प्राथमिक चिकित्सा और कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटैशन (सीपीआर) नियमावली में स्पष्ट है कि आपात स्थितियों का सामना कैसे किया जाए? हर घर, कार और कार्यस्थल पर हमेशा प्राथमिक चिकित्सा (फस्र्ट एड) किट ज़रूर होनी चाहिए। इसका समय-समय पर नियमित रूप से निरीक्षण किया जाना चाहिए। ज़रूरी है कि हर व्यक्ति को हमेशा आगे आकर आपात स्थिति में मदद देने या लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।
मदद को आगे आने में संकोच क्यों?
लोग इमरजेंसी में इसलिए आगे नहीं आते, क्योंकि वे सोच लेते हैं कि इसकी कोई और व्यक्ति देखभाल कर लेगा। हालाँकि किसी और के बारे में सोचने से पहले स्वयं यह सोचना चाहिए कि वो व्यक्ति भी तो यही सोच सकता है। ऐसे में तो कोई किसी की मदद को आगे आयेगा ही नहीं। आप जिस भी तरह से मदद कर सकते हैं, आगे आकर खुद पेशकश करें। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो चोट या बीमारियों को देखकर यह कहते नज़र आते हैं कि इससे वे खुद को रोगी महसूस करते हैं। इसलिए वे इसे नज़रअंदाज़ करके आगे बढ़ जाते हैं।
किसी को राहत देने देने के लिए स्थितियों से निपटना सीखें। यह भी भय रहता है कि कहीं आप भी बीमार न हो जाएँ। ‘मैं बीमार नहीं होना चाहता।’ इसके लिए आपको कुछ आसान से कदम उठाने होंगे। पहला, दस्ताने पहन लें। इसमें बीमारी होने का जोखिम नहीं है। साथ ही कुछ गलत या अधिक नुक्सान हो जाने की आशंका भी होती है। ‘कहीं मैं उस ज़रूरतमंद व्यक्ति को और ज़्यादा मुसीबत में न डाल दूँ।’ ऐसे में सबसे ज़्यादा नुकसानदेह स्थिति होती है आपका कुछ नहीं करना।
कानूनी अड़चनों से बचना होगा
कानूनी अड़चनों से बचने के लिए फस्र्ट एड देने वाले कुछ ज़रूरी कदम पहले ही उठाएँ। मसलन, सम्भव हो तो किसी ज़रूरतमंद की मदद करने से पहले उसकी अनुमति ले लें और उतनी ही देखभाल या इलाज करें, जितना आपने प्रशिक्षण हासिल किया हो। जब तक उस ज़रूरतमंद के लिए कोई अन्य प्रशिक्षित व्यक्ति जिम्मा सँभाल न ले, उसे यूँ ही न छोड़ दें। जब तक उस व्यक्ति की चोट या बीमारी में राहत नहीं मिल जाती है या उसे लगता है कि अब उसको देखभाल की ज़रूरत नहीं है, तब तक अकेला न छोड़ें। हालाँकि किसी भी तरह का उपचार शुरू करने से पहले उसकी अनुमति अवश्य ले लें। कानून भी मानता है कि आपके पास अनुमति है, यदि व्यक्ति बोल पाने या प्रतिक्रया देने की स्थिति में नहीं है। एक मासूम, जिसकी कोई देखभाल करने वाला न हो और उसे मदद की ज़रूरत हो, तो ऐसे में अनुमति अनिवार्य नहीं होती। हमारा फजऱ् बनता है कि हम बाल शोषण या उसके उपेक्षा किये जाने की रिपोर्ट भी दर्ज कराएँ। यदि आपको लगता है कि किसी बच्चे को नुक्सान पहुँच रहा है, तो बाल संरक्षण या पुलिस को रिपोर्ट करने की ज़रूरत है।
कैसे करें मदद?
फस्र्ट एडर के रूप में आपकी भूमिका कुछ इस तरह हो सकती है।
1. आपातकाल को मान्यता दें।
2. खुद के साथ ही दूसरों को बचाएँ।
3. प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने का सबसे सरल और महत्त्वपूर्ण तरीका सहायता करें।
4. अपने कौशल और प्रशिक्षण के अनुसार काम करें। यदि आपको या अन्य को किसी भी तरह का कोई मेडिकल से जुड़ा खतरा होने पर और कोई मदद को मौज़ूद न हो तो आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को कॉल करें। इमरजेंसी कॉल करने वाली स्थितियाँ हो सकती हैं जैसे कि मानसिक स्थिति ठीक न हो, साँस लेने में दिक्कत हो। लगातार छाती में दर्द हो या दबाव की बात कर रहा हो। जानलेवा रक्तस्राव हो। दौरा पड़ा हो। सिर, गर्दन या रीढ़ की हड्डी में चोट लगी हो।
प्राथमिक उपचार दिये जाने के मामले में युद्ध के मैदान पर घायलों के लिए बिना किसी भेदभाव के सहायता प्राप्त करने के लिए मानवता के मूल सिद्धांतों को हमेशा याद रखना चाहिए। जहाँ भी मानव पीड़ा को रोकना सम्भव हो, उसे रोका जाना चाहिए। इसका मकसद जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा करना और मनुष्य के लिए सम्मान सुनिश्चित करना है। इससे लोगों में आपसी समझ, मित्रता, सहयोग और सुकून हासिल होता है। ऐसी ज़रूरत पडऩे पर किसी की राष्ट्रीयता, जाति, धार्मिक विश्वास, वर्ग या राजनीतिक विचारों के अनुसार भेदभाव नहीं करना चाहिए। यह व्यक्तियों की पीड़ा को दूर करने के लिए उनकी ज़रूरत के अनुसार और संकट के सबसे ज़रूरी मामलों को प्राथमिकता देने का प्रयास करता है। सभी का विश्वास जीतने के लिए राजनीतिक, नस्लीय, धार्मिक या वैचारिक सोच के हिसाब से पक्षपात नहीं किया जाना चाहिए। फस्र्ट एड को बिना किसी सोच, भेदभाव के बिना लाभ की इच्छा के इसे एक स्वैच्छिक सेवा के रूप में अपनाने को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।