ति के शरीर के फैट, बोन मास, फैट टिशू और मांसपेशियों के स्वास्थ्य का पता चलता है।
इस टेस्ट में ड्यूअल एनर्जी एक्स-रे एब्जॉर्पटियोमेट्री (डेक्सा) मशीन इस्तेमाल होती है, जिससे हड्डियों के डेंसिटी पारखी जाती है। डेक्सा टेस्ट से हड्डियों की कमज़ोरी की वजह का पता लगाया जाता है और उससे हड्डियों में मौज़ूद कैल्शियम और अन्य मिनरल्स की जानकारी मिलती है। अभी तक खिलाडिय़ों का सिर्फ़ यो-यो टेस्ट होता था। अब दोनों ही टेस्ट अनिवार्य कर दिए गए हैं। यो-यो टेस्ट की खोज डेनमार्क के फुटबॉल फिजियोलॉजिस्ट जेन्स बैंग्सबो ने 30 साल पहले की थी। उन्होंने इसे इंटरमिटेंट रिकवरी टेस्ट (यो-यो टेस्ट) का नाम दिया था।
यो-यो टेस्ट बीप वाला रनिंग टेस्ट होता है, जिसमें 20-20 मीटर की दूरी वाले दो सेटों के बीच दौड़ लगानी होती है। खिलाड़ी को एक से दूसरे सेट तक दौडऩा होता है और फिर दूसरे सेट से पहले सेट तक आना होता है। एक बार इस दूरी को तय करने पर एक शटल पूरा होता है। टेस्ट की शुरुआत पाँचवें लेवल से होती है। यह 23वें लेवल तक चलता रहता है। हर एक शटल के बाद दौडऩे का समय कम होता जाता है; हालाँकि दूरी उतनी ही रहती है।
एक खिलाड़ी के लिए यो-यो टेस्ट में 23 में से 16.5 स्कोर लाना अनिवार्य है। बीसीसीआई ने इसे 2017 में लागू किया। इससे पहले स्किनफोल्ट टेस्ट लम्बे समय तक बीसीसीआई में फिटनेस का पैमाना रहा था। वैसे डेक्सा टेस्ट बीच में शुरू किया गया था; लेकिन बाद में इसे बन्द कर दिया गया था। अब बीसीसीआई इसे फिर लेकर आया है। हाल के वर्षों में युवराज सिंह, सुरेश रैना, अंबाती रायुडू, मोहम्मद शमी, संजू सैमसन, पृथ्वी शॉ और वरुण चक्रवर्ती जैसे खिलाड़ी यो-यो टेस्ट पास करने में नाकाम रह चुके हैं।
रोहित रहेंगे कप्तान!
बीसीसीआई की बैठक से एक संकेत यह भी मिलता है कि यदि फिटनेस बनी रही, तो रोहित शर्मा ही इस साल होने वाले विश्व कप में भारत के कप्तान रह सकते हैं। बैठक से ज़ाहिर होता है कि रोहित शर्मा की कप्तानी पर कोई ख़तरा नहीं है, भले उनकी अनुपस्थिति में अन्य खिलाडिय़ों को हाल के महीनों में कप्तान के रूप में अवसर दिये गये हों। रोहित वनडे और टेस्ट टीम में कप्तानी कर रहे हैं और इन दो प्रारूपों में बतौर कप्तान उनके भविष्य को लेकर बैठक में कोई बात नहीं की गयी, जिससे यह संकेत मिले हैं। ऐसे में लगता है कि इन दो प्रारूपों में 2023 के बाद ही किसी अन्य खिलाड़ी को कप्तानी का अवसर मिल पाएगा।
ऋषभ की सेहत
गृह राज्य में सडक़ हादसे का शिकार हुए स्टार खिलाड़ी ऋषभ पंत के भविष्य को लेकर तमाम प्रशंसकों में चिन्ता पसरी है। भयंकर हादसे में उनकी जान बच गयी; लेकिन चोटें ऐसी हैं कि उनसे बाहर निकलने में पंत को वक्त लगेगा। हालाँकि उनकी सेहत में सुधार हो रहा है। डॉक्टरों ने कहा है कि पंत को पूरी तरह ठीक होने में कम से कम चार-छ: महीने लगेंगे। क्रिकेट मैदान में उनकी वापसी रीहैब और ट्रेनिंग पर निर्भर करेगी, जो अस्पताल से छुट्टी के बाद ही सम्भव है। माना जा रहा है कि पंत सम्भवत: छ: महीने मैदान पर नहीं दिखेंगे।