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मंगलवार, 14 जनवरी. नए साल में फ्रांस के राष्ट्रपति का पहला पत्रकार सम्मेलन. लगभग 600 पत्रकार राष्ट्रपति भवन एलिजे प्रासाद में उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे. पूरा मंत्रिमंडल भी वहां बैठा हुआ था. शाम साढ़े चार बजे राष्ट्रपति फ्रोंस्वा ओलांद आए. फ्रांसीसी तिरंगे और नीली पृष्ठभूमि पर बारह सितारों वाले यूरोपीय संघ के झंडे के बीच खड़े हो कर वे अगले 45 मिनट तक फ्रांस की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था, यूरोपीय संघ, देश में नस्लवाद और यहूदियों के प्रति घृणा से ले कर अफ्रीका में तैनात फ्रांसीसी सैनिकों जैसे अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय विषयों पर बड़े धैर्य से बोले.
लेकिन, उनके धैर्य की असली परीक्षा तब हुई जब घड़ी में पांच बज कर 18 मिनट होने जा रहे थे. एक वरिष्ठ पत्रकार ने वह चुटीला प्रश्न हॉल में उछाल ही दिया जो फ्रांस के जनमानस को पिछले पांच दिन से कुरेद रहा था–‘क्या वालेरी त्रियरवाइलर आपकी आगामी अमेरिका यात्रा के समय अब भी प्रथम महिला के तौर पर ही साथ रहेंगी?’
वालेरी त्रियरवाइलर राष्ट्रपति ओलांद के भाषण के समय तक उनकी जीवनसंगिनी थीं. दोनों का विवाह नहीं हुआ था, तब भी त्रियरवाइलर को ही देश की प्रथम महिला होने का सम्मान मिला हुआ था. उनके बारे में कोई प्रश्न उठता ही नहीं, यदि फ्रांसीसी पत्रिका ‘क्लोजर ‘ का नवीनतम अंक 10 जनवरी से बाजार में नहीं होता और त्रियरवाइलर इस बीच अस्पताल में न पहुंचतीं. राष्ट्रपति की नई प्रणय-लीला के ‘मानसिक आघात’ ने उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया था. अपने नए प्रेम के लिए कुछ भी कर गुजरने के बंबइया फिल्मों जैसे राष्ट्रपति महोदय के मनचले अंदाज के बारे में पत्रिका ने सात पृष्ठों वाली एक चटपटी रिपोर्ट छापी थी. इसके मुताबिक 59 वर्षीय राष्ट्रपति महोदय 41 वर्षीय फिल्म अभिनेत्री जूली गाये के प्रेम-पाश में इस तरह सुध-बुध खो बैठे हैं कि रातें उनके साथ बिताने के लिए राष्ट्रपति भवन से गायब हो जाते हैं और दुपहिया स्कूटर पर बैठ कर प्रेमिका के घर के फेरे लगाते हैं.
रोमांस के रसिया राष्ट्रपति
जूली गाये जिस फ्लैट में रहती हैं वह राष्ट्रपति भवन के पास ही है. बात कानोंकान दूर तक न पहुंचे, इसलिए केवल एक ही अंगरक्षक राष्ट्रपति ओलांद के साथ रहा करता है. स्कूटर-सवारों के लिए सिर पर हेलमेट लगाने की अनिवार्यता राष्ट्रपति ओलांद के लिए अपना चेहरा छिपाने का सबसे उपयुक्त मुखौटा बन गई है. रातों को सड़कों की रोशनी में हेलमेट से ढका चेहरा साफ-साफ पहचान सकना वैसे भी मुश्किल ही है.
सौतिया-डाह के चलते अस्पताल पहुंच चुकी उनकी जीवनसंगिनी के भावी दर्जे के बारे में भी पत्रकार सम्मेलन के दौरान सवाल हो सकता है, इसके लिए राष्ट्रपति ओलांद भी मन ही मन शायद तैयार रहे होंगे. इस ठेठ प्रश्न पर वे बौखलाए या तिलमिलाए नहीं. स्वर किंचित कांपा, पर अपना संतुलन बनाए रखते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं आपका प्रश्न समझ रहा हूं… अपने निजी जीवन में हम मनुष्यों को (कुछ) परीक्षाएं देनी पड़ती हैं. ऐसी परीक्षाएं, जो संबंधों की अंतरंगता के दायरे में हल करनी होती हैं. मेरा सिद्धांत है कि जो कुछ निजी है, उसका हल भी निजी तौर पर ही निकाला जाए. यह जगह और यह समय इस प्रश्न पर चर्चा करने के उपयुक्त नहीं है. लेकिन, मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं इस प्रश्न का उत्तर उस यात्रा (अमेरिका यात्रा) की तारीख से पहले ही दे दूंगा जिसका यहां उल्लेख हुआ है.’
सच स्वीकार
राष्ट्रपति महोदय ने प्रश्न का कोई सीधा उत्तर भले ही नहीं दिया, लेकिन सच्चाई को अप्रत्यक्ष ढंग से पूरे देश के सामने स्वीकार करने में कोई टालमटोल भी नहीं की. अपने उत्तर से उन्होंने यह अप्रत्यक्ष संकेत भी दे दिया कि वे अपनी नई प्रेम-कहानी को उजागर करने वाली पत्रिका के विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं करेंगे. पत्रिका का नया अंक जब बाजार में आया था तब उन्होंने धमकी दी थी कि वे उसके विरुद्ध कानूनी कदम उठाएंगे. उनकी नई हृदयेश्वरी हालांकि पत्रिका पर 50 हजार यूरो (लगभग 37 लाख रुपये) का दावा ठोकने को उद्यत मालूम पड़ती हैं.
अपनी जीवनसंगिनी और देश की ‘प्रथम महिला’ वालेरी त्रियरवाइलर के दर्जे के बारे में राष्ट्रपति ओलांद का कहना था –‘इस तरह का कोई (औपचारिक) दर्जा नहीं है, यह केवल एक चलन है. मेरे लिए महत्व इस पारदर्शिता का है कि (मेरी) जीवनसंगिनी का नाम सार्वजनिक हो और सबको पता रहे.’ लेकिन, उस समय अस्पताल में पड़ी मदाम त्रियरवाइलर की तबीयत के बारे में उनका उत्तर जरूर बहुत ही बेरुखा और टरकाऊ था– ‘वे आराम कर रही हैं. और कोई टिप्पणी नहीं.’ इससे यही संकेत मिल रहा था कि राष्ट्रपति की 41 वर्षीया फिल्मी प्रेमिका के आगे 48 वर्षीया पत्रकार-जीवनसंगिनी का पत्ता साफ ही समझा जाए.
मदाम त्रियरवाइलर राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी फ्रांसीसी सचित्र-साप्ताहिक ‘पारी माच’ (अंग्रेजी में पेरिस मैच) के लिए लिखती रही हैं. इस पत्रिका में उनके एक पत्रकार-मित्र फ्रेदरीक गेर्शेल भी काम करते हैं. गेर्शेल के हवाले से पेरिस के सर्वाधिक बिक्री वाले दैनिक ‘ले पारििजयें’ ने 14 जनवरी को लिखा कि साप्ताहिक पत्रिका ‘क्लोजर’ की रिपोर्ट आने के साथ ही राष्ट्रपति ओलांद ने अपनी जीवनसंगिनी को पहली बार बताया कि उनके और फिल्म अभिनेत्री जूली गाये के बीच क्या चल रहा है. राष्ट्रपति महोदय की बातें सुन कर त्रियरवाइलर को ऐसा लगा मानो फ्रांस की सबसे तेज बुलेट-ट्रेन ‘टीजीवी मेरे ऊपर से गुजर गई.’ इससे पहले वे यही सोच रही थीं कि ‘क्लोजर’ पत्रिका में जो कुछ छपा है वह बकवास है.
दैनिक ‘ले पारिजियें’ के अनुसार, त्रियरवाइलर ने अपने पत्रकार-मित्र को बताया कि राष्ट्रपति ओलांद ने पत्रिका में छपी सारी बातें स्वीकार कीं, कोई बहानेबाजी नहीं की. न तो उन्होंने रातों को चोरी-छिपे अपनी स्कूटर-यात्राओं को झुठलाया और न ही यह कि वे अपनी नई प्रेमिका गाये के यहां कितनी रातें बिता चुके हैं. उनके नए प्रणय की अफवाहें कुछ समय से हवा में थीं. लेकिन, मदाम त्रियरवाइलर ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया था. इसलिए सच्चाई सुनने के बाद उनकी हालत ऐसी थी जैसे उन्हें किसी ‘राजनीतिक-भावनात्मक सुनामी’ ने झकझोर दिया हो. इसीलिए उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.
क्षमा करने को तैयार
‘ले पारिजियें’ के अनुसार, त्रियरवाइलर ने अपने पत्रकार मित्र से संभवतः यह भी कहा कि वे राष्ट्रपति ओलांद को क्षमा करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि वे जल्द ही तय करें कि क्या वे (त्रियरवाइलर) ही अब भी देश की ‘प्रथम महिला’ हैं. दोनों भले ही बिना शादी किए छह वर्षों से साथ-साथ रह रहे थे, फिर भी त्रियरवाइलर के लिए एक अलग सरकारी स्टाफ और कार्यालय था. देश-विदेश में होने वाले औपचारिक समारोहों में वे राष्ट्रपति ओलांद के साथ इस तरह उपस्थित होती रही हैं मानो वही उनकी पत्नी हैं. बीती सात जनवरी को दोनों अंतिम बार सार्वजनिक तौर पर साथ-साथ देखे गए थे. त्रियरवाइलर अगली 16 फरवरी को 49 साल की हो जाएंगी. 11 फरवरी को राष्ट्रपति ओलांद को अमेरिका जाना है. अपने पत्रकार सम्मेलन में उन्होंने वादा किया था कि इस तारीख से पहले ही स्पष्ट कर देंगे कि उनके साथ कोई ‘प्रथम महिला’ होगी या नहीं.
हालांकि इस बीच जो हुआ उससे ऐसा लग तो रहा नहीं था कि राष्ट्रपति ओलांद की अमेरिका यात्रा के समय कोई ‘प्रथम महिला’ उनके साथ होंगी. मदाम त्रियरवाइलर लगभग एक सप्ताह अस्पताल में रहीं. राष्ट्रपति महोदय उन्हें देखने केवल एक बार अस्पताल गए– 16 जनवरी के दिन. दो दिन बाद मदाम त्रियरवाइलर को वहां से छुट्टी मिल गई. लेकिन, राष्ट्रपति महोदय ने उन्हें राष्ट्रपति भवन के बदले पेरिस के पास वर्साई के ‘ला लांतेर्न’ नाम के एक पुराने महल में भिजवा दिया, जो देश के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों की आरामगाह के काम आता है. अपने पत्रकार सहकर्मी के साथ हुई त्रियरवाइलर की बातचीत के आधार पर उनकी अपनी ही पत्रिका ‘पारी माच’ ने लिखा कि राष्ट्रपति महोदय अपने लिए और समय चाहते हैं और उनकी अब तक की जीवनसंगिनी को डर लगने लगा है कि वे कहीं ‘बेघर’ न हो जाएं.
त्रियरवाइलर के साथ अनबन के बाद राष्ट्रपति ओलांद अपनी पहली विदेश यात्रा पर 21 जनवरी को नीदरलैंड (हॉलैंड) में थे– अकेले. वहां पत्रकारों द्वारा यह पूछने पर कि क्या वालेरी त्रियरवाइलर अब भी उनकी जीवनसंगिनी हैं, उनका टका-सा जवाब था-‘वालेरी त्रियरवाइलर अब बेहतर हैं.’ लेकिन, बताया जाता है कि पत्रकार सम्मेलन के बाद कुछ पत्रकारों से उन्होंने कहा कि ‘भविष्य में मैं एलिजे प्रासाद में कोई प्रथम महिला नहीं चाहता.’ दूसरी ओर, अब तक की प्रथम महिला ने ट्वीट द्वारा उन सभी लोगों के प्रति आभार प्रकट किया जिन्होंने उन्हें ईमेल या सोशल नेटवर्क द्वारा अपना समर्थन दिया. लेकिन, उनका आभार प्रदर्शन बहुत क्षणिक निकला. रविवार 26 जनवरी को मदाम त्रियरवाइलर को भारत जाना था. राष्ट्रपति ओलांद ने उनकी भारत-यात्रा की ठीक पूर्वसंध्या पर फ्रांसीसी समाचार एजेंसी एफपी को लिख कर बताया कि मदाम त्रियरवाइलर के रवाना होने से पहले ही वे इस बात को ‘सार्वजनिक कर देना चाहते हैं’ कि अब दोनों अलग हो गए हैं. सीधे संबंधित पक्ष से मिली यह खबर एजेंसी के लिए एक बड़ा स्कूप थी. उसने इसे तुरंत प्रचारित कर दिया.
चुनाव लड़ते लड़ी आंखें
बताया जाता है कि अपनी नई स्वप्न-सुंदरी जूली गाये से राष्ट्रपति ओलांद का परिचय अक्टूबर, 2011 में उस समय हुआ जब वे राष्ट्रपति-पद का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. गाये ने एक चुनाव-विज्ञापन के माध्यम से उनके चुनाव-प्रचार में हाथ बंटाया था. चुनाव मई, 2012 में हुए थे. फ्रांस की सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार ओलांद तत्कालीन राष्ट्रपति निकोला सार्कोजी को हराकर फ्रांस के 24वें राष्ट्रपति बने थे. 17 वर्ष बाद फ्रांसीसी सोशलिस्ट पार्टी का कोई नेता दुबारा सत्ता के शिखर पर पहुंचा था और 31 साल बाद समाजवादियों को संसद में एकछत्र बहुमत मिला था. नए राष्ट्रपति ओलांद और 2007 से उनकी नई जीवनसंगिनी वालेरी त्रियरवाइलर के बीच उन्हीं दिनों पहली बड़ी खटपट भी हुई थी. कारण जूली गाये नहीं, 2007 तक 30 वर्षों से ओलांद की अविवाहिता जीवनसंगिनी रह चुकी सेगोलेन रोयाल थीं. रोयाल 2007 में सोशलिस्ट पार्टी की ओर से राष्ट्रपति-पद का चुनाव लड़ चुकी थीं और उस समय राष्ट्रपति बने निकोला सार्कोजी से बहुत थोड़े अंतर से हार गई थीं. ओलांद के चार वयस्क बच्चों की मां सेगोलेन रोयाल, 2012 वाले चुनाव के समय, सोशलिस्ट पार्टी की ओर से संसद के लिए चुनाव लड़ रही थीं. मतदान के पहले दौर में वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में सबसे आगे थीं. लेकिन, दूसरे दौर में एक ऐसे उम्मीदवार से हार गईं जिसका समर्थन ओलांद की नई जीवनसंगिनी वालेरी त्रियरवाइलर कर रही थीं. रोयाल यदि जीत जातीं तो सारी संभावना यही थी कि वे आज फ्रांसीसी संसद की अध्यक्ष होतीं.
सौतिया-डाह की आह
ओलांद को अपनी पुरानी जीवनसंगिनी और अपने चार बच्चों की मां सेगोलेन रोयाल को हराने के लिए उनके प्रति अपनी नई जीवनसंगिनी वालेरी त्रियरवाइलर का घटिया सौतिया-डाह बिल्कुल पसंद नहीं आया. दोनों के बीच बातचीत कई दिनों तक बंद रही. लेकिन, बाद में दोनों के बीच फिर से सुलह-सफाई भी हो गई, हालांकि ओलांद के चारों बच्चे त्रियरवाइलर से हमेशा दूर ही रहे. बताया जाता है कि राष्ट्रपति ओलांद को उनकी प्रेमिका से मिलाने में उनके एक बेटे का भी हाथ रहा है.
हो सकता है. कहते हैं कि अपने कुछ कर्मों का फल अगले जन्म में नहीं, प्रायः इसी जन्म में मिल जाता है. पश्चिमी जगत का एक बड़ा हिस्सा धर्म-कर्म में विश्वास नहीं करता, लेकिन फ्रांसीसी राष्ट्रपति के जीवन में पदार्पण कर रही तीसरी जीवनसंगिनी तक की उनकी जीवन-यात्रा यही दिखाती है कि 30 वर्षों तक उनका साथ दे चुकी उनकी पहली जीवनसंगिनी का पत्ता जिस दूसरी जीवनसंगिनी ने काटा, उसका पत्ता काटने के लिए अब तीसरी जीवनसंगिनी ड्योढ़ी पर पहुंच चुकी थी. राष्ट्रपति ओलांद ने मदाम त्रियरवाइलर से आखिरकार अपना पल्ला झाड़ ही लिया. कई मतसर्वेक्षणों के अनुसार फ्रांसीसी जनता का भारी बहुमत भी यही चाहता था.
स्त्री-पुरुष संबंधों के संदर्भ में फ्रांस चाहे जितना उदारवादी समाज हो, स्वयं राष्ट्रपति ओलांद को भी यह मानना पड़ा कि वे इस समय ‘परीक्षा की घड़ी’ से गुजर रहे हैं. यानी, वे भी कहीं न कहीं अंतर्द्वंद्व से, अंतरात्मा की किसी कचोट से मुक्त नहीं हैं. फ्रांस जैसे एक महत्वपूर्ण देश का राष्ट्रपति होते हुए अपना समय देश की समस्याओं के हल में लगाने के बदले स्कूल-कॉलेज के लड़कों की तरह स्कूटर पर बैठकर रात-बिरात किसी महिला के घर के फेरे लगाना भला किस परिपक्वता का प्रमाण है?
भोग-विलासी नारी समानता
फ्रांस और उसके जैसे दूसरे पश्चिमी देश नारी-समानता का भी बहुत ढोल पीटते हैं. यदि वे नारी-समानता को सचमुच महत्व देते हैं तो यह कैसे हो रहा है कि एक समाजवादी नेता होते हुए भी ओलांद अपनी जीवन संगिनियों की मानसिक पीड़ाओं की परवाह किए बिना उन्हें भोग-विलास की किसी वस्तु के समान कभी अपनाते और कभी ठुकराते रहे हैं. उनकी अपनी उम्र जितनी बढ़ गई होती है, हर नई जीवनसंगिनी पिछली की अपेक्षा उतनी ही युवा होती है. तब भी मतसर्वेक्षणों में 89 प्रतिशत तक लोग इसमें कोई बुराई नहीं देखते– स्वयं महिलाएं भी नहीं?
मनचले राष्ट्रपतियों का लंबा इतिहास
यह भी नहीं है कि फ्रोंस्वा ओलांद अपने ढंग के फ्रांस के पहले दिलफेंक और मनचले राषट्रपति हैं. उनसे लगभग दो दशक पहले के समाजवादी राष्ट्रपति फ्रोंस्वा मितेरां की अपनी विवाहिता पत्नी दानियेल के अलावा एक प्रेमिका भी थी. उससे उनकी एक बेटी भी थी. वे अपना अधिकतर समय उसी के साथ बिताते थे. उनके समय के बहुत-से पत्रकार यह जानते भी थे कि उन- की इस दूसरी प्रेमिका अन पिंजो और बेटी मजारीन पिंजो की सुरक्षा और निर्वाह का सारा खर्च करदाता को उठाना पड़ता है, पर मुंह कोई नहीं खोलता था.
1974 से 1981 तक राष्ट्रपति रहे वालरी जिस्कार द’एस्तां के बारे में भी सुनने में आता रहा है कि उनके भी विवाहेतर संबंध हैं. 2009 में उनकी लिखी एक पुस्तक आई– ‘द प्रिंसेस ऐंड द प्रेसिडेंट.’ हालांकि वे दावा यही करते रहे कि इस पुस्तक की कहानी काल्पनिक है, लेकिन मीडिया में यही अटकल लगाई जाती थी कि यह पुस्तक ब्रिटेन के युवराज चार्ल्स की पत्नी रही राजकुमारी डायना के साथ उनके गुप्त संबंधों पर आधारित है.
‘मिस्टर पांच मिनट’
1995 से 2007 तक राष्ट्रपति रहे जाक शिराक के अपनी पत्नी बेर्नादेत से इतर भी इतने सारे संबंध रहे कि लोग उन्हें ‘मोंस्योर (मिस्टर) पांच मिनट’ कहने लगे. राष्ट्रपति ओलांद के पूर्ववर्ती निकोला सार्कोजी ने 2007 में राष्ट्रपति बनते ही अपनी पत्नी सेसिलिया को छोड़ दिया. अन फुल्दा नाम की एक पत्रकार के साथ कुछ समय तक इश्क लड़ाने के बाद 2008 में उन्होंने इतालवी मॉडल कार्ला ब्रूनी को अपनी पत्नी बना लिया.
फ्रांसीसी संस्कृति काम-वासना के मामले में यूरोप के अन्य देशों की अपेक्षा हमेशा से ही इतनी उदार रही है कि कुछ लोग उस पर कामांधता का आरोप भी लगाते हैं. वहां प्रति एक लाख जनसंख्या में भारत की अपेक्षा कई गुना अधिक बलात्कार होते हैं, तब भी वहां के लोगों को इसका आभास तक नहीं है. इसी तरह राष्ट्रपतियों की रंगरेलियों भी वहां के लोगों ने आपत्तिजनक विषय कभी नहीं माना. इस बार भी नहीं है. लोगों की मुख्य परेशानी इतनी ही है कि आतंकवाद के इस जमाने में देश का राष्ट्रपति– और वह भी संसार की तीसरी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति का सर्वोच्च कमांडर– स्कूटर पर बैठ कर रातों को सड़कों पर जो फेरे लगाता रहा है, वह कहां तक उचित है.