फारूक अब्दुल्ला (८२) की नजरबंदी अवधि तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई है। वे पीएसए के तहत बंद हैं। शनिवार को अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि फारूक उपकारागार में परिवर्तित अपने घर में रहेंगे।
मोदी सरकार अगस्त के पहले हफ्ते में जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा हटाने और उसके विभाजन का बिल संसद में लेकर आई थी जिसके बाद जम्मू कश्मीर के कई बड़े नेताओं को नजरबन्द कर दिया गया था। इनमें पांच बार सांसद रहे फारूक अब्दुल्ला भी शामिल हैं जो इस समय भी लोकसभा के सदस्य हैं। यह सभी नेता उसी दिन से वह हिरासत में हैं।
गौरतलब है कि १७ सितम्बर को नेशनल कांफ्रेस नेता फारूक अब्दुल्ला पर सख्त माने जाने वाला जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगा दिया गया था। अधिकारियों ने बताया था कि नेकां अध्यक्ष पर पीएसए के सरकारी आदेश के तहत मामला दर्ज किया गया है जो किसी व्यक्ति को बगैर सुनवाई के तीन से छह महीने तक जेल में रखने की इजाजत देता है।
लोकसभा में भी जम्मू कश्मीर के नेताओं को नजरबन्द रखने को लेकर विपक्ष विरोध जता चुका है। फारुक अब्दुल्ला के निकटजनों के मुताबिक वे हृदयरोगी हैं। उनकी किडनी का भी प्रत्यारोपण हुआ है। इसके अलावा वह शुगर से भी पीड़ित हैं। उन्हें गुपकार स्थित उनके घर में ही कैद किया गया है। गृह विभाग ने उनके घर को एक सबसाईडरी जेल का दर्जा दे रखा है।
फारूक के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी चार अगस्त से ही हिरासत में हैं। उमर को हरि निवास में नजरबंद रखा गया है। अब शनिवार को केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पीएसए के ही तहत फारूक की कैद और तीन माह के लिए बढ़ा दी है।