जल्दी अब राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल प्लाजा पर वाहनों की लम्बी कतारें बीते दिनों की बात हो जाएंगी। नेशनल हाई-वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) बिना किसी मानवीय दखलंदाज़ी के टैक्स पा लेगा और गाडिय़ों को भी टैक्स अदा करने के लिए ठहरना नहीं होगा। इस प्रक्रिया का मकसद है कि मौज़ूदा परेशानियों का निदान और सभी ट्रेवल्स की टैक्स वसूली सीधे अथॉरिटी को। इसमें फास्टटैग की खास भूमिका होगी। वाहन चालक बिना किसी ठहराव के अपनी यात्रा जारी रख सकेंगे। इसके लिए फास्ट टैग शुक्रिया। इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन का उपयोग भी है।
फास्ट टैग बैंक से लें
टोल प्लाजा पर फास्ट टैग की बिक्री जल्द ही बन्द हो जाएगी। जब बिना ठहराव के ट्रैफिक की शुरुआत हो जाएगी। यह आवश्यक है लेना, जिससे आपको आराम होगा। पिछले कुछ दिनों में फास्ट टैग की बिक्री तिगुना हो गयी। औसतन दैनिक तौर पर फास्ट टैग के ज़रिये भुगतान की तादाद 8.8 लाख तो इस साल जुलाई में थी, यह नवंबर में बढक़र 11.2 लाख हो गयी। जबकि औसतन प्रतिदिन टोल पर जो धन आता था, वह इस अवधि में 11.2 करोड़ से बढक़र 19.5 करोड़ हो गया है। अभी जो दबाव बना है, उसके चलते 70 लाख फास्ट टैग जारी किये गये हैं और यह संख्या बढ़ती ही जाएगी।
ई-कॉमर्स के पोर्टल मसलन अमेजन और पेटीएम भी इन टैग को विभिन्न बैंकों से खरीद कर बेचता है। यह 22 बैंक के सेल पर उपलब्ध हैं और एनएचएआई, सिंडिकेट बैंक, एक्सिस बैंक, आईडीएफसी बैंक, एचडीएफसी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, और इक्विटास बैंक, इंडिक स्मॉल फाइनेंस बैंक पेटीएम, कोटक महिंद्रा सिंडिकेट बैंक, फेडरल बैंक, साउथ इंडियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बीएसई इंडसइंड बैंक सिटी यूनियन बैंक, नागपुर नागरिक सहकारी बैंक, येस बैंक, फाइनो बैंक एयरटेल पेंमेंटस बैंक हैं, जहाँ से आप फास्ट टैग खरीद सकते हैं। कुल मिलाकर फास्ट टैग इस समय 22 बैंकों में उपलब्ध है और पूरे देश में 560 टोल पर भी। इसकी वैधता 5 साल की है। एक ऑनलाइन पोर्टल पर रिचार्ज सुविधा भी उपलब्ध है। एसएमएस के ज़रिये सजग भी किया जाता है, जब पैसे कम हो जाते हैं। यदि एनएचएआई से आप फास्ट टैग लें तो इसमें एक बार की फीस तो है 500 रुपये; लेकिन आपसे बतौर सुरक्षा जमा सिक्योरिटी डिपॉजिट 150 रुपये भी लिए जाएँगे। सरकार इसे अपनी ओर से प्रचार में रख रही है। इसकी कीमत यह है कि यदि फास्ट टैग है एनएचएआई ई-बैलेट के ज़रिये माय फास्ट टैग एप मोबाइल एप से जुड़ गया तो इस्तेमाल करने वाले को यहाँ 150 रुपये वापस पैसे आ जाएँगे। अभी हाल ही नमूने के तौर पर कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और हरियाणा से केन्द्र का एक और करार हुआ है कि राज्य राजमार्ग को भी फास्ट टैग मंज़ूर किये जाएँ। नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (एनईटीसी) कार्यक्रम के तहत पेटीएम बैंक का नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) का करार हो गया है कि एनएचएआई टोल प्लाजा से गुज़रने वाले वाहनों से टैग इश्यू करने के 100 रुपये नहीं लिए जाएँ। जो उपभोक्ता पेटीएम फास्ट टैग लेंगे उनसे 100 रुपये नहीं लिये जाएँगे उपभोक्ताओं को सिर्फ 400 रुपये देने होंगे। इसमें मात्र 250 रुपये सिक्योरिटी डिपॉजिट होगा और 150 रुपये न्यूनतम बैलेंस बनाये रखना होगा।
कैसे काम करता है फास्ट टैग?
रोड ट्रांसपोर्ट एंड अथॉरिटी के मंत्री नितिन गडकरी की दिमागी सोच का नतीजा है फास्ट टैग योजना। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया की सोच से विकसित हुआ। फास्ट टैग रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) तकनीक इस्तेमाल से टोल प्लाजा में हुए लेन-देन को सीधे-सीधे संचालित करता है। यहाँ तक कि जब वाहन गति में होता है, तब भी। यह वाहन की विंडो स्क्रीन पर लगता है और उपभोक्ता को यह सुविधा भी देता है कि वह खाते से सीधा भुगतान कर दें, जो फास्ट टैग से जुड़ा है। नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (एनईटीसी) एक ऐसा कार्यक्रम है, जो फास्ट टैग के ज़रिये टोल प्लाजा से इलेक्ट्रॉनिक भुगतान करता-कराता है। एनईटीसी संयुक्त उपकरण है एनएचएआई, इंडियन हाईवेज मैनेजमेंट कम्पनी लिमिटेड (आईएचएमसीएल) और नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया का। जो पूरे देश में टोल पर भुगतान को संचालित करता है, जो वाहन चालक एक टोल प्लाजा पार करने को होता है वह फास्ट टैग के ज़रिये किसी भी टोल प्लाजा पर सारे टैक्स अदा कर सकता है। उसका खाता वाहन चालक के बैंक खाते से जुड़ जाएगा। इससे समय और वाहनों की लम्बी कतारों से मुक्ति मिल जाएगी। इस भुगतान डिवाइस में रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) तकनीक जुड़ी है। यह वाहन के विंडो स्क्रीन पर चिपकी होगी, जिससे प्लाजा पर बिना रुके वाहन आगे निकल जाए। यदि टैग किसी प्रीपेड खाते या एक डेबिट/क्रेडिट कार्ड से जुड़ा है, तो वाहन मालिक को उसे रिचार्ज कराना होगा। यदि सेविंग खाते से है, तो धनराशि बैंक के खाते से ही ली जा सकेगी। एक बार गाड़ी यदि टोल पर निकल गयी, तो वहाँ मालिक को एसएमएस से कटौती की जानकारी भी हो जाएगी। एक फास्ट टैग की अवधि 5 साल होगी। इसे जब चाहे कभी भी रिचार्ज करा सकते हैं। फास्ट टैग लेने के लिए वाहन मालिक को वाहन की रजिस्ट्रेशन की कॉपी भी रखनी चाहिए। इस पूरी प्रक्रिया में थोड़ा बहुत समस्या ज़रूर हो सकती है। कुछ लोगों की शिकायत की थी कि टैग रीडर टैग नहीं पढ़ पाता या एसएमएस की चेतावनी देर से आती है या फिर रुपये की कटौती की सूचना आती ही नहीं। एनएचएआई ने इस सम्बन्ध में एक हेल्पलाइन नम्बर 1033 भी जारी किया हुआ है, जिस पर शिकायत की जा सकती है।