भारतीय संविधान के निर्माता और दलित अधिकारों के चैंपियन डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की जयंती प्रत्येक वर्ष देशभर में 14 अप्रैल को मनायी जाती है। इस दिन ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा में ‘अंबेडकर समानता दिवस’ भी मनाया जाता है। इस दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में उनके समर्थक लोगों को मिठाइयां व खाना खिला कर उनकी जयंती को त्योहार के रूप में मना रहे है।
अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। वे महार जाति के थे जिसे हिंदू धर्म में अछूत माना जाता था। उन्हें बचपन से ही भेदभाव और उत्पीड़न जैसी सामाजिक बुराइयों से जूझना पड़ा था। और इन बुराइयों के खिलाफ उन्होंने समाज में जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध और अनगिनत योगदान भी किये। उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में 500,000 समर्थकों के साथ वर्षों तक धर्म का अध्ययन करने के बाद बौद्ध धर्म ग्रहण किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी है और ट्वीट कर कहा कि, “डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। उन्होंने भारत की प्रगति में अमित योगदान दिया है। यह हमारे देश के लिए उनके सपनों को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने का दिन है।“
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर श्रद्धांजलि दी है और कहा कि, “बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी के विचारों के अनुगमन से आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में ‘सामाजिक न्याय’ का संकल्प फलीभूत हो रहा है। आइए, सामाजिक न्याय पखवाड़ा व बाबा साहेब की जयंती के अवसर पर ‘स्वतंत्रता, समता व बंधत्व’ के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने हेतु संकल्पित हों।“
वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी ट्वीट कर लिखा कि, संविधान शिल्पी परम पूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर उनके अनुयायियों की ओर से उन्हें शत्-शत् नमन व हार्दिक श्रद्धा-सुमन। करोड़ों कमजोर व उपेक्षित वर्गों तथा मेहनतकश समाज आदि के हित व कल्याण के प्रति उनके महान व ऐतिहासिक योगदान के लिए देश हमेशा ऋणी व कृतज्ञ।“