कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के दिल्ली के सुरक्षा कारणों से करीब २३ साल पहले एचडी देवेगौड़ा के प्रधानमंत्री रहते मिले मकान को खाली कराने के मोदी सरकार के आदेश के बाद देश में जबरदस्त राजनीति शुरू हो गयी है। कांग्रेस ने इसे ”मोदी और योगी सरकार की घबराहट” बताया है तो वहीं भाजपा के लोग कह रहे हैं कि ”यह सब नियमों के तहत” किया गया है। जो मकान प्रियंका को खाली करने के लिए कहा गया है, वह उसका अभी तक अरीब ३७ हजार रुपये प्रति माह किराया अदा कर रही थीं।
जानकारी है कि प्रियंका जल्दी ही यह मकान खाली करके उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डेरा जमाने वाली हैं, जिससे योगी सरकार की दिक्कत और बढ़ सकती है, क्योंकि प्रियंका पिछले लंबे से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो चुकी हैं। हैरानी की बात यह है कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के जितनी सक्रिय हैं, उतने तो बसपा की मायावती और समाजवादी पार्टी के अखिलेश भी नहीं दिख रहे।
उत्तर प्रदेश में २०२२ में ही विधानसभा चुनाव हैं और प्रियंका को लेकर कांग्रेस में यह चर्चा तेज है कि वे पार्टी को सक्रिय करने में सफल हो रही हैं। कांग्रेस के बीच उन्हें अगले विधानसभा चुनाव में बतौर मुख्यमंत्री पेश करने की मांग जोर पकड़ रही है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को सरकारी बंगला खाली करने के मिले नोटिस के बाद राजनीति तेजी से गरमा गयी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस फैसले के लिए केंद्र की मोदी सरकार को निशाने लेते हुए दिलचस्प टिप्पणी की है। भगेल ने कहा – ”भले कहते रहो कि तुमको डर नहीं लगता, तुम्हारे माथे का पसीना, हकीकत का बयां है।”
कांग्रेस के तमाम नेता प्रियंका को मकान खाली करने के मोदी सरकार के आदेश को लेकर यही कह रहे हैं कि भाजपा उत्तर प्रदेश में प्रियंका की सक्रियता से घबरा गयी है, और इसी घबराहट में ऐसे फैसले ले रही है, जिसका जनता में और भी गलत संदेश गया है। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तो मोदी सरकार को यह फैसला वापस लेने को कह दिया है।
हालांकि, भाजपा के लोग कह रहे हैं कि यह नियमों के तहत एक सरकारी फैसला है, और इसका राजनीति से कोइ लेना-देना नहीं है। याद रहे मोदी सरकार के केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा को दिल्ली के लोधी एस्टेट स्थित सरकारी बंगले को छोड़ने का नोटिस मिला है और इसमें कहा गया है कि इसे अगस्त तक इसे खाली करना होगा।
सरकार का अपने सफाई में कहना है कि पिछले साल नवंबर में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश में एसपीजी सुरक्षा को लेकर रिव्यू किया था जिसके बाद गांधी परिवार जिनमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल हैं, से एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गयी थी। अब यह तीनों जेड प्लस सुरक्षा कवर में हैं, जिसे सीआरपीएफ देख रही है। प्रियंका को जेड प्लस प्रोटेक्शन के तहत लोधी एस्टेट का सरकारी बंगला अलॉट किया गया था ताकि उनकी बेहतर सुरक्षा हो सके।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने कहा है कि चूंकि एसपीजी कवर अब उन्हें नहीं है, , इसलिए एक अगस्त तक यह बंगला उनके खाली करना होगा। ऐसा न किया गया तो अतिरिक्त किराया देना होगा। प्रियंका गांधी वाड्रा को एसपीजी सुरक्षा के तहत २१ फरवरी, १९९७ को लोधी रोड स्थित यह बंगला अलॉट हुआ था। उस समय एचडी देवेगौड़ा देश के प्रधानमंत्री थे, और जान को गंभीर खतरा देखते हुए गांधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा मिली हुई थी, जिसे पिछले साल रिव्यू के बाद मोदी सरकार ने घटाकर ”जेड प्लस” कर दिया था, जिसमें सरकारी मकान की सुविधा नहीं मिलती। वैसे प्रियंका इस मकान के लिए करीब ३७,००० हजार रुपये प्रति माह का किराया अदा कर रही हैं।
वाजपेयी सरकार के समय साल २००० में में ये नियम बना दिया गया कि जिस व्यक्ति के पास एसपीजी सुरक्षा नहीं, उसे सरकारी मकान नहीं दिया जाएगा। पहले तय हुआ था कि इस श्रेणी में बंगले का मार्केट रेट के आधे (५० प्रतिशत) से ज्यादा का किराया देना होगा, जिसे बाद में ३० प्रतिशत कर दिया गया। प्रियंका यही किराया सरकार को अदा कर रही थीं।
अब कांग्रेस मोदी सरकार के इस फैसले से खफा है और उसने प्रियंका से मकान खाली करवाने को ”बदले की कार्रवाई” बताया गया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा – ”प्रियंका गांधी वाड्रा लगातार केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साध रही हैं, इसी वजह से मोदी सरकार ने बदले में ये फैसला किया है”।