विश्व के सबसे अधिक जनसमर्थन वाले प्रधानमंत्री, महात्मा गांधी और सरदार पटेल की भूमि गुजरात के लाल, नरेंद्र मोदी अपनी पुस्तक ‘पुष्पांजलि ज्योतिपुंज’ में लिखते हैं कि “संसार में उन्हीं मनुष्यों का जन्म धन्य है, जो परोपकार और सेवा के लिए अपने जीवन का कुछ भाग अथवा संपूर्ण जीवन समर्पित कर पाते हैं”। अपनी रचना में उन्होंने ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ को जीवन का मूलमंत्र माननेवाले तपस्वी मनीषियों का पुण्य-स्मरण करते हुए जन्म से मरण तक आद्योपांत व्यक्ति के सामाजिक और राष्ट्र के प्रति दायित्व का बोध कराया है। सच तो यह है कि उन्होंने इस बोध के साथ स्वयं के जीवन को भी आलोकित किया है …………जिया है। नरेंद्र मोदी का जीवन दर्शन और जीवन दृश्य महात्मा गांधी के सदृश श्रेष्ठतम है। गांधीजी के मानवता, समानता और समावेशी विकास के सिद्धांतों पर चलकर उन्होंने भारत के अबतक के सबसे जनप्रिय प्रधानमंत्री होने का गौरव प्राप्त किया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में जन सेवा और राष्ट्र धर्म का उन्होंने जो अनुपम आदर्श स्थापित किया है, भारत के सुनहरे भविष्य के लिए अभिनंदनीय है।
जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह के बाद चौथे सबसे अधिक समयावधि तक और सबसे अधिक समयावधि तक गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है। ऊर्जावान, समर्पित एवं दृढ़ निश्चयी नरेन्द्र मोदी 138 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और आशाओं के द्योतक हैं। नव भारत के निर्माण की नींव रखने वाले नरेन्द्र मोदी करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों का चेहरा हैं। 26 मई 2014 से, जबसे उन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला है, देश को विकास उस शिखर पर ले जाने के लिए अग्रसर हैं, जहां हर देशवासी अपनी आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा कर सके। पंडित दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन से प्रेरणा लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के अंतिम पायदान पर खड़े एक-एक व्यक्ति के पूर्ण विकास को 24/7 समर्पित हैं। आज 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 वर्ष के हो गए। भारतीय जनता पार्टी इस दिवस को ‘सेवा दिवस’ और 14 सितम्बर से 20 सितम्बर तक ‘सेवा सप्ताह’ के रूप में मनाती है। उन्होंने स्वयं कहा है कि ‘मैं देश का प्रधानमंत्री नहीं बल्कि देश का प्रधान सेवक हूं’।
17 सितम्बर 1950 को दामोदरदास मोदी और हीराबा के घर जन्मे नरेंद्र मोदी का बचपन राष्ट्र सेवा की एक ऐसी विनम्र शुरुआत, जो यात्रा अध्ययन और आध्यात्मिकता के जीवंत केंद्र गुजरात के मेहसाणा जिले के वड़नगर की गलियों से शुरू होती है। 17 वर्ष की आयु में सामान्यतः बच्चे अपने भविष्य के बारे में और बचपन के इस आखिरी पड़ाव का आनंद लेने के बारे में सोचते हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी के लिए यह अवस्था पूर्णत: अलग थी। उस आयु में उन्होंने एक असाधारण निर्णय लिया, जिसने उनका जीवन बदल दिया। उन्होंने घर छोड़ने और देश भर में भ्रमण करने का निर्णय कर लिया। स्वामी विवेकानंद की भांति उन्होंने भारत के विशाल भू-भाग में यात्राएं कीं और देश के विभिन्न भागों की विभिन्न संस्कृतियों को अनुभव किया। यह उनके लिए आध्यात्मिक जागृति का समय था और देश के जन-जन की समस्यायों से अवगत होने का भी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक होते हुए उन्हें संगठन कौशल और सेवा धर्म के मर्म और महत्व को समझने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अपने व्यस्त दिनचर्या के बीच उन्होंने राजनीति विज्ञान में अपनी डिग्री पूर्ण की। शिक्षा और अध्ययन को उन्होंने सदैव महत्वपूर्ण माना। प्रधानमंत्री के रूप में उनकी वाणी और उनकी नीति में इसकी स्पष्ट झलक मिलती है।
7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। 12 वर्षों में गुजरात में हुए अभूतपूर्व एवं समग्र विकास के आधार पर न केवल भारतीय जनता पार्टी, यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार और नीतिगत पंगुता से त्रस्त पूरे देश ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के एकमात्र विकल्प के रूप में स्वीकार्यता दिलाई। 26 मई 2014 को उनके नेतृत्व में पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत मिला और वे देश के 15वें प्रधानमंत्री बने। ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘एक भारत श्रेष्ठ’ के मूलमंत्र से उन्होंने देश का जो अभूतपूर्व सर्वांगीण विकास किया , इससे उन्होंने जन-जन के ह्रदय में अपनी जगह बनाई। जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से 2019 के आम चुनाव में उन्हें ऐतिहासिक समर्थन मिला और 30 मई 2019 को दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
एक प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की अंतर्दृष्टि, संवेदना, कर्मठता, राष्ट्रदर्शन व सामाजिक सरोकार स्वतंत्र भारत के अबतक के इतिहास में अद्वितीय है। उनकी विचारशैली और उनकी कर्तव्यपरायणता अतुलनीय है। वे केवल जनप्रिय नहीं है, वे जन-जन के प्रिय हैं। उनका चिंतन राष्ट्र चिंतन है, उनका ध्येय राष्ट्र है। वे जन सेवा की पराकाष्ठा के प्रतिमान हैं, तो राष्ट्र धर्म के मान हैं। उनके नेतृत्त्व लक्ष्य में मानवता और राष्ट्र रक्षा समान रूप से भाषित और परिभाषित है। तपस्या, त्याग, सेवा और साहस का नाम है नरेंद्र मोदी।
मई 2014 से लेकर आज सितंबर 2020 के छह साल साढ़े तीन महीने के अपने रिकॉर्ड प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल में उन्होंने जन सेवा और राष्ट्र धर्म के जो मानक स्थापित किये हैं, भारतीय राष्ट्र के बेहतर भविष्य के लिए शुभंकर साबित होने वाला है। 14 अप्रैल को उन्होंने कोरोना वायरस को लेकर राष्ट्र को संबोधित करते हुए यजुर्वेद के एक श्लोक का उल्लेख किया था -‘वयं राष्ट्रे जागृत्य‘, अर्थात हम सभी अपने राष्ट्र को शाश्वत और जागृत रखेंगे। आज यह पूरे राष्ट्र का,जन-जीवन का संकल्प बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिक और राष्ट्र के प्रति सेवा धर्म का जो कर्तव्यपथ तैयार किया है, सम्पूर्ण भारत उनके समक्ष करवद्ध खड़ा है। लेकिन यह राह कम चुनौतयों से भरा नहीं रहा है। व्यक्तिगत जीवन हो या राजनीतिक जीवन, पूर्व के सभी प्रधानमंत्रियों की तुलना में इनका जीवन अधिक कठिनाईयों भरा रहा है। लेकिन नव भारत के निर्माण की नींव रखने वाले नरेंद्र मोदी हर परीक्षा में शत-प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होते रहे हैं । आज कोरोना महामारी के दौर में अपेक्षाकृत कम चिकित्सा सुविधा होने के बावजूद नरेंद्र के नेतृत्व में भारत विश्व में कहीं बेहतर ढंग से इस महामारी से लड़ रहा है।
प्रधानमंत्री के रूप में विश्व में त्याग और मानवता के अनुपम उदाहरण हैं नरेंद्र मोदी। मानवता की सेवा में अबतक 103 करोड़ रुपये अपने व्यक्तिगत फंड से दे चुके हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान मिले सभी उपहारों की नीलामी कर मिले 89.96 करोड़ रुपये को कन्या केलवनी फंड में दिया था। 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने से पहले उन्होंने गुजरात सरकार के कर्मचारियों की बेटियों की पढ़ाई के लिए अपने निजी बचत के 21 लाख रूपये दे दिये। 2015 में मिले उपहारों की नीलामी से 8.35 करोड़ रुपये जुटाए गए थे, जो नमामि गंगे मिशन को समर्पित किया। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ मेले में स्वच्छता कर्मचारियों के कल्याण के लिए बनाए गए फंड में अपने निजी बचत से 21 लाख रुपये दिए। 2019 में ही साउथ कोरिया में सियोल पीस प्राइज़ में मिली 1.3 करोड़ की राशि को स्वच्छ गंगा मिशन को को समर्पित किया। हाल ही में प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनको मिली स्मृति चिन्हों की नीलामी में 3.40 करोड़ रुपये एकत्र किए गए, उस राशि को भी नमामि गंगे योजना के लिए उन्होंने समर्पित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में पीएम केयर्स फंड के लिए 2.25 लाख रुपये दिए थे।
कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जब पीएम केयर्स फंड की स्थापना की गई थी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआती फंड के तहत 2.25 लाख रुपये का योगदान दिया। पीएम केयर्स फंड में जमा राशि से भारत आज प्रभावी रूप से विश्व में सबसे बेहतर तरीके से कोरोना से लड़ाई लड़ रहा है। पीएम केयर्स फंड को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विरोधियों द्वारा कीचड़ भी उछाले गए, लेकिन न्यायपालिका के निर्णय से विरोधियों के ही मुंह काले हुए। जब कोरोना महामारी काल में विरोधी बाज नहीं आये, जाहिर है इस तरह के कुत्सित प्रयास होते रहे हैं, होते रहेंगे। पीएम केयर्स फंड का उपयोग कोरोना से और भविष्य में इस प्रकार की गंभीर चुनौतियों का शीघ्रता और तत्परता से निपटने के लिए चिकित्सीय ढांचागत सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। भारत का यह सशक्त होता सामर्थ्य, नरेंद्र मोदी की जन और राष्ट्र सेवा के प्रति समर्पण तथा उनके नेतृत्व में 138 करोड़ जन आस्था का परिणाम है।
जन आस्था और राष्ट्र धर्म के प्रहरी नरेंद्र मोदी। आज भारत दशकों नहीं, सदियों के बदलते इतिहास का साक्षी बन रहा है। 500 वर्षों के जनांदोलन और न्यायालयी निर्णय के बाद अयोध्या में भगवान् राम के मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में न्यायालयी आदेश पर सरकार ने मंदिर निर्माण ट्रस्ट का गठन किया गया। 5 अगस्त को भारतीय जन आस्था के केंद्र और राष्ट्र की सांस्कृतिक नगरी अयोध्या में भगवान् श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन के अवसर पर पधारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा ‘राम काज किन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम‘। उन्होंने न केवल राष्ट्र को पूरे विश्व को साफ़ संदेश दिया कि जन आस्था के सम्मान और राष्ट्र धर्म के निर्वाह में की परवाह नहीं करते। उन्होंने जोर देकर कहा कि भगवान श्रीराम का संदेश, हमारी हजारों सालों की परंपरा का संदेश, कैसे पूरे विश्व तक निरंतर पहुंचे, कैसे हमारे ज्ञान, हमारी जीवन-दृष्टि से विश्व परिचित हो, ये हम सबकी, हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने विश्वास जताया कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला ये भव्य राममंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा, और वहां निर्मित होने वाला राममंदिर अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा। नरेंद्र मोदी ने भूमिपूजन के अवसर पर कहा कि श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा। हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा, राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा। ये मंदिर करोड़ों-करोड़ों लोगों की सामूहिक शक्ति का भी प्रतीक बनेगा। आज भारत, भारत की संस्कृति, भारत की परंपरा,जन आस्था, राष्ट्र धर्म और भारत भूमि की गौरव गाथाएं गौरवान्वित है। गौरवान्वित है अपने उस प्रहरी पर जिसका नाम है नरेंद्र मोदी। हम इतिहास के इस गौरवमयी क्षण के साक्षी हैं, हम भाग्यशाली हैं। जन आस्था और राष्ट्र धर्म के प्रहरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5000 वर्ष के भारतीय इतिहास के श्रेष्ठ्तम जनसेवकों व राष्ट्र रक्षकों में जाने जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्र भारत के सबसे परिवर्तनकारी नेतृत्व हैं, जिनकी लोकप्रियता और पराक्रम जहां जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को पीछे छोड़ दिया है, वहीं आर्थिक सुधारों में पी.वी. नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी की सफलता से आगे निकल चुके हैं। उन्होंने भारतीयों में अभूतपूर्व आकांक्षा जगाई है। उनके नेतृत्व में, भारत ने सबसे बड़ा सत्ता परिवर्तन देखा, जिसमें भारतीय जनता पार्टी का उदय सत्ताधारी दल के रूप में एक नई राजनीतिक सोच तथा शैली के रूप में हुआ, जिसने कांग्रेस की छह दशकों की श्रेष्ठता को अप्रासंगिक बना दिया। नरेंद्र मोदी के परिवर्तनकारी एवं प्रभावी नेतृत्व में आधुनिक, डिजिटल, भ्रष्टाचार-मुक्त, जवाबदेह और विश्वसनीय सरकार का आविर्भाव हुआ है तथा जनता को भी अभूतपूर्व रूप से भागीदार बना दिया है। जहां अप्रासंगिक पुरातन प्रणालियों और नियमों को समाप्त कर दिया गया है, वहीं स्वच्छ भारत अभियान, कल्याणकारी योजनाओं और सड़कों तथा बंदरगाहों के निर्माण के लक्ष्य निश्चित किए। सैकड़ों योजनाओं और अभियानों के माध्यम से एक नए भारत का निर्माण हो रहा है। सबके साथ और विश्वास से सबका विकास हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, बल्कि एक कविहृदय साहित्यकार भी हैं। अपने व्यस्त दिनचर्या के बावजूद उन्होंने दर्जनभर पुस्तकें लिखी हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने गुजराती भाषा में 67 कविताएं लिखी थीं। उनकी इन कविताओं के माध्यम से उनके दर्शन,उनके विचार और उनकी दृष्टि का सहजता के साथ अंदाजा लगाया जा सकता है। उनका हिन्दी में एक कविता संग्रह है ‘साक्षी भाव’ जिसमें जगतजननी मां से संवाद रूप में व्यक्त उनके मनोभावों का संकलन है, जिसमें उनकी अंतर्दृष्टि, संवेदना, कर्मठता, राष्ट्रदर्शन व सामाजिक सरोकार स्पष्ट झलकते हैं। उनकी श्रेष्ठतम रचनाओं में शामिल है ‘पुष्पांजलि ज्योतिपुंज’ जिसमें लिखा है कि संसार में उन्हीं मनुष्यों का जन्म धन्य है, जो परोपकार और सेवा के लिए अपने जीवन का कुछ भाग अथवा संपूर्ण जीवन समर्पित कर पाते हैं। इस पुस्तक में उन्होंने व्यक्ति के जन्म से लेकर उसकी समाज के प्रति दायित्व का बोध कराया है, तथा राष्ट्र सर्वोपरि को जीवन का मूलमंत्र माननेवाले ऐसे ही तपस्वी मनीषियों का पुण्य-स्मरण भी किया है। ‘सोशल हॉर्मोनी’ नामक पुस्तक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाज और सामाजिक समरसता के प्रति भावनाओं के प्रबल प्रवाह को शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया है। इस पुस्तक में उनकी समाज के प्रति अद्वितीय दृष्टि और दृष्टिकोण की स्पष्टता है। जहां वे ‘एग्जाम वॉरियर्स’ नामक अपने पुस्तक में अपने बचपन के कई उदाहरणों के माध्यम से बच्चों को परीक्षा के तनाव से निकलने की युक्ति बताई गई, वहीं ‘कनवीनिएंट एक्शन’ में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और समाज को सचेत करते हैं और साथ ही इससे निपटने के लिए वैश्विक अभियान में शामिल होने की प्रेरणा भी देते हैं। अद्भुत हैं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच में, उनके चिंतन केंद्र में, राजनीति और सत्ता से परे जो मानव दृष्टि है, वैश्विक दृष्टि है, जो कवि ह्रदय है, जो शिक्षक है, समाजशास्त्री है, जो अर्थशास्त्री, जो समस्याओं के निवारक हैं, उसपर चर्चा-परिचर्चा और शोध होनी चाहिए। यह भारतीय राष्ट्र के लिए हितकारी है, विश्व समुदाय के लिए हितकारी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। देश का प्रधान सेवक। राजनीतिक दर्शन का मूलमंत्र अंत्योदय। प्रत्येक निर्णय में आंखों के समक्ष वंचित, गरीब, मजदूर, किसान। भारत के बचपन की चिंता, भारत के युवा की चिंता। भारत के वयस्क की चिंता, भारत के वृद्ध की चिंता। बालिका की चिंता, महिला की चिंता। व्यवसाय की चिंता, व्यवसायी की चिंता। शहर की चिंता, गांव की चिंता। 138 करोड़ भारतीयों की चिंता। जन-जन की चिंता। ‘अन्नदाता सुखी भवः’ की सर्वोच्च प्राथमिकता। भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी, नीति आधारित प्रशासन। शीघ्र निर्णय के मूल सिद्धांत। प्रत्येक परिवार को पक्का घर। चौबीस घंटे बिजली।पीने का पानी। गांव-गांव सड़क, इंटरनेट। सबका पोषण, सबका स्वास्थ्य। सबको शिक्षा। सबको रोजगार। एक राष्ट्र, एक कर। एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड। एक भारत, श्रेष्ठ भारत। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, फिट इंडिया, स्वच्छ इंडिया, टीम इंडिया के सामूहिक प्रयत्नों से न्यू इंडिया का निर्माण। आस्था के केंद्रों का पुनर्जीवन। राष्ट्रीयता और भारतीयता के प्रतीकों को सम्मान। सीमाओं की रक्षा। ‘राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं, राष्ट्ररक्षासमं व्रतम्, राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च’ का संकल्प। विश्व नेतृत्व का चरित्र। कोरोना महामारी काल में न केवल भारत , बल्कि पूरे विश्व ने उनकी भक्ति और शक्ति को देखा है। लोगों को उनमें नर और नारायण दोनों के दर्शन हुए हैं। महामारी से कराह रहे विश्व के देशों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की न केवल सराहना की है, समर्थन भी किया है, अनुकरण भी किया है। भारत के अबतक के सबसे लोकप्रिय एवं यशस्वी प्रधानमंत्री, इतिहास पुरुष नरेंद्र मोदी ने एक ऐसे भविष्य के भारत की नींव रखी है, विश्व में अपनी सनातन श्रेष्ठता को तो पुनः प्राप्त करेगा ही, विश्व का सफल नेतृत्व भी करेगा। नरेंद्र मोदी जी! जीवेम शतम्! जीवेम शतम्!
प्रभात झा
(भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद )