महाराष्ट्र में छह दिन से चल रहा 200 किलोमीटर ‘लांग किसान मार्चÓ खत्म हो गया। इसमें 35 से 50 हज़ार किसानों ने हिस्सा लिया। इनमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में थीं। लगभग 200 किलोमीटर चलने से उनके पावों में छाले पड़ गए पर उन्होंने इसकी परवाह किए बगैर मार्च जारी रखा। नासिक से अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में चले किसानों की ज़्यादातर मांगे मान ली गई। इनमें किसानों को जंगलात की ज़मीन पर अधिकार और कजऱ् माफी जैसी मांगे भी शामिल हैं। 12 तारीख को किसानों ने मुंबई में विधानसभा का घेराव किया था। मांगे मानने की घोषणा दोपहर में किसानों की रैली में की गई। शाम को किसान सभा के नेताओं ने कहा कि आंदोलन को वापिस ले लिया गया है। इस अवसर पर माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी भी मौजूद थे। उन्होंने किसानों से लौट जाने का अनुरोध किया। मार्च के दौरान मुंबई के डिब्बे वालों ने उन्हें भोजन और पानी दिया। इसके अलावा भी कई सामाजिक संगठन किसानों की सहायता के लिए आगे आए।
किसान सभा नेताओं के अनुसार उनकी मांग कजऱ् माफी योजना को लागू करने की थी जो पिछले साल शुरू की गई थी, इसके अलावा वन अधिकार कानून 2006 को लागू करवाना और जिन किसानों की फसलें बरबाद हुई उन्हें सहायता राशि देना भी मांगों में था। सरकार ने इन्हें मान लिया है। इससे पूर्व येचुरी ने चेतावनी दी थी कि यदि किसानों की मांगे न मानी गईं तो उनमें केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों को उखाड़ फेंकने की क्षमता है।
दूसरी ओर वन अधिकार के बारे में मुख्यमंत्री फडऩवीस ने कहा कि इससे संबंधित सभी अपीलें और सहायता राशि के मामले अगले छह महीनों में निपटा लिए जाएंगे। किसानों के कजऱ् के मामले में मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने 46 लाख किसानों के लिए पैसा बैंकों में जमा करा दिया है और 30 लाख 50 हज़ार किसानों को इसका लाभ मिल चुका है। एमएस स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने के बारे में उन्होंने कहा कि इस विषय में वे केंद्र सरकार के साथ बात करेंगे।
छोटे किसानों के ‘लांग मार्चÓ की अगवानी की मुंबई वासियों ने, इसके स्वागत में तमाम पार्टियों के नेता भी पहुंचे।
महाराष्ट्र के किसानों ने बारह मार्च का अपने लांग मार्च के तहत मुंबई विधानसभा पर घेरा डाल दिया। छह मार्च से नासिक से चले कुछ हज़ार किसान जब मुंबई पंहुचे तो उनकी तादाद 40 हज़ार हो गई। इस लांग मार्च में शामिल किसानों के स्वागत में उद्धव ठाकरे (शिवसेना), राज ठाकरे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) एनसीपी और आप पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी पहुंचे।
किसानों की मांग थी कि सरकार कजऱ् माफ करे। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करे, बिजली के बिल माफ करे और वनाधिकार दे। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की ओर से आयोजित यह बड़ी यात्रा छह मार्च को शुरू हुई थी। इस ‘लांग मार्चÓ में किसान सभा के नेता अशोक ढावले, विजुकृष्णन, जेपी गावित, किसन गुर्जर और अजित नवाले आदि हैं जुलूस में पीडब्लूपी, सीटू और एटक के कार्यकर्ता,नेता और राज्य में आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों के बच्चे भी शामिल रहे।
‘लांग मार्चÓ में शामिल लंबे जुलूस में लाल झंडे और बैनर्स लिए हुए औसतन 15 किलोमीटर रोज यह जुलूस चलता। पूरे रास्ते में पडऩे वाले गांवों के लोग जुलूस में शामिल लोगों को बताशा और पानी देते। कुछ किलोमीटर साथ जुलूस में चलने का हौसला भी बांधते हैं। इस यात्रा में शामिल महिलाएं और पुरूष नाचते, गाते, नारे लगाते और गांव-गांव में अपनी बात कहते आगे बढ़ते हैं।
किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक ढावले का कहना है कि नदी जोड़ परियोजना में ज़रूरी बदलाव किए जाएं जिससे नासिक, ठाणे और पालघर में आदिवासी गांवों को डूब में आने से बचाया जा सके। वहीं कृषि भूमि जबरन राष्ट्रीय परियोजनाओं में लेने का भी विरोध किया गया। किसान नेता राजू देसले ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग, बुलेट ट्रेन आदि के नाम पर किसानों की ज़मीनें जबरन छीनने का सिलसिला थमे। किसानों की आत्महत्या का सिलसिला रोका जाए।
औसतन लांग मार्च में शामिल किसान हर सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक रोज 15-20 किलोमीटर चलते रहे। इन लोगों ने नासिक से मुंबई तक की लगभग 180 किलोमीटर की दूरी लगभग पांच दिनों में पूरी की। ठाणे और मुंबई में पुलिस ने यातायात के नए निर्देश भी जारी कर दिए जिससे कहीं कोई अनहोनी न हो और सामान्य शहरी कामकाज होता रहे।
माकपा की अखिल भारतीय किसान सभा ने इस लांग मार्च का आयोजन किया। इसमें बाद किसान और मज़दूर पार्टी और भाकपा की किसान शाखाओं के नेता और कार्यकर्ता जुड़े। ‘आपÓ पार्टी के कार्यकर्ता और नेता भी इसमें आए।
शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडऩवीस सरकार में वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे ने आंदोलन के नेताओं से बातचीत की और ‘लांग मार्चÓ का स्वागत किया। अखिल भारतीय किसान सभा के सचिव अजित नवाले ने उनसे कहा कि वे खुद किसान हैं राज्य सरकार में मंत्री हैं। उन्हें कम से कम सरकार को किसानों की समस्याओं को समझते हुए एक फैसला भी लाना चाहिए था। फिर भी वे आए हम उनके आभारी है। उन्होंने बताया कि किसानों की मांगें हैं कि किसानों का पूरा फसली कजऱ् माफ किया जाए। वह वन भूमि जहां बरसों से किसान खेती करते रहे हैं उसके कागज पत्र बनाए जाएं और वनभूमि किसानों के नाम की जाए। स्वामीनाथन समिति की तमाम सिफारिशें तत्काल लागू की जाएं। अपनी मांगों के साथ लंबी पदयात्रा के किसानों ने मुंबई में अपना डेरा डाल दिया था।