मेघालय के कोयला खदान में फंसे १७ मजदूरों की ज़िंदगी खतरे में दिख रही है। भले उन्हें बाहर निकालने के लिए सेना का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है लेकिन
आपरेशन में जुटी टीमें अभी तक खदान में प्रवेश ही नहीं कर पाईं हैं जिससे इन मजदूरों के परिजनों की चिंता बढ़ती जा रही है। वहां अधिकारियों को आशंका है कि इतने दिन के बाद कोइ चमत्कार ही होगा कि मजदूर अपनी जान बचा पाए हों।
खदान में पानी का स्तर कम नहीं होना रेस्क्यू आपरेशन में जुटे लोगों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत बना हुआ है। मजदूरों के हताश परिजन रेस्क्यू आपरेशन के नतीजों पर टकटकी लगाए हैं लेकिन खुद उनकी अपनी उम्मीद टूट रही है। इनमें से कुछ ने तो अधिकारीयों को यह कि हमारे रिश्तेदारों को ज़िंदा नहीं ला सकते तो कमसे काम उनके शव ही ला दो।
भारतीय नौसेना के गोताखोर, ओडिशा अग्निशमन के बचावकर्मी और अन्य बचावकर्मी खदान में प्रवेश नहीं कर पा रहे। गौरतलब है कि वहां पर १३ दिसंबर से १५ खनिक फंसे हैं।
बाढ़ से १३ दिसंबर को बच निकलने में सफल रहे एक मजदूर साहिब अली की मानें तो खदान में ऐसा कोई रास्ता नहीं है जहां से फंसे मजदूर जिंदा बाहर निकल पाएं। खदान ३७० फुट गहरी है। असम के साहिब अली के मुताबिक घटना वाले दिन २२ मजदूर खदान में थे, जिनमें १७ भीतर ही फंसे रह गए और बाकी पांच बचकर घर चले गए।