सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को मेघालय की खदान में २० दिन से ज्यादा समय से फंसे १७ मजदूरों को अभी तक न बचा पाने के लिए मेघायलय की सरकार को जमकर फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल या केंद्र सरकार के किसी कानून अधिकारी को भी इस मामले में तलब किया है। कोर्ट ने कहा इसे बेहद गंभीर और चिंताजनक मामला बताते हुए कहा है कि वह इस संबंध में निर्देश जारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कहा कि वो शुक्रवार को कोर्ट को बताएं कि मजदूरों को निकालने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक मेघायलय की खदान में फंसे मजदूरों के मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए उसकी तरफ से उठाए बचाव के उपायों पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति एसए नजीर की खंडपीठ ने कहा कि अगर सरकार कदम उठा रही है तो खदान के मजदूरों का क्या हुआ? मजदूरों को खदान में फंसे हुए कितने दिन हो गए? क्या इस मामले में केंद्र, राज्य और एजेंसियों के बीज समन्वय नहीं है? क्या कोर्ट सेना को कदम उठाने के लिए आग्रह नहीं कर सकता?
कोर्ट ने कहा कि हम अभी तक उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। अगर ये भी माना जा रहा है कि वो जिंदा हैं या नहीं तो भी उन्हें बाहर निकाला जाना चाहिए। साथ ही जस्टिस सीकरी ने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि वे सब जिंदा हैं।
गौरतलब है खदान में फंसे मजदूरों के परिजनों ने तीन दिन पहले ही कहा था कि यदि आप उन्हें बचा नहीं पा रहे तो कमसे काम उनके शव ही ला दो। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कहा कि वे शुक्रवार को कोर्ट को बताएं कि मजदूरों को निकालने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
कोर्ट ने कहा कि वो खदान में इतने दिनों से फंसे हैं ऐसे में एक-एक सैकेंड कीमती है। केंद्र को कुछ कदम उठाना है, जरूरत पड़े तो सेना को बुलाया जाए। साथ ही कोर्ट ने कहा कि जब थाईलैंड में हाई पॉवर पंप भेजे जा सकते हैं तो यहां क्यों नहीं? सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र इस संबंध में नोडल अफसर बना रहा है। सेना की जगह नेवी के गोताखोरों को तैनात किया गया है।