वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने न्यायालय की अवमानना के मामले में सर्वोच्च न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगने से सोमवार को इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और उनके माफी मांगने से उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें उनका सर्वोच्च स्तर का भरोसा है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने उनको अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा था और उन्हें इसके लिए दो दिन समय दिया था। हालांकि, आज वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने इससे इनकार कर दिया। याद रहे 20 अगस्त को प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर सुनवाई 24 अगस्त तक के लिए टाल दी थी।
अब प्रशांत भूषण ने अपने उस ट्वीट, जो सारे विवाद की जड़ है, को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया है। उन्होंने अवमानना मामले में जवाब दाखिल किया जिसमें उन्होंने कहा है – ”मेरे ट्वीट्स सद्भावनापूर्वक विश्वास के तहत थे, जिस पर मैं आगे भी कायम रहना चाहता हूं। इन मान्यताओं पर अभिव्यक्ति के लिए सशर्त या बिना शर्त की माफी निष्ठाहीन होगी।”
वरिष्ठ वकील ने कहा – ”मैंने पूरे सत्य और विवरण के साथ सद्भावना में इन बयानों को दिया है जो अदालत द्वारा निपटे नहीं गए हैं। अगर मैं इस अदालत के समक्ष बयान से मुकर जाऊं, तो मेरा मानना है कि अगर मैं एक ईमानदार माफी की पेशकश करता हूं, तो मेरी नजर में मेरे अंतकरण की अवमानना होगी और मैं उस संस्थान की जिसका मैं सर्वोच्च सम्मान करता हूं।”
उन्होंने यह भी कहा कि ”मेरे मन में संस्थान के लिए सर्वोच्च सम्मान है। मैंने सुप्रीम कोर्ट या किसी विशेष सीजेआई को बदनाम करने के लिए नहीं, बल्कि रचनात्मक आलोचना की पेशकश करने के लिए ये किया था जो मेरा कर्तव्य है। मेरी टिप्पणी रचनात्मक है और संविधान के संरक्षक और लोगों के अधिकारों के संरक्षक के रूप में अपनी दीर्घकालिक भूमिका से सुप्रीम कोर्ट को भटकने से रोकने के लिए हैं”।