कुछ समय पहले तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मददगार रहे, जाने माने राजनीतिक/चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर मंगलवार को नीतीश कुमार के सामने खड़े हो गए और उनसे बिहार में विकास को लेकर ढेरों सवाल पूछे। किशोर ने कहा कि नीतीश रहते तो गोडसे की विचारधारा वाले लोगों के साथ हैं, लेकिन कहते यह हैं कि वे गांधी, लोहिया और जेपी को मानते हैं।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पटना में प्रशांत ने नीतीश कुमार से मतभेद के कारण बताये और नीतीश से पूछा कि आप बिहार को ”लीड” करना चाहते हैं या पिछलग्गू (भाजपा का) बनकर कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं ? प्रशांत ने कहा कि नीतीश से उनका नाता पूरी तरह राजनीतिक नहीं रहा। उन्होंने कहा – ”साल २०१५ में जब हम मिले, उसके बाद नीतीशजी ने मुझे बेटे की तरह रखा। जब मैं दल में था तब भी और नहीं था तब भी। नीतीश कुमार मेरे पिता तुल्य ही हैं। उन्होंने जो भी फैसला लिया, मैं सहृदय स्वीकार करता हूं।”
प्रशांत ने कहा कि नीतीश हमेशा कहते रहे हैं कि वे गांधी, जेपी और लोहिया की बातों को नहीं छोड़ सकते तो मेरे मन में दुविधा रही है कि जब नीतीश गांधी के विचारों पर आवाज उठा रहे हैं तो फिर उसी समय में गोडसे की विचारधारा वालों के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं। गांधी-गोडसे साथ तो नहीं चल सकते। हम दोनों में यह मतभेद की पहली बड़ी बजह है। जिस भाजपा के साथ २००४ के बाद से वे रहे और आज जिस तरह से रहे हैं, उसमें जमीन आसमान का फर्क हैं।”
किशोर ने कहा कि ”आपके झुकने से बिहार का विकास हो रहा है तो हमें कोई दिक्कत नहीं लेकिन क्या बिहार की इतनी तरक्की हो गई, जिसकी आकांक्षा यहां के लोगों की है ? क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्ज मिल गया ?”
प्रेस कांफ्रेंस में किशोर ने बारी-बारी से तमाम बड़े मुद्दे गिनाये जिन्हें नीतीश कुमार की विकास के मामले में ‘कमजोर नस’ कहा जा सकता है। किशोर ने कहा पटना यूनिवर्सिटी में नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर विनती की थी, लेकिन केंद्र ने आज तक विशेष राज्य के दर्जे की बात नहीं सुनी। कहा कि उनके समय में बिहार में विकास हुआ, इसे मैं नहीं झुठला सकता लेकिन १५ साल में बिहार में जो हुआ क्या वह आज के मानकों पर खरा उतरता है?
उन्होंने कहा बिहार की स्थिति आज अन्य राज्यों के मुकाबले पुरानी ही है। नीतीशजी ने साइकिल बांटी, पोशाक भी दिए, लेकिन अच्छी शिक्षा नहीं दे पाए जिसके मामले में बिहार आज भी निचले पायदान पर है। किशोर ने कहा – ”बिजली हर घर में पहुंची पिछले दस साल में, लेकिन हाउसहोल्ड के स्तर पर बिजली उपभोग में बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य है। नीतीश लालू राज से नहीं हरियाणा-गुजरात के विकास से तुलना करें तो सब साफ़ हो जाएगा।”
प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी का पिछलग्गु बन चुका नेतृत्व बिहार की स्थिति नहीं बदल सकता। लोग ये सुनकर थक गए हैं कि लालू राज में ये खराब था, वो खराब था, अब लोग ये देखना चाहते हैं कि आपने अन्य राज्यों के मुकाबले क्या किया और कैसा है अपना बिहार? उन्होंने कहा कि जब तक जीवित हूं बिहार के लिए समर्पित हूं। चाहे जितना दिन लगे। हम बिहार के गांव-गांव जाकर लड़कों को जगाएंगे-जोड़ेंगे जो बिहार को बदलना चाहते हैं। बिहार चुनाव में लड़ने-लड़ाने के लिए मैं नहीं बैठा हूं।
किशोर का ब्यान तब आया है जब चर्चा तेज है कि वे बिहार में राजनीतिक दल का गठन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा – ”दो साल पहले अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की है। मैं ऐसे यंग लड़कों को जोड़ना चाहता हूं जो राजनीति में आने का सपना देख रहे हैं। मैं चाहता हूं कि ऐसे युवाओं को जोड़ूं जो अच्छे मुखिया बनकर आए। मैं २० तारीख से एक नया कार्यक्रम शुरू करने जा रहा हूं – बात बिहार की। इसके तहत एक हजार ऐसे लोगों, जिनमें ज्यादातर युवा होंगे, को चुनना और जुड़ना चाहता हूँ जो ये मानते हैं कि अगले दस साल में बिहार अग्रणी राज्य बने। प्रति व्यक्ति आय के मामले में बिहार २२वें नंबर पर है। बिहार को वो चलाएगा जिसके पास कुछ कर दिखाने का सपना और ब्लूप्रिंट हो।”