प्रेम नामक पेचीदा पहेली की साहित्यिक, सामाजिक और डॉक्टरी पड़ताल कर रहे हैं.
प्रेम, राजनीति और नेहरू-गांधी परिवार
भारतीय राजनीति के शीर्ष पर खड़ा एक ऐसा परिवार जिसने अकसर राजनीति के आगे प्रेम को तरजीह दी. प्रियदर्शन का आलेख.
यतीन्द्र मिश्र हिंदी साहित्य की उन प्रणय रचनाओं की चर्चा कर रहे हैं जिनमें कथ्य के बांकपन से लेकर प्रेम का उदात्त रूप और साथ में दैहिक पक्ष भी कई कोणों से समाहित रहा है.
…तो मैं तुमसे प्रेम नहीं कर पाऊंगी
एक इंसान और शायद एक स्त्री के तौर पर भी मुझे पहला प्यार अपने आप से ही हुआ था. बचपन में मुझे अपने लंबे बाल और गहरी भूरी आंखें बहुत पसंद थीं. अपने आप से ही बातें करने की पुरानी आदत की वजह से मैं हमेशा ही अपने अंदर हो रहे शारीरिक और मानसिक बदलावों को लेकर बेहद सजग रही… Read More>>
अलग-अलग दौर में इजहार-ए-मोहब्बत के तरीकों और उनकी खूबियों-खामियों के बारे में बता रहे हैं अनूप मणि त्रिपाठी
आज भी लोकस्मृति में जीवित सदियों पुरानी ये कहानियां सामाजिक विषमताओं पर एक पवित्र मानवीय भावना की जीत का प्रतीक हैं