फिजी में भारतीयता

विवेक गुप्ता

इस साल भारत ने फिजी में 12वें विश्व हिन्दी सम्मेलन की मेज़बानी की। यह भले जितना भी अटपटा लगे; लेकिन फिजी बिना सोचे-समझे चुना गया विकल्प नहीं था। फिजी में भारतीयों का इतिहास और ‘फिजी बात’ नामक स्थानीय बोली में हिन्दी का विकास फिजी को वैश्विक हिन्दी सम्मेलन-2023 की मेज़बानी के लिए एक दिलचस्प विकल्प बनाता है।

सन् 1834 में गुलामी के उन्मूलन के बाद भारतीय गिरमिटिया (अवैतनिक) मज़दूरों की माँगों में अत्यधिक वृद्धि हुई। उन्हें गन्ना जैसी महँगी फ़सलों का उत्पादन करने वाले बाहरी देशों में अस्थायी या स्थायी कॉलोनियों में ले जाया जाने लगा। फिजी के पहले गवर्नर सर आर्थर गार्डन द्वारा 1800 के दशक के शुरू में भारतीय गिरमिटिया श्रम की शुरुआत इस द्वीप राष्ट्र के विकास में एक महत्त्वपूर्ण अध्याय का प्रतीक है।

सन् 1879 से सन् 1916 तक की 37 वर्षों की अवधि में भारतीय उपमहाद्वीप से लगभग 87 जहाज़ों से 60,538 से अधिक मज़दूरों को फिजी द्वीपों में पौधरोपण का काम करने के लिए ले जाया गया। इसने फिजी में हरियाली की आर्थिक व्यवहार्यता में काफ़ी वृद्धि की और औपनिवेशिक प्रशासन को इस भूमि से फिजियन अलगाव कम करने में सक्षम बनाया। इन घटनाओं के अतिरिक्त इसने तत्कालीन युवा उपनिवेश के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया।

राजधानी सुवा से $करीब 10 किलोमीटर दूर नुकुलाऊ द्वीप का उपयोग एक पृथक बंदरगाह के रूप में किया गया था, जहाँ से मज़दूरों को तब द्वीप शृंखला में उनसे सम्बन्धित नियोक्ताओं के लिए तैनात किया गया था। इसमें उपनिवेश चीनी रिफाइनरी कम्पनी (सीएसआर), स्टेनलेक ली और अन्य तक सीमित नहीं था। ब्रिटिश उपनिवेशवादियों द्वारा गन्ना श्रमिकों के रूप में फिजी में ले जाये गये हज़ारों भारतीयों ने अपने (अवैतनिक) अनुबंधों के अन्त में द्वीपों पर रहना जारी रखा, जिससे दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में एक भारतीय केंद्र की शुरुआत हुई।

आख़िरकार सभी सभ्यताओं की उन्नति के अनुरूप सन् 1912 में डॉ. मणिलाल इन गिरमिटिया मज़दूरों की स्वतंत्रता की अग्रणी आवाज़ बन गये और उन्होंने भारतीय इंपीरियल एसोसिएशन की नींव रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी।

सन् 1920 में कई लोगों के घायल होने के कारण हुई हड़ताल ने प्रवासियों के बीच एक अन्य प्रमुख व्यक्ति के रूप में संध्या नाम की महिला समाजसेवी का उदय देखा। सन् 1900 के दशक में फिजी द्वीपों के भारतीय गिरमिटिया मज़दूरों के ऐसे प्रतिष्ठित प्रतिनिधि ने फिजी की कॉलोनी में भारतीयों की स्थिति पर भारत सरकार को सूचना दी और आख़िरकार, सन् 1920 में गिरमिटिया श्रम को समाप्त कर दिया गया।

भारतीय प्रवासी मुख्य रूप से दो मुख्य द्वीपों- विटी लेवू और वनुआ लेवू पर बने रहे। यही भारतीय सन् 1940 के दशक तक इंडो-फिजियंस आबादी का प्रमुख हिस्सा बन गये और स्वदेशी फिजियों को पछाड़ दिया। इंडो-फिजियन, जिन्हें किसी भी व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है और जिनके पास गिरमिट वंश है, फिजी के 9,10,000 लोगों में से 38 फ़ीसदी हैं। लेकिन दो फ़ीसदी से भी कम ज़मीन के मालिक हैं।

बता दें कि 14 मई को गिरमिट स्मरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारतीय कामगारों को ले जाने वाला पहला जहाज़ फिजी पहुँचा था। फिजी में भारतीयों की कुल जनसंख्या 3,15,198 है, जो फिजी की कुल जनसंख्या का लगभग 40 फ़ीसदी है। फिजी की आबादी कई द्वीपों में फैली हुई है, और अधिकांश आबादी के बीच आना-जाना नहीं है।

प्रशांत द्वीप राष्ट्र का $करीब 85 फ़ीसदी स्वदेशी भू-स्वामी इकाइयों से सम्बन्धित है। इसे सरकार के नेटिव लैंड ट्रस्ट बोर्ड के माध्यम से प्रशासित किया जाता है, जिसे अब आईटॉकी (द्बञ्जड्डह्वद्मद्गद्ब) लैंड ट्रस्ट बोर्ड के रूप में जाना जाता है। शेष या तो फ्री होल्ड या सरकारी स्वामित्व वाली भूमि है। इंडो-फिजियन 20-30 साल के कृषि पट्टों और 50-99 साल के आवासीय पट्टों के माध्यम से भूमि का उपयोग कर सकते हैं।

महेन्द्र चौधरी (सन् 1999 से सन् 2000 के बीच) फिजी के पहले और अब तक एकमात्र भारत-फिजी प्रधानमंत्री रहे। बाद में 2007 से सन् 2008 तक वह वित्त मंत्री रहे।

वास्तव में भारत आज उन कुछ देशों में से एक है, जिनके नागरिकों को वीजा के लिए पहले से आवेदन करने की ज़रूरत नहीं है। वे फिजी में आगमन पर फिजी वीजा प्राप्त कर सकते हैं, बशर्ते उनके पास वैध यात्रा दस्तावेज़ होने चाहिए। वीजा आवेदन तब किया जाता है, जब कोई भारतीय जहाज़ से उड़ान भरकर फिजी में उतरता है। फिजी में बसे उत्तर और दक्षिण भारतीयों के बीच एक आम भाषा खोजने की आवश्यकता के साथ-साथ बच्चों को डे-केयर सेंटर्स में छोड़े जाने के लिए एक आम भाषा की भी आवश्यकता थी।

हिन्दुस्तानी (हिन्दी-उर्दू दोनों बोलने वालों के लिए एक सामान्य शब्द) द्वीपों की प्रशांत शृंखला पर नये बसने वालों के लिए संचार की सुविधाजनक भाषा के रूप में उभरी। हिन्दी अब फिजी में एक आधिकारिक भाषा है। सन् 1997 के संविधान में इसे ‘हिन्दुस्तानी’ के रूप में संदर्भित किया गया था। लेकिन सन् 2013 के फिजी के संविधान में इसे ‘हिन्दी’ कहा जाता है।

इस फिजी हिन्दी भाषा को फिजी हिन्दुस्तानी या फिजियन हिन्दी के रूप में भी जाना जाता है। यह फिजी में भारतीय मूल के अधिकांश फिजियन नागरिक की बोले जाने वाली भाषा है। यह मुख्य रूप से अवधी और भोजपुरी भाषा या हिन्दी की बोलियों से ली गयी है और इसमें कुछ अन्य भारतीय भाषाओं के शब्द भी शामिल हैं।

फिजी की पहली भाषा वास्तव में फिजियन का मिश्रण है और और कुछ अंग्रेजी शब्दों के साथ-साथ वहाँ बोली जाने वाली हिन्दी के शब्द भारत में बोली जाने वाली हिन्दी और उर्दू के शब्दों से धीरे-धीरे अलग हो गये। संचार की इस मिली-जुली भाषा को लोकप्रिय रूप से ‘फिजी बात’ के रूप में जाना जाने लगा।

समय-चक्र

 1879 – 1916 : क़रीब 60,553 भारतीय पंजीकृत हुए, जिनमें मज़दूर और बच्चों जैसे आश्रित शामिल हैं; इन्हें पाँच साल के लिए गिरमिट का दर्जा दिया गया।

 1917 में भारतीयों के लिए शिक्षा के दरवाज़े खुले।

 1919 में फिजी में भारतीयों के राजनीतिक अधिकारों पर विचार किया गया।

 1920 में साल के पहले दिन संविदा प्रणाली को समाप्त किया गया।

 1929 में सांप्रदायिक मताधिकार के तहत विधान परिषद् में तीन प्रतिनिधि चुने गये।

 1997 में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल किया गया; लेकिन संविधान में इसे ‘हिन्दुस्तानी’ के रूप में संदर्भित किया गया।

 1999 में फिजी में पहली बार और अब तक के इकलौते भारतीय प्रधानमंत्री चुने गये।

 2013 में फिजी के संविधान में ‘हिन्दी’ शब्द का प्रयोग किया गया।